ऑन स्‍क्रीन ऑफ स्‍क्रीन :आधुनिक स्त्री की पहचान हैं करीना कपूर

आधुनिक स्त्री की पहचान हैं करीनाबेबो ही नाम है उनका। घर में सभी उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री एक प्रकार से उनके घर का विस्तार है, इसलिए इंडस्ट्री उन्हें प्यार से बेबो बुलाती है। सार्वजनिक स्थानों पर औपचारिकता में भले ही फिल्म बिरादरी उन्हें करीना नाम से संबोधित करती हो, लेकिन मंच से उतरते ही, कैमरा ऑफ होते ही और झुंड में शामिल होते ही वह सभी के लिए बेबो हो जाती हैं।

तोडी हैं कई दीवारें

करीना कपूर का अपने सहयोगी स्टारों से अनोखा रिश्ता है। खान त्रयी (आमिर, सलमान और शाहरुख) के अलावा अजय देवगन उन्हें आज भी करिश्मा कपूर की छोटी बहन के तौर पर देखते हैं। मतलब उन्हें इंडस्ट्री में सभी का प्यार, स्नेह और संरक्षण मिलता है। अपने सहयोगी के छोटे भाई-बहन से हमारा जो स्नेहपूर्ण रिश्ता बनता है, वही रिश्ता करीना को हासिल है। मजेदार तथ्य है कि इस अतिरिक्त संबंध के बावजूद उनकी स्वतंत्र पहचान है। वह सभी के साथ आत्मीय और अंतरंग हैं। पर्दे पर सीनियर, जूनियर व समकालीन सभी के साथ उनकी अद्भुत इलेक्ट्रिक केमिस्ट्री दिखाई पडती है। आमिर से इमरान तक उनके हीरोज की लंबी फेहरिस्त है।

हिंदी फिल्मों की अघोषित खेमेबाजी छिपी नहीं है। खानत्रयी व दूसरे अभिनेता अपनी पसंद की हीरोइनों के साथ काम करते हैं। उनकी कोशिश रहती है कि विरोधी खेमे की करीबी हीरोइनों को वे मौका न दें। अभी के माहौल में केवल करीना कपूर ही खेमों की दीवार तोडकर सभी की फिल्मों में नजर आती हैं। अभी ईद के मौकेपर आई उनकी फिल्म बॉडीगार्ड के हीरो सलमान खान थे। नवंबर में रिलीज हो रही फिल्म रा.वन के हीरो शाहरुख हैं तो अगले साल आमिर के साथ उनकी धुआं रिलीज होगी। तीनों खानों से तालमेल बिठाकर वह उनकी कामयाबी का हिस्सा बन रही हैं। फिलहाल देखने से यही लग रहा है कि जो भी हीरो करीना के साथ आ रहा है, वह कामयाब हो रहा है। पिछले दिनों 100 करोड की कामयाबी व कलेक्शन का काफी शोर हुआ। इस संदर्भ में देखें तो 3 इडियट्स, गोलमाल रिट‌र्न्स और बॉडीगार्ड की हीरोइन करीना हैं, जबकि तीनों फिल्मों के अलग-अलग हीरो हैं, आमिर खान, अजय देवगन, सलमान खान। आज की सफलता के इसी उदाहरण को कुछ सालों पहले तक फ्लॉप फिल्मों की हिट हीरोइन कहा जाता था।

अभिनय के प्रति संजीदा

पिछले दिनों एक बातचीत में मैंने उनसे इस तालमेल के मंत्र के बारे में पूछा था। उनका सीधा सा जवाब था, मुझे उनके व्यक्तिगत राग-द्वेष से कोई मतलब नहीं। मैं अपना रोल देखती हूं। अछा लगता है तो हां करती हूं और अपना काम पूरी संजीदगी व ईमानदारी से करती हूं। न मैं किसी के कान भरती हूं और न उनके बीच के बनते-बिगडते समीकरण पर ध्यान देती हूं। सैफ अली खान को इससे फर्क नहीं पडता कि मैं किस हीरो के साथ फिल्म कर रही हूं। मैं प्रोफेशनल और इंडिपेंडेंट अभिनेत्री हूं। अपने करियर के फैसले खुद ले सकती हूं। करीना के बारे में कहा जाता है कि वह रोल हथियाने के लिए लॉबिंग या चापलूसी नहीं करतीं। अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, मैं करीना कपूर हूं। कपूर खानदान की बेटी हूं। किसी फिल्म या रोल के लिए मुझे डायरेक्टरों के घर जाकर खाना बनाने या उनके साथ शॉपिंग पर जाने की जरूरत नहीं है। अगर कोई मुझे अपनी फिल्म में चुनना चाहता है तो मेरे पास आएगा। करीना मशहूर फिल्म निर्देशक करण जौहर के बेहद करीब हैं, लेकिन उन्होंने कभी करण पर दबाव नहीं डाला कि वे हर फिल्म में उन्हें रखें। उनकी स्पष्ट राय है, अगर करण को अपनी फिल्म में मेरी जरूरत होगी तो वे अवश्य बुलाएंगे। मैं उनके प्रोफेशनल फैसलों का स्वागत करती हूं। करीना कपूर ने अपने दौर के सभी बडे निर्देशकों के साथ काम किया है। निश्चित ही वह कपूर खानदान का नाम रोशन कर रही हैं। मेहनत और प्रतिभा के दम पर उन्होंने खास पहचान हासिल की है। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि कपूर खानदान का होने की वजह से करीना को फिल्में मिलती हैं। अपनी फ्लॉप व साधारण फिल्मों में भी वह कभी कमजोर नहीं दिखतीं। करीना कपूर अपनी पीढी की सशक्त अभिनेत्री हैं।

