फिल्म समीक्षा:हरि पुत्तर

माहौल खराब करती है हरि पुत्तर जैसी फिल्में
फिल्म के निर्माता-निर्देशक ने हैरी पाटर से मिलता जुलता नाम हरि पुत्तर रखकर भले ही चर्चा पा ली हो, लेकिन इस फिल्म की जितनी भ‌र्त्सना की जाए कम है। बच्चों के लिए ऐसी अश्लील, फूहड़ और विवेकहीन फिल्म की कल्पना किसी अपराध से कम नहीं।
भारत में बच्चों के लिए बनाई जाने वाली फिल्मों की वैसे ही कमी है। लेकिन हरि पुत्तर जैसी फिल्में माहौल को और भी गंदा व खराब करती हैं। विदेशी फिल्म से प्रेरणा लेकर बनाई गई इस फिल्म को घटिया ढंग से लिखा और फिल्मांकित किया गया है। हरि अपने माता-पिता के साथ इंग्लैंड रहने चला गया है। वहां एक दिन परिवार के सभी लोग भूल से उसे छोड़कर पिकनिक पर निकल जाते हैं। कहानी यह है कि कैसे वह गुप्त मिशन में लगे अपने पिता के प्रोजेक्ट की चिप की रक्षा करता है?
यह फिल्म रोचक बन सकती थी लेकिन इसे देखकर तो यही लगता है कि हम बच्चों को कामेडी के नाम पर क्या परोस रहे हैं? सारिका और जैकी श्राफ ने इतना बुरा काम कभी नहीं किया। बाल कलाकार जैन खान को दी गई हिदायतें ही फूहड़ है, इसलिए उनके अभिनय में फूहड़ता दिखती है। सौरभ शुक्ला और विजय राज के बुरे अभिनय के लिए भी हरि पुत्तर याद की जा सकती है। यदि इस साल की सबसे बुरी फिल्मों की सूची बने तो हरि पुत्तर टॉप-5 में रहेगी।

Comments

Baap re!
itni buri
hamne to socha thodi acchi hogi
बच गए।।
नाम के दबाब में बच्‍चे चाह रहे थे कि उन्‍हें दिखाई जाए पर समीक्षाओं से इसके बकवास होने का अंदेशा हो गया था।
बदलें में वेलकम टू सज्‍जनपुर देखकर आए हैं.. इस फैसले आल्‍हादित हैं। अब आपने भी पुष्टि भी पुष्‍ि
ट कर दी है।

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम