फिल्‍म समीक्षा : कुंगफू योगा




जैकी चान की बॉलीवुड यात्रा
कुंगफू योगा
-अजय ब्रह्मात्‍मज

भारत और चीन के संबंध सदियों पुराने हैं। बौद्ध धर्म ने दोनों देशों के आध्‍यात्मिक और राजनयिक संबंधों को बढ़ाया। भारत की आजादी और चीन की मुक्ति के बाद दोनों देशों के बीच भाई-भाई का नारा लगा, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद संबंधों में खटास आ गई। सीमा विवाद की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध पहले की तरह मजबूत और भरोसेमंद नहीं हो पा रहे हैं। दोनों देशों को करीब लाने में फिल्‍मों की अप्रत्‍यक्ष भूमिका है। लंबे समय तक भारतीय खास कर हिंदी फिल्‍में चीन में लोकप्रिय रही हैं। यह सिलसिला फिर से जुड़ा है। आमिर खान की 3 इडियट और पीके ने चीन में अच्‍छा कारोबार किया। सच है कि एक आम चीनी हिंदी फिल्‍मों के बारे में जितना जानता है, उतना आम भारतीय नहीं जानते।
इस पृष्‍ठभूमि में जैकी चान का महत्‍व बढ़ जाता है। वे अपनी फिल्‍मों में भारत को और एक्‍सप्‍लोर कर रहे हैं। कुंगफू योगा के पहले उन्‍होंने मल्लिका सहरावत के साथ द मिथ भी बनाई थी। इस बार उन्‍होंने भारतीय कलाकार सोनू सूद, दिशा पाटनी और अमायरा दस्‍तूर को मौका दिया है। साथ ही कुंगफू और योग का संयोग किया है। हालांकि फिल्‍म में कुंगफू का प्रदर्शन तो हुआ है, योग का उपयोग लाक्षणिक ही है।
कहानी जैक(जैकी चान) नामक पुरातत्‍वविद की है। जैकी पुरातत्‍व विशेषज्ञ हैं और प्राचीन इतिहास में उनकी खास रुचि है। अतीत के एक खजाने की खोज के लिए भारतीय पुरातत्‍वविद अस्मिता(दिशा पटानी) उन्‍हें भारत आमंत्रित करती है। भारत आने के बाद उनका मुकाबला उसी खजाने की खोज में लगे लालची रेडल(सोनू सूद) से होती है। जैक अपने चीनी साथियों के साथ आए हैं। वे सभी मार्शल आर्ट में माहिर हैं। अपनी रक्षा और दुश्‍मनों के मुकाबले के लिए वे मार्शल आर्ट का सहरा लेते हैं। भारतीय टीम के सदस्‍य भी कभी-कभी-कभार योग के गुणों का उल्‍लेख करते हैं। आखिरकार, सभी खजाने तक पहुंचते हैं। वहां उनके बीच आदर्श और लोभ की चर्चा के साथ हाथापाई भी होती है। और सब खत्‍म होने के बाद एक बॉलीवुड डांस होता है, जिसमें फिल्‍म के सभी कलाकार और तकनीशियन हिस्‍सा लेते हैं। फराह खान की कोरियोग्राफी में जैकी चान को ठुमके लगाते देख आत्मिक सुख मिलता है। चीन के एक बड़े स्‍टार को हिंदी फिल्‍मों ने नचा ही दिया।
इस फिल्‍म को जैकी चान की बालीवुड यात्रा के तौर पर भी देखा जा सकता है। प्राचीन चीनी यात्री ह्वेन सांग और फाह्यान ने बौद्ध धर्म के ज्ञान के लिए भारत की यात्रा की थी। 21 वीं सदी में जैकी चान ने बॉलीवुड के मनोरंजन के लोकप्रिय ज्ञान की यह यात्रा की है।
फिल्‍म में मगध के खजाने की खोज राजस्‍थान में की जा रही है। यह खजाना तो वैसे आज के राजगीर के पास होना चाहिए। बिहार में शूटिंग की मुश्किलों की वजह से मगध की कथाभूमि राजस्‍थान में रखी गई। फिल्‍म में मगध को लगातार मागध बोलना कानों को खटकता रहा। ऐतिहासिक संदर्भो में कुंगफू योगा में प्रामाणिकता की परवाह नहीं की गई है।
अवधि* 140 मिनट
स्‍टार- ढाई स्‍टार

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