मां की महत्वाकांक्षा का नतीजा

करीना छोटी उम्र से ही बहन करिश्मा के साथ शूटिंग में आने लगी थीं। उनकी मां बबीता भी साथ होती थीं और कभी-कभी करीना भी आती थीं। बचपन व किशोरावस्था में ही उन्होंने उन गलियों को छान मारा, जिनसे वयस्क होकर अभिनेत्री बनने के बाद उन्हें गुजरना था। यही वजह है कि उन्हें करिश्मा की तरह संघर्ष नहीं करना पडा। उल्लेखनीय है कि बबीता ने जिद व करिश्मा की चाहत के मेल के लिए कपूर खानदान की परंपरा तोडी थी। पृथ्वीराज कपूर के समय से ही कपूर खानदान की बहू-बेटियों ने फिल्मों में काम नहीं किया। शशि कपूर की पत्नी एक अपवाद थीं, जिन्होंने थिएटर और फिल्मों में छिटपुट अभिनय किया। खानदान की कथित मर्यादा को भंग करने की इस हिमाकत के लिए करिश्मा को ताने व तनाव सहने पडे। लेकिन बबीता ने उन्हें हिम्मत दी। लंबे अभ्यास से उन्होंने अभिनय को संवारा और यश चोपडा और श्याम बेनेगल सरीखे निर्देशकों की चहेती बनीं। करीना ने बडी बहन की जद्दोजहद को करीब से देखा और सबक की गांठें बांधती गई। बेबो को स्टार बनने व चमकने में वक्त नहीं लगा।

आत्मविश्वास से भरपूर

टूटे परिवारों से आए बचों में रिक्तता व अकुलाहट रहती है। करीना के माता-पिता में घोषित तलाक नहीं हुआ, लेकिन काफी पहले से दोनों अलग रहे। बबीता ने अकेले बेटियों को पाला। शायद इसी कारण करीना एक मजबूत पर्सनैलिटी के तौर पर उभरीं। स्वतंत्र स्वभाव के साथ ही परिवार की संरक्षक बन गई। मां की सीख में खुद को और परिवार को प्रोटेक्ट करने में रक्षा कवच बन गई। बडी बहन करिश्मा की तरह उन्हें झेलना नहीं पडा, इसलिए उनकी आवाज एवं पर्सनैलिटी में खालीपन नहीं है। आत्मविश्वास से भरपूर लडकी की तरह वह जीवन, करियर और भविष्य के फैसले ले सकती हैं। करीना के शब्द मुझे याद हैं, पहले जब हम दोनों बहनों के फिल्मों में आने की बात चली तो पापा बहुत तनाव व दबाव में थे। हमने उनसे वादा किया था कि हम खानदान का नाम रोशन करेंगे। अब जब हम पापा के साथ बैठते हैं तो पुरानी बातें याद करने पर उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वे कहते हैं कि मेरी बेटियों ने हीरो जैसा काम किया। साथ ही करीना मां की भूमिका को रेखांकित करती हैं, क्योंकि हमने जो भी पाया है, मां के आशीर्वाद से हमें मिला है।

करीना के करियर पर नजर डालें तो उनकी पहली फिल्म रिफ्यूजी थी कुछ लोग जानते हैं कि रितिक की पहली फिल्म कहो ना प्यार है के लिए राकेश रोशन ने पहले उनका चुनाव किया था। बबीता से सहमति न होने से फिल्म में अमीषा पटेल आ गई। करीना को इसका अफसोस नहीं रहा। रिफ्यूजी की रिलीज के पहले करीना ने एक इंटरव्यू में बताया था, राकेश जी अपने बेटे को लॉन्च कर रहे थे। उनका बेटा तो स्टार बन गया लेकिन लडकी को फायदा नहीं हुआ।

