एवरेस्ट से आगे जाना है मुझे..: करीना कपूर

-अजय ब्रह्मात्‍मज
एवरेस्ट से आगे जाना है मुझे..: करीना कपूर

खुशी की बात है कि दस साल आपके करियर को हो रहे हैं। इसमें बहुत सारे मोमेंट्स रहे होंगे जो सेलब्रेशन के रहे होंगे, कुछ एक डिप्रेशन के भी रहे होंगे। कुछ एक ऐसे भी होंगे,जहां लगा होगा कि छोड दें इंडस्ट्री। ऐसा भी लगा होगा कभी कि नहीं अभी कुछ करना है। कैसे देखती हैं दस वर्षो के अपने सफर को?

इंडस्ट्री की बच्ची हूं मैं, क्योंकि कपूर खानदान की हूं। बचपन से परिवार में सभी को फिल्मों में काम करते देखा है। सिनेमा से मेरा प्यार और लगाव फैमिली की वजह से है। डिप्रेशन के मोमेंट्स नहीं आए कभी। स्ट्रगल जरूर था। मेरा स्ट्रगल कुछ अलग तरीके का था। बाकी लडकियों का स्ट्रगल जहां खत्म होता है, मैंने वहीं से शुरू किया है। मेरी बहन करिश्मा पहले से थी। लोग जानते थे कि करिश्मा की बहन है। पहले ही से लोगों के दिमाग में बैठ गया था। रिफ्यूजी ने मेरे करियर को शुरू में ही टॉप पर डाल दिया था। अरे ये तो स्टार है, ये ये है, ये वो है। फिल्में नहीं चलीं तो भी लोगों का प्यार बना रहा। प्रेस ने कुछ और लिखना शुरू कर दिया। मेरे लिए बडी बात है कि इंडस्ट्री से ही हूं। मैं घबराई नहीं। मैंने वो जो पैशन था, जो लगाव था, वह नहीं छोडा। दादा जी की बात हमेशा दिमाग में रख के चली जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां। यही भाव मन में रख के फिल्में कीं। कुछ फिल्में चलीं, कुछ नहीं चलीं। यह तो इंडस्ट्री की रीति है। कोई फिल्म चलेगी, कोई नहीं चलेगी। मुझे ज्यादा डिप्रेशन नहीं रहता है कि फलां फिल्म नहीं चली, क्योंकि हर फिल्म में मेरा परफॉर्मेस सराहा गया है। मैं इंडस्ट्री में टिकी इसलिए हूं कि मुझे एक्टिंग करना ज्यादा अच्छा लगता है। मुझे फैमिली की पोजीशन आगे करनी है। अभी अच्छा लगता है कि रणबीर आया है कपूर खानदान से। क्योंकि पहले केवल करिश्मा और मैं थी। अभी कोई और साथ देने आया है तो अच्छा लगता है।

फिल्में चलें न चलें, करीना चलती रहीं। इसे दर्शकों का प्यार कह लें या आपकी मेहनत। दर्शकों ने कभी आपको जाने ही नहीं दिया। उन्होंने रिंग से बाहर कभी निकलने ही नहीं दिया। आप से कभी गलतियां भी हुई तो उन्होंने नजरअंदाज किया।

ऑडियंस, फैन, डायरेक्टर और मीडिया, मैं तो सभी के नाम लूंगी। सब ने हमेशा मेरे टैलेंट पर विश्वास रखा है। टैलेंटेड है, हर रोल कर सकती है। वह सहारा हमेशा रहा है, थैंक्स।

आपकी भूमिकाओं में विविधता रही है। कह सकते हैं कि आप इंडस्ट्री में पैदा हुई हैं। सारी सुविधाएं आपको मिलती रही हैं। मैं चमेली, देव,ओमकारा जैसी फिल्मों के किरदारों का नाम लूंगा। इन्हें निभाने की प्रेरणा कैसे मिली? ढेर सारे एक्टर कहते हैं कि एक्टिंग अपने अनुभवों को जीना है, लेकिन जो किरदार आपके अनुभव क्षेत्र से बाहर के हों, उनके बारे में क्या कहेंगी?

अनुभव सिर्फ देखने और जीने का नहीं होता है। मैं बहुत स्पॉन्टेनियस एक्टर हूं। मैं उस कैरेक्टर के बारे में सोचती हूं। डायरेक्टर से बात करती हूं। फिर खुद उसकी इमेज बनाती हूं और तय करती हूं कि मुझे क्या करना चाहिए। मैं आधा घंटा सोच कर कुछ नहीं करती। रोना हो तो मैं अभी रोना शुरू कर दूंगी। इसे गॉड गिफ्ट कह सकते हैं। कॉमेडी सीन करना हो तो ऐसे भी मैं कर लेती हूं। एक्टिंग का इतना पैशन है कि अपने आप आ जाता है। मैं मेथड एक्टर नहीं हूं।

आपकी एक्टिंग में कोई मेथड नहीं हैं? लाइफ में कोई मेथड है?

लाइफ में मैंने कहा न कि मैंने हमेशा दिल की बात सुनी है। मुझे लोगों की ज्यादा परवाह नहीं है। सिर्फ अपने परिवार की परवाह है। मेरी फैमिली पर कोई दाग और चोट नहीं आनी चाहिए। मैं अपने मां-बाप और करिश्मा से बहुत प्यार करती हूं। मैंने करियर से ज्यादा अपनी फैमिली को अहमियत दी है। एक खास दर्जे पर रखा है। मैं अपनी फिल्मों में कितनी भी व्यस्त रहूं, फैमिली के लिए वक्त निकालती हूं। फैमिली को प्यार देती और उनसे प्यार लेती हूं। यह सब कॉन्फिडेंशियल रहता है। किसी को बताने की क्या जरूरत है।

आपके पेशे में फिट रहना जरूरी है। इसके अलावा होठों पर मुस्कान रहनी चाहिए। आंखों में चमक रहनी चाहिए। आप पब्लिक फिगर हैं। कहीं से भी न दिखे कि आप

आजकल मीडिया भी इतनी एक्टिव है। हमेशा सवार रहती है। ठीक है, उसमें कोई खराबी नहीं है। इसी में जी रहे हैं हम लोग। चल रहे हैं। चौबीसों घंटे अलर्ट रहना पडता है। मैंने हमेशा अपने दिल की बात सुनी है। मुझे बहुत हेल्प किया है मीडिया ने। मैंने कभी मनिप्युलेट नहीं किया है। लोग तो हमें हमेशा फ्रेश और स्माइलिंग फेस में देखना चाहते हैं। उनके दिमाग में इमेज बनी रहती है। उन्हें क्या मतलब कि किसी दिन हमारा भी मूड खराब रहता है।

मुझे याद है एक इंटरव्यू में आपने कहा था कि मैं रोल के लिए किसी के घर खाना बनाने नहीं जाती और रोल के लिए मैं किसी के साथ शॉपिंग नहीं कर सकती?

सुनने में आता है कि कई ऐक्ट्रेसेज ऐसा करती हैं, पर कभी देखा तो है नहीं। सुनने में आता है कि वे फोन करती हैं आजकल। इस हीरो को फोन करती हैं। उस प्रोड्यूसर को फोन करती हैं। मैंने आज तक किसी को बोला नहीं है। मेरे पास अपने-आप फिल्में आई हैं।

फैमिली के अलावा दोस्तों पर भी पूरा ध्यान देती हैं?

कुछ बचपन के दोस्त हैं। कुछ फिल्मों से बाहर के दोस्त हैं। दो-तीन लोग हैं मेरे फ्रेंड, जैसे रीना है। उन सभी से मिलती रहती हूं। उनसे अलग तरह की एनर्जी और फीलिंग मिलती है।

रीना से कई बार मेरी बात हुई। वह भी बताती हैं कि कैसे करीना आज की करीना होने पर भी पहले की करीना हैं।

जब दो साल की थी, तब से उसके साथ मैं खेल रही हूं। आज तक वह रिश्ता कायम है। ऐसे कई लोग रहे हैं। वे मेरी फैमिली के जैसे हैं। हीरो के साथ कोई ज्यादा दोस्ती नहीं है। हम लोग साथ में काम करते हैं, बस जैसे अजय देवगन हो गए, अक्षय कुमार हैं। ये सब करिश्मा के हीरो हैं। मुझे एकदम बच्ची की तरह लेकर चलते हैं सब। पूरा खयाल रखते हैं। अच्छा लगता है। इंडस्ट्री में बाकी किसी के साथ सोशलाइजिंग नहीं है। एक डायरेक्टर हैं करण जौहर उनके साथ अच्छा लगता है। दोस्ती-यारी है हमारी। एक-दो महीनों में एक बार मिल लेते हैं। फिल्मों के अलावा सारी बातें होती हैं। मैंने करण को कभी नहीं बोला है कि पिक्चर में लो। उनके पास रोल हो तो बात करते हैं, नहीं तो कभी फिल्म के बारे में बात नहीं करते हैं। मुझे बिलकुल पसंद नहीं है कि मैं किसी से फिल्म के लिए बात करूं या यह सोचूं कि फलां के साथ मेरी पेयरिंग हो जाएगी तो करियर को फायदा होगा। यह सब कभी किया ही नहीं।

कहा और माना जाता है कि आपमें एरोगेंस है। इस एरोगेंस को आपके आलोचक पसंद नहीं करते। उनकी राय में इंडस्ट्री की फ‌र्स्ट फैमिली की होने की वजह से आपमें यह अहंकार है। क्या कहेंगी?

मुझमें एरोगेंस नहीं है। पहले लोग ऐसा बोलते थे। चूंकि मेरा स्ट्रगल दूसरी हीरोइनों जैसा नहीं था, इसलिए लोगों को लगा होगा कि करीना तो कपूर खानदान की है। उसे सब हासिल है। सारे डायरेक्टर तो उसके पास हैं। अगर आप कहीं और से आकर छोटी शुरुआत करते हैं तो पूरी सिंपैथी मिलती है।

अंडरडॉग के प्रति वैसे ही

करीना कभी अंडरडॉग रही ही नहीं। यही तो प्रॉब्लम रहा है। इसलिए लोगों को लगता है कि मैं एरोगेंट हूं। जो फैन हैं मेरे, मीडिया में जो बात करते हैं मुझसे, उनसे पूछें तो कहेंगे कि मैं बिलकुल एरोगेंट नहीं हूं। मेरी पर्सनैलिटी ही ऐसी है। थोडी दूरी रही है सबसे। किसी से ज्यादा भाव नहीं लेना है और न देना है तो लोगों को लगा कि एरोगेंस है। यहां एक लडकी का रिस्पेक्ट नहीं है। हमें अकेले ही जूझना पडा है। करिश्मा भी अकेली लडकी थी। मेरी मां ने मुझे अकेले पाला। खुद को प्रोटेक्ट करना सिखाया।

तो एरोगेंस आपका रक्षाकवच है?

क्योंकि यह इंडस्ट्री बहुत खतरनाक जगह है। यहां लडकियों को अपनी रक्षा स्वयं करनी पडती है।

आप भी मानती हैं इस चीज को?

मानती हूं। यहां टैलेंट की कद्र तो है, मगर बहुत सारे लोगों को बिना टैलेंट के भी मिला है। लेकिन आखिरकार टैलेंट की ही जीत होती है।

फिल्म इंडस्ट्री में भी मेल डॉमिनेशन है। क्या आपको लगता है कि उसकी वजह से आपको समान अवसर नहीं मिले?

मुझे अच्छे रोल मिले हैं। रिफ्यूजी से लेकर 3 इडियट्स तक। 3 इडियट्स वैसे मेल डॉमिनेटेड फिल्म है, फिर भी मेरा कैरेक्टर पसंद किया गया। यह इस पर निर्भर करता है कि आप मिले रोल को कैसे निभाते हैं! अभी भी लोग बोलते हैं कि करीना ने अच्छा रोल किया। जहां भी मैं जाती हूं, छोटे-छोटे बच्चे आकर बोलते हैं तो अच्छा लगता है। एक समय के बाद आपकी जैसी पर्सनैलिटी हो, आप जैसी एक्ट्रेस हों, वैसे रोल लिखे या बदले जाते हैं।

किसी डायरेक्टर से रोल की वजह से क्रिएटिव लेवल पर बहस हुई?

स्क्रिप्ट अच्छी लगती है, तभी हां करती हूं। एक बार डिसाइड कर लिया है कि इनके साथ काम करना है तो आगे कुछ नहीं बोलती। जैसे मैंने डिसाइड कर लिया कि कम्बख्त इश्क में काम करूंगी तो सेट पर मैं नहीं बोल सकती कि ऐसे नहीं करना है, वैसे नहीं करना है। फिल्म साइन की है तो जिस तरह से डायरेक्टर को दिखाना है, दिखाए। मैं सेट पर अपना दिमाग नहीं चलाती। इंटरफेयर नहीं करती।

किनकी सलाह या मदद लेती हैं ?

कभी-कभी करिश्मा से बात कर ली तो ठीक है। सैफ हमेशा सलाह देता है। उसने कहा है कि कभी दूसरों के बारे में मत सोचना। सिर्फ अपने बारे में सोचो और अपने से ही कंपीट करो। मीडिया में जो लिखा जाता है, उस पर ध्यान मत दो, इसलिए मैं अपने मकसद के ऊपर लगी हूं।

आपकी पर्सनैलिटी में एक मेल कॉन्फिडेंस भी है। क्या मां और आप दोनों बहनों की वजह से एक पुरुष की कमी पूरी करने के लिए आपने उसे डेवलप कर लिया?

हां, शायद वो था। वो हमेशा रहा है। हम दोनों बहनों पर मॉम ने ज्यादा ध्यान दिया है। स्ट्रांग पर्सनैलिटी हो गई है मेरी। मुझे खास इंडिविजुअल नेचर मिला है। काम करने की लगन मिली है। हमने एक दीवार बना रखी है। खुद को प्रोटेक्ट करने के लिए जरूरी था। यह बचपन से हो गया है।

पहला डिसीजन जो आपने लिया हो और पूरी फैमिली ने एक्सेप्ट कर लिया हो?

छोटी उम्र में ही डिसाइड कर लिया था कि करिश्मा हीरोइन बनेगी तो मैं भी हीरोइन बनूंगी। चाहे कुछ भी हो। वहां टॉप पर पहुंचेंगे, वो भी हमने डिसाइड कर लिया था। कपूर खानदान का नाम रोशन करेंगे। पापा को यह प्रॉमिस किया, क्योंकि वो बहुत प्रेशर और टेंशन में थे कि क्या होगा। बच्चों का क्या होगा? अकेले कैसे सरवाइव करेंगी। अभी मैं अपने फादर के साथ बैठती हूं तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं कि मेरी बेटियों ने एकदम हीरो जैसा काम किया है, तो अच्छा लगता है।

अगर मैं आप से पूछूं इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में जितनी भी हीरोइन रही हैं जो टॉप पर पहुंचीं, उनमें से किसी तक पहुंचना आपके एंबिशन में है या बिलकुल अलग ऊंचाई पर पहुंचना चाह रही हैं।

मुझे तो माउंट एवरेस्ट से भी आगे जाना है। बहुत कम एक्ट्रेस हैं, जिन्हें मैं रिस्पेक्ट करती हूं। पहले की हैं कुछ जैसे वहीदा जी, नर्गिस जी, शर्मिला जी, माधुरी, श्रीदेवी, करिश्मा एंड काजोल। बाकी एक्ट्रेस की तरफ मैंने ध्यान नहीं दिया। मैंने जिनके नाम लिए वे लोग स्टार भी थे और उनमें एक्टिंग की भी तलब थी। आजकल की ज्यादातर हीरोइनों की फिल्में नहीं देखी हैं। प्रियंका में थोडी-बहुत तलब है। एक्टिंग की तरफ उनका ध्यान है तो देखने में अच्छा लगता है।

ऊंचाई की तरफ बढने के साथ अकेलापन बढता जाता है। किसी को साथ लेकर ऊपर नहीं जा सकते।

सफर में एक बात ध्यान रखना पडता है कि जो ऊपर जाता है, उसको एक बार नीचे आना ही पडता है। फैमिली और अच्छे दोस्तों का साथ रहना चाहिए। जो लोग ऊपर चढते हुए मिले हैं न, हमेशा उनका हाथ पकड कर चलना चाहिए। उनको कभी भूलना नहीं चाहिए। एंबिशन तो है, लेकिन मुझे अपने तरीके से पहुंचना है।


Comments

callezee said…
Kareena Always rocks.My small suggestion.Post this in social media sites..

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को