दरअसल : ‘संजू’ है बाप-बेटे और दोस्ती की फिल्म


दरअसल
संजू है बाप-बेटे और दोस्ती की फिल्म
-अजय ब्रह्मात्मज
    
राजकुमार हिरानी निर्देशित संजू अगले हफ्ते रिलीज होगी.संजय दत्त की ज़िन्दगी पर आधारित इस फिल्म के बारे में दर्शकों की जिज्ञासा रिलीज की तारीख नज़दीक आने के साथ बढती जा रही है.फिल्म के ट्रेलर में संजय दत्त खुद के बारे में बताते हैं कि वे बेवडा हैं,ठरकी हैं,ड्रग एडिक्ट हैं....सब कुछ हैं,लेकिन टेररिस्ट नहीं हैं. इस ट्रेलर में यह बात दोहराई जाती है.याद होगा जब संजय दत्त सजा पूरी कर आये थे तो उन्होंने मीडिया से गुजारिश की थी कि उन्हें टेररिस्ट न कहा जाए.हो सकता है कि फिल्म में संजय दत्त पर लगे इस दाग को मिटाने की भी कोशिश हो.यूँ राजकुमार हिरानी अपने इंटरव्यू में लगातार कह रहे हैं कि यह फिल्म संजय दत्त की इमेज ठीक करने के लिए नहीं बनायीं गयी है.
हम भी मानते हैं कि राजकुमार हिरानी सरीखा डायरेक्टर इस उद्देश्य से फिल्म नहीं बना सकता.इसी ट्रेलर में हमने संजय दत्त के कुछ सीन पिता सुनील दत्त और दोस्त परेश के साथ के भी देखें हैं.दोस्त के किरदार में तो अनेक दोस्तों की छवियाँ समेटी गयी हैं,लेकिन बाप-बेटे के सम्बन्ध का चित्रण तो उनके बीच का है.इस सम्बन्ध के बारे में संजय दत्त के बताये प्रसंगों,घटनाओं और भावोँ के साथ राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी के जुटाए तथ्य भी होंगे.यह फिल्म बाप-बेटे के रिश्ते और दोस्ती की भी कहानी कहती हैं.पिता जो अडिग भाव से अपने बेटे के साथ खड़े रहे और उन्हें हर मुश्किलों से निकाला. बेटे के प्रति सुनील दत्त के लगाव और एहसास को समझने के लिए इतना ही काफी है कि जब संजय दत्त ठाणे जेल में बंद थे तो वे कई बार रातों को जेल की दीवार से लगी सड़क पर घूमने जाते थे.उन्हें लगता था कि वे अपने बेटे को महसूस कर पा रहे हैं.
१९९६ में क्रिस रोडली ने बीबीसी के चैनल ४ के लिए टू हेल एंड बैक शीर्षक से एक documentry बनायीं थी.संजू फिल्म देखने के पहले या बाद में यह documentry ज़रूर देखनी चाहिए.बहुत संक्षेप में संजय दत्त के जीवन के झंझावातों को समेटती यह फिल्म पिता सुनील दत्त के दर्द को जाहिर करती है. हमें एक परिप्रेक्ष्य भी मिलता है.पिता के दुःख,विवशता और बेटे से हमदर्दी को हम समझ सकते हैं.सुनील दत्त अपने ज़माने के हिसाब से सख्त पिता थे. वे अनुशासन पर बहुत जोर देते थे,लेकिन माँ के लाड-दुलार की आड़ में संजय दत्त हाथ से निकलते गए. वे बिगडैल मिजाज की स्वछन्द ज़िन्दगी जीने वाले कथित बांद्रा बॉयज में शामिल हो गए..वे किसी प्रकार का अंकुश नहीं स्वीकार करते थे.
टू हेल एंड बैक में सुनील दत्त कहते हैं...मेरे बेटे ने जो भी तकलीफ सही,वह मेरी वजह से थी...मेरी विचारधारा,मेरी सोच और आम लोगों के लिए मैंने जो काम किया...उसी की वजह से उसे तकलीफ हुई.मैं इसलिए ज्यादा दुःख महसूस करता हूँ. संजय राजनीति के बारे में कुछ नहीं जानता.उसने कभी राजनीति में हिस्सा नहीं लिया. उन्होंने अपना दिल खोलते हुए कहा है...जब मेरे बेटे को हथकड़ी पहनाई गयी तो लगा कि कोई मेरी प्रतिष्ठा और इज्ज़त,मैंने देश के लिए जो भी किया...उन सभी को फांसी दे रहा है.उस क्षण मैं अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सका...हालाँकि मैं चाहता था कि यह जाहिर नहीं हो,क्योंकि मेरा बेटा प्रभावित होगा और खुद को कमजोर महसूस करेगा.फिर भी मैं अपने आंसू नहीं रोक सका और उसने इसे महसूस किया.
भावनाओं पर काबू पाने और आंसू रोकने की कोशिश संजय भी करते थे.एक तरफ वे नहीं चाहते थे उन्हें कमजोर भांप कर पिता और बहनें टूटें.दूसरी तरफ पिता औरबहनें मुलाकातों में अपनी हिम्मत और एनर्जी बनाये रखते थे.सुनील दत्त को यह तो मालूम हो गया था कि बम विस्फोट और उसके बाद हुए दंगों से पीड़ित मुस्लिम बहुल इलाके में किये उनके काम को सही नज़रिए से नहीं देखा जा रहा है.घर पर धमकी भरे कॉल आने लगे थे.बाप-बेटे के बीच एक संवादहीनता थी.असुरक्षा की इस घडी में आक्रमण की आशंका में संजय दत्त ने खुद से तैयारी की और अवैध हथियार रखने की आपराधिक भूल की. इस दरम्यान सुनील दत्त को फिल्म बिरादरी से तो समर्थन मिला,लेकिन खुद कांग्रेस पार्टी उदासीन रही.इस कठिन दौर में उनके पड़ोसी और मित्र दिलीप कुमार साथ खड़े रहे.सुनील दत्त की उस पीड़ा का अनुमान ही लगाया जा सकता है जब करीबियों की सलाह  पर वे बाला साहेब ठाकरे से मदद मांगने गए थे.जीवन भर की राजनीति और सोच की पूँजी उन्होंने खो दी थी.इस विवशता और तकलीफ ने ही उन्हें राजनीतिक क्रिया-कलापों से दूर और उदासीन कर दिया.उनका दिल दरक गया था.
बाप-बेटे के बीच के दर्द के इस रिश्ते और भावना को राजकुमार हिरानी ने परदे पर उतारा होगा.उनकी फिल्मों में पिता की खास भूमिका होती है.अब की सच्ची कहानी है.इस बार तो हमे तीन बाप-बेटों के रिश्तो का सार दृश्यों के रूप में इस फिल्म में दिखेगा.लेखन और अभिनय हमारे अनुभवों की ही अभिवयक्ति है.संजू में संजय दत्त-सुनील दत्त,रणबीर कपूर-ऋषि कपूर और राजकुमार हिरानी-सुरेश हिरानी के रिश्तों की छवियाँ परदे पर निभाते रणबीर कपूर-परेश रावल दिखेंगे.विधु विनोद चोपड़ा ने बताया था कि मुन्नाभई एमबीबीएस की शूटिंग में बाप-बेटे के मिलने का दृश्य रियल हो गया था.शॉट हो जाने के बाद भी संजय दत्त का सर पिता के कंधे पर देर तक टिका रहा था.  

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