दरअसल: विधु विनोद चोपड़ा की कोशिश


अजय ब्रह्मात्मज
    पिछले हफ्ते आमिर खान और अमिताभ बच्चन ने विधु विनोद चोपड़ा की अंग्रेजी फिल्म 'ब्रोकेन हॉर्सेजÓ के ट्रेलर की लॉन्चिंग की। इन दिनों ट्रेलर लॉन्चिंग एक इवेंट बन गया है। टीवी और सोशल मीडिया के लिए फोटो और फुटेज मिल जाते हैं। हालांकि लॉन्चिंग के कुछ मिनटों के बाद ट्रेलर, गाने और प्रोमो यू-ट्यूब पर उपलब्ध हो जाते हैं। फिर भी ऐसे इवेंट का अपना महत्ब बनता और बढ़ता जा रहा है। समकालीन घटनाओं को रिकार्ड और संरक्षित करना बेहद जरूरी काम है। ऐसे इवेंट पर सोच-समझ के साथ या बेखयाली में कही गई बातों का भी ऐतिहासिक संदर्भ बनता है। 'ब्रोकेन हॉर्सेजÓ के ट्रेलर लॉन्च पर विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी ख्वाहिशों का जिक्र किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और लगन व मेहनत में कोई कमी न रहे तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उन्होंने अपनी कोशिश का उदाहरण दिया। कश्मीर के हिंदी मीडियम में डीएवी स्कूल से पढ़ा लड़का इसी लगन और मेहनत से आज अंग्रेजी फिल्म बना सका है।
    डीएवी स्कूल में पढ़ते समय विधु विनोद चोपड़ा ने पढ़ाई के साथ धर्मशिक्षा भी ली। आठवीं जमात में आने पर उन्होंने अंग्रेजी का एबीसी सीखा। तब उनकी उम्र लगभग 16 साल थी। विधु खुद कहते हैं, तब सोचा भी नहीं था कि कभी फिल्में बनाऊंगा। फिल्में हो गईं तो भी कहां सोचा था कि मैं अंग्रेजी में फिल्म बनाऊंगा। अंग्रेजी फिल्म लिखना, प्रोड्यूस करना और डायरेक्ट करना और वह भी वहां के कलाकारों के साथ। 'ब्रोकेन हॉर्सेजÓ मेरे लिए फिल्म से अधिक एक सपना है, जो पूरा हो गया। सच कहूं तो यह सनक होती है। मैंने अभिजात जोशी के साथ इसे लिखना शुरू किया और तय किया की अंग्रेजी में हॉलीवुड में फिल्म बनाएंगे। हमारी इस कोशिश पर भी फिल्म बन सकती है। इसे लिखते समय हमलोगों ने दुनिया की बेहतरीन स्क्रिप्ट अपने पास रखी। 'चाइना टाउनÓ, 'सिक्स्थ सेंसÓ, 'गॉडफादरÓ और कुरोसावा की फिल्मों की स्क्रिप्ट भी थी। अपने सीन लिखने के बाद मैं जाकर उन्हें पढ़ता था। मंशा यही थी कि हमें अच्छा काम करना है। मैं सभी जवान दोस्तों से यही कहूंगा कि अपने पैशन और सपने के पीछे पागल की तरह पड़ जाओगे तो उसे अवश्य पूरा कर लोगे।
    विधु विनोद चोपड़ा ने 'सजा-ए-मौतÓ से 'एकलव्यÓ तक के सफर में हमेशा लीक से हट कर फिल्में बनाईं। उन्होंने दूसरे निर्देशकों को भी अपने बैनर से फिल्में बनाने का मौका दिया। उनमें से राजकुमार हिरानी आज बहुत ही सफल और सार्थक निर्देशक के तौर पर उभरे हैं। उन्होंने अनेक प्रतिभाओं को भी अवसर दिए। विधु विनोद चोपड़ा थोड़े मुंहफट और स्पष्टवादी हैं, इसलिए उनकी बातों में कई बार अहमन्यता झलकती है। जो उन्हें नहीं जानते, उन्हें उनकी बातें हवाई भी लग सकती हैं। दिल और लगन के सच्चे विधु विनोद चोपड़ा ने हमेशा अपनी फिल्मों में कंटेंट को तरजीह दी। फिल्में बिजनेस कर लें तो बहुत अच्छा। अन्यथा उन्हें इसका सुकून रहता है कि कमाई के लिए उन्होंने किसी प्रकार का समझौता नहीं किया। वे एक और अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होंने एक अंग्रेजी प्रकाशक की मदद से गुरु दत्त और राजकुमार हिरानी की फिल्मों की स्क्रिप्ट किताब के तौर पर छपवाई है। ऐसी किताबें नए लेखको, निर्देशकों और फिल्म निर्माण से जुड़े अन्य प्रतिभाओं के लिए मददगार होती हैं।
    अभी कहना मुश्किल है कि 'ब्रोकेन हॉर्सेजÓ को अंग्रेजी दर्शक किस रूप में स्वीकार करते हैं। इस फिल्म की कहानी विधु विनोद चोपड़ा की ही फिल्म 'परिंदाÓ से प्रेरित है। उन्होंने किरदार और कथाभूमि बदली है, लेकिन भावभूमि वही रखी है। अब यह कहानी अमेरिका और मैक्सिको के बॉर्डर के आसपास की हो गई है। 'ब्रोकेन हॉर्सेजÓ मुख्य रूप से विदेशी दर्शकों के बीच विदेशों में रिलीज होगी, लेकिन इसे भारत के भी दर्शक देख सकेगे। विधु विनोद चोपड़ा इसे हिंदी में नहीं लाना चाहते।
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