‘सत्याग्रह’ में पॉलिटिकल जर्नलिस्ट हूं मैं-करीना कपूर

-अजय ब्रह्मात्मज

    आम धारणा है कि शादी के बाद फिल्म अभिनेत्रियों को नई फिल्मों के ऑफर नहीं मिलते। उन्हें घर पर रहना पड़ता है। कुछ सालों पहले की इस सच्चाई को हाल-फिलहाल में शादीशुदा हुई अभिनेत्रियों ने झुठला दिया है। विद्या बालन ‘घनचक्कर’ पूरी करने के बाद ‘शादी के साइड इफेक्टस’ की शूटिंग कर रही हैं। हाल ही में निर्णायक मंडल के सदस्य के तौर पर उन्होंने कान फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लिया। करीना कपूर भी व्यस्त हैं। उन्होंने प्रकाश झा की ‘सत्याग्रह’ की शूटिंग पूरी कर ली है। फिलहाल वह धर्मा प्रोडक्शन की ‘गोरी तेरे प्यार में’ की शूटिंग कर रही हैं। कमर्शियल के साथ-साथ उद्देश्यपरक और सामाजिक फिल्मों में करीना कपूर की मौजूदगी से हम परिचित हैं। उन्होंने ‘चमेली’, ‘देव’, ‘ओमकारा’ और ‘हीराइन’ जैसी फिल्मों में काम किया है। प्रकाश झा की ‘सत्याग्रह’ इसी तरह की उनकी अगली फिल्म है। इस फिल्म में वह एक बार फिर अजय देवगन के साथ दिखेंगी।
- प्रकाश झा के साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा?
0 अच्छा रहा। मैंने सभी एक्टिव डायरेक्टर के साथ काम किया है। कुछ ऐसा संयोग रहा कि प्रकाश झा के साथ कभी काम करने का मौका नहीं मिला। एक-दो बार हमारी बातें भी हुई। कभी मेरी व्यस्तता और कभी उनकी जरूरत के साथ तालमेल नहीं बैठ पाया। ‘सत्याग्रह’ में हम दोनों की सालों की कोशिश पूरी हुई।
- इस बार तालमेल कैसे बैठ गया?
0 सबसे पहले मुझे कहानी बहुत पसंद आई। यह टॉपिकल विषय पर बन रही फिल्म है। यह आज की समस्याओं की बातें करती है। भ्रष्टाचार और लोकतंत्र के मुद्दों को इसमें उठाया गया है। इसके साथ ही मेरा रोल खूबसूरत है। मैं इसमें एक जर्नलिस्ट बनी हूं। विभिन्न अवसरों पर मैं पत्रकारों से मिलती रही हूं। अब दर्शक देख कर बताएं कि उन्हें मैं कैसी लगी?
- जर्नलिस्ट की भूमिका निभाने में आपकी क्या चुनौतियां रही?
0 मुझे इस भूमिका में एक सबसे बड़ी कमी यह दिखी कि जर्नलिस्ट के तौर पर मुझे कभी किसी से यह सवाल पूछने का मौका नहीं दिया गया कि आपकी शादी कब हुई? यह बात मैंने प्रकाश झा से भी की थी। सालों से मैं यह सवाल सुनती आ रही हूं। अगर मुझे मौका मिलता तो मैं पर्दे पर यह सवाल अलग-अलग तरीके से पूछ सकती थी।
- हा हा हा, आप फिल्म पत्रकार नहीं बनी हैं न?
0 जी, मैं इसमें लोकतंत्र और भ्रष्टाचार से संबंधित सवाल करती हूं। जर्नलिस्ट किसी भी फील्ड का हो, उसके सामने अनेक चुनौतियां रहती है। मेरे ख्याल में समय पर स्टोरी फाइल करना सबसे बड़ी चुनौती है। मैंने पत्रकारों के आत्मविश्वास और जोश को इस किरदार में उतारने की कोशिश की है। मैं आज की लडक़ी हूं। एबीपी न्यूज चैनल में काम करती हूं। मैंने देखा है कि आज कल की फीमेल जर्नलिस्ट वेशभूषा और अपीयरेंस में किसी मॉडल या हीरोइन से कम नहीं होतीं। अब कुर्ता, बिंदी और झोले वाली महिला पत्रकार नहीं दिखती हैं। मैं टीवी के लिए काम करती हूं तो मुझे मालूम है कि अच्छा दिखना भी मेरी नौकरी की एक जरूरत है। मैंने प्रकाश झा से कहा था कि मुझे बहन जी टाइप मत बनाना। न तो मैं खादी के कुर्ते पहनूंगी और न झोला टांगूंगी। हम ने पूरी फिल्म के मुताबिक इस किरदार को भी रियल रखा है।
- थोड़ा अपने किरदार के बारे में बताएं?
0 मैं हमेशा फील्ड में रहती हूं। बाहर से रिपोर्टिंग करती हूं। भ्रष्टाचार विरोध में चल रहे आंदोलनों की कवरेज के लिए जिला-जिला घूमती हूं। राजनीतिक मुद्दे उठाती हूं और गंभीर बातें करती हूं। प्रकाश झा की फिल्मों की तरह यह थोड़ी भारी और गंभीर फिल्म होगी, लेकिन इसमें मनोरंजन भी रहेगा।
- क्या इस किरदार को आपने किसी रियल जर्नलिस्ट पर आधारित किया है?
0 इस किरदार में मैंने बरखा दत्त के जोश को रखा है। और भी कुछ महिला पत्रकार हैं। उन सभी ने मुश्किल हालात में जाकर भी रिपोर्टिंग की है। वह अपने काम के प्रति समर्पित और ईमानदार हैं।
- प्रकाश झा के बारे में आपकी क्या राय है?
0 वे हमेशा समकालीन मुद्दों पर गंभीर फिल्में बनाते रहे हैं। मैंने उनकी ‘गंगाजल’ और ‘अपहरण’ जैसी फिल्में देखी है। पिछले सालों में आई ‘राजनीति’ भी अच्छी फिल्म थी। हल्के-फुल्के और चटपटे विषयों पर वे फिल्में नहीं बनाते हैं। उनकी फिल्मों में हम अपने समय का समाज देख सकते हैं।
- सुना है कि प्रकाश झा बड़े सख्त निर्देशक हैं?
0 वह उनका दिखावा है। प्रकाश झा में निर्देशन के साथ नेतृत्व की भी क्षमता है। इस फिल्म की शूटिंग में उन्होंने कुछ दृश्यों में दो हजार से अधिक कलाकारों को भी निर्देशित किया। आप कभी उन्हें शूट करते देखो तो समझ जाओगे कि वे कब कितने सख्त और कितने नरम होते हैं।
- उनकी कौन सी फिल्म आपको सबसे ज्यादा अच्छी लगी?
0 मैं ‘गंगाजल’ का नाम लूंगी। उसमें अजय देवगन का शानदार परफारमेंस था।
- अमिताभ बच्चन के साथ का अनुभव बताएं?
0 अमित जी के साथ ‘कभी खुशी कभी गम’ और ‘देव’ कर चुकी हूं। दस सालों के बाद फिर से उनके साथ काम कर रही हूं। वे माहौल को बहुत हल्का बना देते हैं। आज भी वे अपने सहयोगी कलाकार की जरूरतों का ख्याल रखते हैं। इस फिल्म में मैं उनके सपोर्ट में हूं।


Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम