'लगान' से बढ़ी प्रयोग की हिम्‍मत-आमिर खान

-अजय ब्रह्मात्‍मज

बतौर एक्टर मैं अपनी हर फिल्म को सौ फीसदी अहमियत देता हूं। इसके बावजूद लगान मेरे लिए खास और अहम फिल्म है। यह मेरे होम प्रोडक्शन की पहली फिल्म है। मैंने पिता और चाचा को करीब से देखा था। फिल्म निर्माण के नुकसान से परिवार की मुश्किलों को मैं समझता था। मैंने तय कर रखा था कि मुझे कभी निर्माता नहीं बनना है। अपने पुराने इंटरव्यू में मैंने साफ कहा था कि मैं कभी निर्माता नहीं बनूंगा, लेकिन लगान की स्क्रिप्ट ने मुझे निर्माता बनने पर विवश कर दिया।

आशुतोष गोवारीकर ने मुझे एक्टर के तौर पर यह कहानी सुनाई थी। मुझे स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई। मैंने आशु को सलाह दी कि तू मेरा नाम लिए बगैर निर्माताओं को स्क्रिप्ट सुना। अगर किसी को स्क्रिप्ट पसंद आए तो ही बताना कि इसमें आमिर है। फिल्म इंडस्ट्री के माइंडसेट को मैं अच्छी तरह समझता था। आशुतोष का कॅरियर दो फ्लाप फिल्मों का था। मुझे भी डर था कि निर्माता उस पर बेवजह दबाव डाल सकते हैं। मुझे स्क्रिप्ट इतनी पसंद थी कि मैं उसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं चाहता था। प्रोड्यूसर न मिलने पर मैंने उसकी भूमिका निभा ली।

लगान के लिए हां कहने में पुरानी पीढ़ी के हिम्मती निर्माता-निर्देशकों से प्रेरणा मिली। बिमल राय, महबूब खान, राज कपूर सभी ने अपने समय में जोखिम लिया और अपने दिल की फिल्म पैशन के साथ बनाई। आज हम उन सभी फिल्मों पर गर्व करते हैं। मुझे लगा कि दिल को फॉलो करना सही होगा। इंडस्ट्री में मुझे दस साल हो चुके थे। मेरा मन कह रहा था कि मुझे कुछ तो करना चाहिए। हिट और फ्लाप की परवाह किए बगैर मैंने खुद को झोंक दिया। वह अनुभव बहुत इमोशनल रहा। उन दिनों जो भी सुनता था, वह इसे बंद करने की सलाह देता था। यहां तक कि आदित्य चोपड़ा और करण जौहर ने भी इसे न करने की सलाह दी, लेकिन मेरा और आशुतोष का इस पर विश्वास था।

लगान ने विश्वास दिया कि हम प्रयोग कर सकते हैं। उसकी कामयाबी ने बाद में इंडस्ट्री के लोगों को प्रेरित किया कि वे दिमाग की खिड़कियां खोलकर अलग किस्म की फिल्में बनाएं। लगान ने युवा फिल्मकारों को निर्भीक होने की राह दिखाई। मैं हमेशा अलग किस्म की फिल्में करता रहा था, फिर भी मैं कहूंगा कि मेरे निर्भीक प्रयासों पर लगान ने कामयाबी की मुहर लगा दी।

पहली फिल्म कयामत से कयामत तक की कामयाबी के बाद मैंने नौ फिल्में साइन की थीं। उन फिल्मों को करते हुए मैंने डायरेक्टर और स्क्रिप्ट की अहमियत समझ ली थी। मेरी समझ में आ गया कि स्क्रिप्ट से भी अधिक जरूरी डायरेक्टर है। मैं डायरेक्टर, स्क्रिप्ट और प्रोड्यूसर को जांचने के बाद ही फिल्म के लिए हां कहता हूं। लगान का प्रोड्यूसर बनने के बाद से मेरे होम प्रोडक्शन की फिल्में देख लें.. मैं जोखिम और कामयाबी के साथ आगे बढ़ रहा हूं। लगान ने मेरे इरादों को बुलंदी दी। कई लोगों को लग सकता है कि लगान मेरे कॅरियर का टर्निग पाइंट है। मैं उनसे सहमत होने के साथ कहूंगा कि ये लक्षण मुझमें पहले से थे, हां, उसने मेरे निजी प्रयासों को स्वीकृति दिला दी। उसके बाद से केवल मंगल पांडे को ही मिक्स रेस्पांस मिला।

लगान के सबक के तौर पर कुछ प्वाइंट बताने हों तो मैं कहूंगा कि उसके बाद ही इंडस्ट्री की समझ में आया कि एक ही शेडयूल में फिल्म पूरी करने के क्या फायदे हैं? स्क्रिप्ट भी पहले पूरी कर ली गई थी। बाउंड स्क्रिप्ट उसके बाद ही फैशन में आई। हम अमेरिका से अपूर्व लाखिया को लेकर आए। एक कॉल शीट बनती थी और उस पर मेरे सहित सभी को अमल करना होता था। कई लोग कहते हैं और इंडस्ट्री भी मानती है कि लगान के बाद फिल्म मेकिंग का तरीका बदल गया। मैं तो कहूंगा कि अच्छा ही हुआ। लगान ने फिल्म इंडस्ट्री को दिशा दी। नई सोच के फिल्मकारों को हिम्मत दी। आज उसकी वजह से युवा फिल्मकार प्रयोग कर पा रहे हैं। मैं हैरान होता हूं कि लगान के बाद कोई और फिल्म उस स्तर को क्यों नहीं छू सकी? यकीन करें लगान को दोहरा पाना या उसके सिक्वेल या रीमेक के बारे में सोच पाना भी असंभव है!

इस फिल्‍म पर की मेकिंग पर लिखी पुस्‍तक का अनुवाद 'ऐसे बनी लगान' शीर्षक से मैंने किया था। आप इसकी प्रति मुझ से मंगवा सकते हैं। कीमत है 200 रूपए...brahmatmaj@gmail.com

Comments

Unknown said…
Padman Movie Review

WELCOME to Hindi Web World this website covers different topics related to health tips, movie reviews, bollywood
gossips, hindi quotes, jokes, indian leaders, bhakti.i hope you will enjoy reading it.

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम