Posts

छोटी फिल्मों की बड़ी कामयाबी

Image
  -अजय ब्रह्मात्‍मज  तीनों फिल्मों पान सिंह तोमर, कहानी और अब विक्की डोनर की कामयाबी को ट्रेंड समझें तो कहा जा सकता है कि दर्शक नए विषयों पर बनने वाली फिल्मों के स्वागत के लिए तैयार हैं। बड़ी फिल्मों के साथ-साथ वे छोटी फिल्मों को भी पसंद कर रहे हैं। अगर हाउसफुल 2 और अग्निपथ हिट होती है तो दूसरी तरफ पान सिंह तोमर, कहानी और विक्की डोनर को भी दर्शक मिल रहे हैं। इनमें से पहली दो तो रिलीज होने के लिए अटकी पड़ी थीं। उनके निर्माताओं को अपनी ही फिल्म पर भरोसा नहीं था। इसलिए रिलीज के समय प्रचार के लिए किए जाने वाले आवश्यक खर्च को वे नुकसान मान रहे थे। उन्होंने मन भी बना लिया था कि डीवीडी पर सीधे रिलीज कर देंगे। तीनों फिल्मों में हिंदी फिल्मों का ताम-झाम नहीं है। न तो बड़े स्टार हैं और न विदेश में इनकी शूटिंग की गई है। माना जाता है कि सारी हिंदी फिल्मों में प्रेम कहानी जरूर होती है, मगर तीनों फिल्मों में प्रेम कहानी पर फोकस नहीं था। विक्की डोनर में हीरो-हीरोइन का रोमांस सरल और आधुनिक है। ना तो उनके प्यार में पड़ते ही बारिश होती है और न ही उनके पीछे नाचते डांसर नजर आते ह

आमिर का सत्यमेव जयते

Image
  -अजय ब्रह्मात्‍मज तारीख निश्चित हो चुकी है। दो सालों से चल रहा कयास समाप्त हो गया है। आमिर खान प्रोडक्शन के टीवी शो सत्यमेव जयते का प्रसारण 6 मई से स्टार प्लस पर आरंभ होगा। स्टार प्लस के साथ ही दूरदर्शन पर आने से इसे देश के दूर-दराज इलाकों में बसे दर्शक भी देख सकेंगे। आमिर खान ने अपनी पसंद से सुबह 11 बजे का समय लिया है। इन दिनों टीवी पर संडे की सुबह का समय प्राइम टाइम नहीं माना जाता। आमिर खान को इससे मतलब नहीं है। उन्हें महाभारत, रामायण और चाणक्य के दिन याद हैं। सारा परिवार एक साथ बैठकर टीवी देखता था। जिनके घरों में टीवी नहीं थे, वे पड़ोस में देख आया करते थे। आमिर खान को पूरी उम्मीद है कि अगर कार्यक्रम अच्छा होगा तो दर्शक संडे की सुबह को फिर से प्राइम टाइम बना देंगे। वैसे, इसकी शुरुआत डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के धारावाहिक उपनिषद गंगा से हो चुकी है। यह संडे को सुबह दस बजे प्रसारित होता है। आमिर खान के टीवी शो सत्यमेव जयते का निर्देशन सत्यजित भटकल कर रहे हैं। आमिर खान और सत्यजित स्कूल के दिनों के दोस्त हैं। लगान के समय आमिर खान के आह्वान पर सत्यजित ने अपनी जमी-जमाई

सेक्शुएलिटी से हमेशा पुरुषों को ही क्यों परेशानी होती है?-अनुराग कश्‍यप

Image
  -अजय ब्रह्मात्‍मज दैट गर्ल इन यलो बूट्स ’ के समय सब बोल रहे थे कि क्यों बना रहे हो ? मत बनाओ। मुझे जितने ज्यादा लोग बनाने से मना करते हैं मुझे उतना ही लगता है कि मुझे यह फिल्म जरूर बनानी चाहिए। एक समय था, जब सब लोग चाहते थे कि मैं कुछ और करूं। जितने लोग चाहते थे कि मैं रास्ता बदल दूं , मैं उन लोगों को छोड़कर अलग हो गया। तभी   आरती   भी   छूट   गई। उस समय मैं दबाव में फालतू - फालतू फिल्में लिखता था, सिर्फ इसलिए कि गाड़ी की किश्त भर सकूं। मैं तो गाड़ी में घूमता नहीं हूं। लाइफ स्टाइल वही था। घर भी उतना ही बड़ा चाहिए। अगर घर छोटा होता तो दबाव कम होता। मैं जितना फालतू काम करता , जितनी घटिया फिल्म लिखता, अंदर गुस्सा उतना बढ़ जाता। मैं अंदर ही अंदर ब्लेम करने लग गया था अपने चारों तरफ लोगों को। घर पर कोई काम नहीं करता था। सब लोग बैठे रहते थे , सब इंतजार करते थे कि मेरी फिल्म कब शुरू होगी। कोई काम नहीं करता था। ‘ सरकार ’ हुई तो उसमें के के निकल गया। मैं तो स