प्रोड्यूसरों की लाइन लडके के घर के बाहर लगी है, लडकी के घर के बाहर नहीं। फिर मैं क्यों अफसोस करूं? वह तब रिफ्यूजी से खुश थीं। तब बचन परिवार के लडके व कपूर परिवार की लडकी की लॉन्चिंग थी। उन दिनों अभिषेक और करिश्मा के रोमैंस की भी खबरें आ रही थीं। फिल्म इंडस्ट्री के लिए रिफ्यूजी एक बडी घटना थी। हालांकि अभिषेक-करिश्मा की मंगनी टूटने से दोनों परिवारों के रिश्ते में खटास आ गई थी, लेकिन करीना ने अमिताभ बचन या अभिषेक के लिए कभी अनादर नहीं प्रकट किया। वह हर रिश्ते को अपने ढंग से जीती हैं।

मॉडर्न व सहज

बहरहाल करीना के करियर की नाव सफलता की लहरों तक आने के पहले डगमगाती रही। बीच-बीच में वह समीक्षकों व दर्शकों को प्रभावित करती रहीं, लेकिन सही स्टारडम उन्हें जब वी मेट की बंपर सफलता से मिला। इस फिल्म में इम्तियाज अली ने करीना की स्वत: स्फूर्त प्रतिभा का संपूर्ण उपयोग किया। गीत जब कहती है कि मैं अपनी ही फैन हूं तो उसमें एरोगेंस से ज्यादा स्वाभिमान झलकता है। चमेली की शीर्षक भूमिका और ओमकारा की डॉली की भूमिका में उन्होंने कई पुरस्कार जीते। उन्होंने साबित किया कि संवेदनशील निर्देशक व किरदार में गहराई हो तो वह डूबने से नहीं कतरातीं। करीना से आप गिफ्ट में सिर्फ तीन फिल्में मांगें तो वह चमेली, ओमकारा और जब वी मेट ही देंगी।

करीना के आलोचकों का एक समूह मानता है कि स्वछंद जिंदगी के मोह में करीना करियर पर पूरा ध्यान नहीं देतीं। समकालीन अभिनेत्रियों में वह अकेली हैं, जो एक साथ चमेली व टशन जैसी भूमिकाएं निभा सकती हैं। ओमकारा की डॉली और कमबख्त इश्क की बेबो को पर्दे पर जीवंत कर रही एक ही अभिनेत्री है करीना.. यकीन नहीं होता। करीना नहीं मानतीं कि वह करियर के प्रति लापरवाह हैं। वह गंभीर, हलकी-फुल्की और बिलकुल मॉडर्न भूमिकाओं के बीच संतुलन बिठा कर चलना चाहती हैं। न तो उन्हें घोर कमर्शियल फिल्मों से परहेज है और न सीरियस किस्म की फिल्मों से अतिरिक्त लगाव है। करीना मानती हैं, मेरे पास अभी वक्त है। मैं दर्शकों को हर तरह से संतुष्ट करने के बाद ही अपनी पसंद की फिल्में करूंगी। समर्थकों व प्रशंसकों को मैं बताना चाहूंगी कि मैं कभी दो गाने या दो सीन की फिल्में नहीं करूंगी। बॉडीगार्ड जैसी फिल्म में भी मेरे लिए कुछ था। अब तो निर्देशक भी जानते हैं कि करीना को लेना है तो रोल कायदे से लिखना पडेगा।

करीना के प्रेम प्रसंगों को तब विराम मिल गया, जब वह सार्वजनिक जगहों पर भी शाहिद कपूर के साथ दिखने लगीं। उन्होंने अपने संबंध को पारदर्शी रखा और शाहिद से अपनी अंतरंगता को छिपाने की कोशिश नहीं की। दोनों के प्रेम संबंधों का सुंदर नतीजा जब वी मेट है। इसमें करीना व शाहिद की जोडी दर्शकों को इसलिए भी पसंद आई कि दोनों की आंखों से छलकती परस्पर आसक्ति उन्हें दिखी। इसके पीछे सिर्फ स्क्रिप्ट या निर्देशक की कल्पना नहीं थी। संयोग है कि जब वी मेट की रिलीज के समय तक दोनों के संबंध टूट चुके थे। करीना तब सैफ के साथ नजर आने लगी थीं। लोगों ने शाहिद से सहानुभूति जाहिर की। इसके बावजूद इस जोडे ने कभी एक-दूसरे पर आरोप नहीं लगाया। धीरे-धीरे सैफ-करीना की जोडी सैफरीना के नाम से स्वीकृत हो गई। अब इनकी शादी के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले महीने सैफ के पिता नवाब अली खान पटौदी का देहांत हो गया। मातम के इस मौकेपर हम सभी ने सैफ के परिवार की महिला सदस्यों के साथ शोक संतप्त करीना को सफेद लिबास में देखा। करीना खुद को इस परिवार का हिस्सा मानती हैं। उनके लिए शादी एक सर्टिफिकेट है, जिसकी अपनी अहमियत है। फिलहाल वह सैफ के साथ बगैर इस सर्टिफिकेट के ही खुश हैं।

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करीना के जीवन-रुचि-करियर की सर्वांगीण जानकारी रुचिकर तरीके से देता आलेख। शुक्रिया।

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