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गीतकार तो अभिमन्यु होता है - जयदीप साहनी

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'रब ने बना दी जोड़ी' के गीत जयदीप साहनी ने लिखे हैं। वे यशराज फिल्म्स की 'चक दे' से ज्यादा चर्चा में आए। वैसे याद करें तो 'जंगल' भी उन्होंने लिखी थी। अभी तक छह फिल्में लिख चुके जयदीप साहनी ने बारह फिल्मों में गीत भी लिखे हैं। पेश है एक बातचीत :- हिंदी फिल्मों में सक्रिय चंद प्रतिभाशाली और प्रयोगशील क्रिएटिव दिमागों में से एक आप हैं। क्या आप सचमुच क्रिएटिव योगदान कर पा रहे हैं? 0 अपना क्रिएटिव योगदान कोई खुद कैसे आंक सकता है। मेरा निजी अनुभव रहा है कि प्रोडयूसर, डायरेक्टर, अभिनेता और टेक्नीशियन की तरह आपके योगदान को भी सराहा जाता है। अपने विषयों और किरदारों को फिल्म उद्योग की टेढ़ी-मेढ़ी गलियों से गुजारते हुए आम आदमी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आप नहीं लेंगे तो भला दूसरा कोई क्यों लेगा? - यशराज फिल्म्स के साथ ही सीमित रहने से आपकी संभावनाएं सीमित नहीं होतीं क्या? 0 खास नहीं। यशराज एक खास तरह के सिनेमा के लिए जाना जाता है। लेकिन उन्होंने 'चक दे' जैसी फिल्म जोखिम के बावजूद बनायी। 'मैंने गांधी को नहीं मारा' को बिना शोर-शराबे के फायनेंस किया और 'मा

आदित्य चोपड़ा लेकर आ रहे हैं'रब ने बना दी जोड़ी'

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-अजय ब्रह्मात्मज लगभग बीस साल पहले यश चोपड़ा के बड़े बेटे आदित्य चोपड़ा ने तय किया कि वे अपने पिता की तरह ही फिल्म निर्देशन में कदम रखेंगे। यश चोपड़ा 'चांदनी' के निर्देशन की तैयारी में थे। आदित्य के उत्साह को देखते हुए यश चोपड़ा ने उन्हें फिल्म कंटीन्यूटी, कॉस्ट्यूम और कलाकारों को बुलाने की जिम्मेदारी दे दी। शूटिंग में शामिल होने के पहले आदित्य चोपड़ा ने भारतीय फिल्मकारों में राज कपूर, विजय आनंद, राज खोसला, मनोज कुमार, बिमल राय, बी आर चोपड़ा और अपने पिता यश चोपड़ा की सारी फिल्में सिलसिलेवार तरीके से देख ली थीं। उन दिनों वे सिनेमाघरों में जाकर फस्र्ट डे फस्र्ट शो देखने के अलावा नोट्स भी लेते थे और बाद में वास्तविक स्थिति से उनकी तुलना करते थे। आदित्य की इन गतिविधियों पर यश चोपड़ा की नजर रहती थी और उन्हें अपने परिवार में एक और निर्देशक की संभावना दिखने लगी थी। उन्होंने आदित्य की राय को तरजीह देना शुरू किया था, लेकिन अभी उन्हें इतना भरोसा नहीं हुआ था कि स्वतंत्र रूप से फिल्म का निर्देशन सौंप दें। 1989 से लेकर 1995 में 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के प्रदर्शन तक आदित्य चोप

रब ने बना दी जोड़ी में अलग लग रहे हैं शाहरूख खान

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12 दिसंबर को रब ने बना दी जोड़ी रिलीज होगी। दरअसल, यह फिल्म शाहरुख खान से ज्यादा आदित्य चोपड़ा के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मोहब्बतें के निर्देशन के आठ साल बाद वे रब.. लेकर आ रहे हैं। फिल्म के पोस्टर और पहले गाने को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह फिल्म उनकी पहले की फिल्मों से अलग होगी। वैसे, यह शाहरुख के लिए इस लिहाज से भी खास हो जाती है कि ओम शांति ओम के बाद यह उनकी पहली कायदे की फिल्म होगी। शाहरुख इस बार ओम शांति ओम की तरह आक्रामक जरूर नहीं दिख रहे हैं, लेकिन इस फिल्म को दर्शकों तक ले जाने और उन्हें इस फिल्म के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर भी है। इसी कारण उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर मीडिया को मन्नत में बुलाया। कोशिश यह थी कि जन्मदिन के मौके पर रब.. की चर्चा आरंभ हो जाए। यशराज और शाहरुख इस रणनीति में सफल रहे। शाहरुख ने विस्तार से फिल्म के बारे में बताया। उन्होंने आदित्य के साथ हुई विमर्श की जानकारी भी दी। जैसे कि पहले पोस्टर में प्रौढ़ शाहरुख को पेश करना। पहले राय बनी थी कि इससे दर्शक निराश होंगे। उन्हें लगेगा कि शाहरुख बूढ़े हो गए हैं। शाहरुख की राय थी, हमें

लौटे आदित्य चोपड़ा,ले आएंगे ' रब ने बना दी जोड़ी

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बहुत पहले मनमोहन देसाई की एक फिल्म आई थी ' सुहाग '.इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और रेखा थे.उन दिनों दोनों की जोड़ी ने धूम मचा रखी थी.इसी फिल्म का गीत है ' रब ने बना दी जोड़ी '.इस गीत में दोनों की मस्ती और अंतरंगता दिखती है.अब इसी गीत को आधार बना कर आदित्य चोपड़ा अपनी नयी फिल्म की योजना बना रहे हैं। आदित्य चोपड़ा हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के चमत्कारी निर्देशक माने जाते हैं.उनकी पहली फिल्म ' दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ' अभी तक मुम्बई के एक सिनेमाघर में चल रही है.वह १३वें साल में प्रवेश कर चुकी है.आदित्य चोपड़ा कि पहली फिल्म का ऐतिहासिक महत्व हो गया है.उनकी दूसरी फिल्म ' मोहब्बतें ' ज्यादा नहीं चली थी,लेकिन उस फिल्म से अमिताभ बच्चन की दूसरी पारी निखर गयी थी. यह आज से आठ साल पहले की बात है। पिछले आठ सालों में आदित्य चोपड़ा ने यशराज फिल्म्स में बन रही सभी फिल्मों की निगरानी की.उन्होंने कांसेप्ट से लेकर उनकी रिलीज तक पर नज़र रखी.उनमें से कुछ हिट रहीं और कुछ सुपर फ्लॉप साबित हुईं.आदित्य चोपड़ा ने इन आठ सालों में अपना स्टूडियो भी खड़ा किया। यह मुम्बई का आधुनिकतम स्टूडियो