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अमिताभ बच्‍चन से बातचीत

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--स्मिता श्रीवास्तव/अमित कर्ण  भारतीय सिनेमा प्रयोग के दौर से गुजर रहा है। कहानियों में हो रहे प्रयोग दर्शकों और समीक्षकों को भा रहे। संभवत: पहली बार शीर्षक के साथ अनोखा प्रयोग किया गया है। यहां पर बात हो रही है आर. बाल्की की फिल्म ‘षमिताभ’ की। धनुष और अमिताभ बच्चन अभिनीत इस फिल्म का शीर्षक दोनों कलाकारों के नामों को जोडक़र बनाया गया है। भारतीय सिनेमा के इतिहास में संभवत: पहली मर्तबा कलाकारों के नाम पर शीर्षक रखा गया है। फिल्म छह फरवरी को रिलीज हो रही है। फिल्म और जीवन के अन्य पहलुओं पर अमिताभ बच्चन ने खुलकर बात की : -इधर लगातार आ रही आपकी फिल्मों में आपकागेटअप और लुक काफी अलग दिखा है। यह संयोग मात्र है या रोल च्वाइस में देखने को मिलता है? रोल च्वाइस में होता है। जैसी पटकथा लिखी जाती है उसी के अनुरूप निर्देशक हमें बताता है कि ऐसा लुक होना चाहिए। हम वही रूप धारण कर लेते हैं। -एक जमाने में यह शिकायत रहती थी कि हर फिल्म में अमित जी रहते हैं? वो जवानी का दौर था। अब उस तरह का काम हमें मिलने नहीं वाला है। उसमें रोमांटिक हीरो हुआ करते थे। थे। एक ही काम करना पड़ता था। हीरोइन को अपनी बांहों

दीवार

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40 साल पहले आज ही के दिन 21 जनवरी 1975 को दीवार रिलीज हुई थी। इसके निर्देशक यश चोपड़ा थे। इस फिल्‍म ने ही अमिताभ बच्‍चन को स्‍टारडम की ऊचाई दी थी। इस फिल्‍म में उनके साथ शशि कपूर और निरूपा राय की भी खास भूमिका थी। इसके पहले 'जंजीर' से उन्‍हें एंग्री यंग मैन की मिली छवि का 'दीवार' ने पुख्‍ता कर दिया था। दोनों ही फिल्‍मों के लेखक सलीम-जावेद थे।  यश चोपड़ा ने पहले राजेश खन्‍ना को विजय और नवीन निश्‍चल को रवि की भूमिका देने की सोची थी। तब उनकी मां की भूमिका वैजयंती माला निभाने वाली थीं। कहते हैं सलीम-जावेद ने शत्रुघ्‍न सिन्‍हा को ध्‍यान में रख कर विजय का रोल लिखा था। वे राजेश खन्‍ना के नाम पर राजी नहीं थे,क्‍योंकि उनसे उनकी अनबन चल रही थी। राजेश खन्‍ना के नहीं चुने जाने पर नवीन निश्‍चल और वैजयंती माला ने भी फिल्‍म छोड़ दी। मां की भूमिका के लिए यश चोपड़ा ने वहीदा रहमान के बारे में भी सोचा था,लेकिन 'कभी कभी' में पति-पत्‍नी की भूमिका निभा रहे अमिताभ बच्‍चन और वहीदा रहमान को साथ में लेना उचित नहीं लगा।  अमिताभ बच्‍चन ने 'दीवार' के साथ-साथ 'शोले' औ

शमिताभ नहीं 'षमिताभ' कहिए-लिखिए जनाब!

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  पढ़ने और बोलने में यह भले ही अजीब सा लगे, लेकिन धनुष और अमिताभ बच्चन की आर बाल्‍की निर्देशित फिल्म का नाम 'षमिताभ' ही होगा। अभी तक हिंदी मीडिया में इसे 'शमिताभ' लिखा और बोला जा रहा था। यह भूल हिंदी में पोस्टर नहीं आने की वजह से चल रही थी। कल जब ट्रेलर आया तो पता चला कि अमिताभ में धनुष के ष को जोड़ कर अनोखा नाम बनाया गया है, इसलिए इसे 'षमिताभ' लिखना और बोलना ठीक रहेगा। उच्चारण दोष से बहुत कम लोग ही बोलने में ष और श का भेद रख पाते हैं। अमूमन बताते समय भी यही समझाया जाता है कि षटकोण का ष। स्वयं अमिताभ बच्चन ने स्पष्ट किया कि फिल्म के नाम में षटकोण के ष का इस्तेमाल होगा। उल्लेखनीय है कि हिंदी में ष से आरंभ होने वाले शब्दों की संख्या बहुत कम है। एक भाषाविद् ने षमिताभ का अर्थ पूछने पर यों बताया, 'ष हिंदी और संस्कृत में अंक छह का सूचक है, इसलिए कह सकते हैं कि छह अमित आभाओं का व्यक्ति षमिताभ होगा। फिल्म की रिलीज तक इस नाम के अर्थ का रहस्य बना रहेगा। हिंदी शब्‍दकोष भी देखें तो ष से आरंभ होने वाले शब्‍द बमुश्किल 20-25 मिलेंगे।

पिडली सी बातें क्‍यों करती हो शरमा के

जोश की न उम्र होती है और न उत्‍साह की कोई वय अमिताभ ने गाया शमिताभ में दिया पिडली को लय । Piddly si baat ein, kyun karti ho sharma ke पिडली सी बातें क्‍यों करती हो शरमा के Piddly si baatein पिडली सी बातें Piddly ye raatein, main sach karun aate jaate पिडली ये रातें,मैं सच करूं आते जाते Piddly ye raatein पिडली ये रातें Pagla hoon yaar, pagla hai pyar पगला हूं यार,पगला है प्‍यार Aise hi ch al ta hai ye kaaro baar ऐसे ही चलता है ये कारोबार Pyar ke saaye mein sab piddly hai yahan प्‍यार के साए में सब पिडली है यहां Piddly si baatein, kyun karti ho sharma ke पिडली सी बातें,क्‍यों करती हो शरमा के Piddly si baatein पिडली सी बातें  Khili khili soorat teri, खिली खिली सूरत तेरी Uske aag e sab hai piddly piddly उसके आगे सब है पिडली पिडली Mili mili, aisi khushi मिली मिली ऐसी खुशी Iske aage sab hai piddly piddly इसके आगे सब है पिडली पिडली Lipte lifaafe mein jo likhi hai m arz iyaan लिपटे लिफाफे में जो लिखी हैं मर्जि़यां Chupke se sun ne mein h

अमिताभ बच्‍चन : 78 सोच

अमिताभ बच्‍चव के 70वें जन्‍मदिन पर यह कोशिश की गई थी। अखबार में पूरा छाप पाना संभव नहीं हुआ था। आप पढ़ें।  १: राकेश ओमप्रकाश मेहरा २: आशुतोष राणा ३: सुरेश शर्मा ४: मनोज बाजपेयी ५: विद्या बालन ६: तिग्मांशु धूलिया ७: संजय चौहान ८: सोनू सूद ९: जयदीप अहलावत १०: राणा डग्गुबाती ११: अविनाश १२: कमलेश पांडे १३: जावेद अख्तर १४: शाजान पद्मसी १५: जरीन खान १६: शक्ति कपूर १७: श्रेयस तलपड़े १८: सोनाली बेंद १९: असिन २०: ओमी वैद्य २१: सतीश कौशिक २२: कुणाल खेमू २३: रूमी जाफरी २४: अर्चना पूरन सिंह २५: मुग्धा गोडसे २६: गौरव सोलंकी २७: गुलशन देवैया २८: रजत बरमेचा २९: रुसलान मुमताज ३०: रानी मुखर्जी ३१: सौरभ शुक्ला ३२: कल्कि ३३: सलमान खान ३४: सुजॉय घोष ३५: विवेक अग्निहोत्री ३६: रजा मुराद ३७: वरुण धवन ३८: जॉनी लीवर ३९: यशपाल शर्मा ४०: रणदीप हुड्डा ४१: ऋचा चड्ढा ४२: के के मेनन ४२: मनु ऋषि ४४: चित्रांगदा सिंह ४५: संगीत सिवन ४६: राहुल ढोलकिया ४७: राम गोपाल वर्मा ४८: मैरी कॉम ४९: जे डी चक्रवर्ती ५०: गौरी श्ंिादे ५१: करण जौहर ५२: अक्षय कुमार ५३: परेश रावल ५४: प्रीति जिंटा ५५: अर्जुन रामपाल ५६: विपुल शाह ५७: कु

अनुराग कश्‍यप का युद्ध

तिग्‍मांशु धूलिया- ये क्षेत्र जो है ,हमारा है। यहां पर आप को हमारे तरीके से रहना होगा। अमिताभ बच्‍चन- ये खेल अब आप को मेरी तरह ही खेलना होगा। सोनी टीवी के आगामी धारावाहिक 'युद्ध' के संवाद...इसे अनुराग कश्‍यन निर्देशित कर रहे है। इसमें नवाज और केके भी है।

फिल्‍म समीक्षा : भूतनाथ रिटर्न्‍स

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-अजय ब्रह्मात्‍मज   पिछली बार भी 'भूतनाथ' में विवेक शर्मा ने हॉरर से अधिक संवेदना पर जोर दिया था। इस बार 'भूतनाथ रिट‌र्न्स' में नितेश तिवारी एक कदम और आगे बढ़ते हैं। वे भूतनाथ को राजनीतिक चेतना से लैस कर देते हैं। 'भूतनाथ रिट‌र्न्स' सिक्वल नहीं है। पिछली फिल्म और इस फिल्म में एक ही समानता है कि भूतनाथ की भूमिका अमिताभ बच्चन ही निभा रहे हैं। पिछली बार भूतनाथ लौट कर भूतव‌र्ल्ड चले गए थे। भूतव‌र्ल्ड में भूतनाथ की हंसाई हो गई है, क्योंकि धरती पर वे किसी को डरा नहीं सके थे। उन्हें एक मौका और दिया जा रहा है कि वे धरती पर भूतों का भय पैदा कर लौटें। इस बार भी एक बच्चा उन्हें पहचान लेता है। यहीं से भूतनाथ की नई यात्रा आरंभ होती है। इस बार मिला बच्चा अखरोट मुंबई के धारावी इलाके में अपनी अकेली मां के साथ रहता है। उसके पास घूमते हुए भूतनाथ पृथ्वी पर मौजूद असमानता और असुविधा की सच्चाइयों से अवगत होते हैं। गढ्डे, कचरा, पानी और सड़क की समस्याओं से भूतनाथ का राजनीतिक संस्कार होता है और बात चुनाव लड़ने तक आ जाती है। 'भूतनाथ रिट‌र्न्स' में भूतनाथ सीटिं

इंपैक्‍ट 2013 : अमिताभ बच्‍चन,दीपिका पादुकोण,कपिल शर्मा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  अमिताभ बच्चन     ब्लॉग, ट्विटर, फेसबुक ... सोशल मीडिया के लोकप्रिय माध्यमों का बखूबी इस्तेमाल करते हैं अमिताभ बच्चन। हर माध्यम की प्रति उनकी संलग्नता उल्लेखनीय है। इन माध्यमों के जरिए प्रशंसक और पाठक लोकप्रियता के शीर्ष पर एकाकी बैठे अमिताभ बच्चन के विचारों, अनुभवों और दैनंदिन जीवन की गतिविधियों से परिचित होते हैं। अगर आप उनका ब्लॉग फॉलो करें तो पाएंगे कि रात के बारह बजे के बाद ही यह अपडेट होता है। कभी दो बजे तो कभी चार बजे,जब भारत सो रहा होता है तो दिन भर की सक्रियताओं का सार बताते हुए वे दार्शनिक अभिभावक, मित्र और परिवार के सदस्य के रूप में नजर आते हैं। बिना नागा 2070 दिनों से वे रोजाना लिख रहे हैं। वर्चुअल दुनिया के पाठकों के लिए उन्होंने नया शब्द गढ़ा है -एक्सटेंटेड फैमिली (विस्तारित परिवार)। इस परिवार को अभी वे खुद के निकट पाते हैं। यह परिवार भी उन्हें अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानता है। ट्विटर  (74 लाख से अधिक),फेसबुक (76 लाख से अधिक) और ब्लॉग (76 लाख से अधिक) मिलाकर उनके विस्तारित परिवार की संख्या 2 करोड़ से ज्यादा है। अनुशासन, समर्पण और नियमितता से उन

अमिताभ बच्‍चन का संबोधन

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कोलकाता फिल्‍म फस्टिवल में अमिताभ बच्‍चन ने बंगाली सिनेमा के इतिहास की सरसरी झलक दी। उममीद है कभी वे हिंदी सिनेमा पर भी कुछ ऐसा बोलेंगे।  My speech at the Kolkata International Film Festival ... SPEECH FOR KOLKATA FILM FESTIVAL 2013 November 10, 2013 NS Stadium, Kolkata Mananeeya Mukhkhya Mantri, Mamtaji, The very celebrated and distinguished members on the dias .. Distinguished guests, ladies and gentlemen: Namoshkaar ! Onek purono kotha mon-ey pore jaaye… taai abaar aapnaader kaachhey esechhi… aapnaader jamaai… ayeebaar aapnaader meye, aar amaar bou Joya ke neeye… boro-der ashirbaad o chhotoder bhaalobashaa chaayitey… This is my second visit to the International Film festival of Kolkata, and I would like to express my extreme gratitude to the Chief Minister, for extending this invitation to me, giving me pride of place, great honor, and the privilege of being in the company of the most passionate and loving audiences that I have ever experienced in

अमिताभ सम्पूर्ण अदाकार हैं: दिलीप कुमार

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दिलीप कुमार अपने म्युचुअल एडमिरेशन क्लब के बारे में रघुवेन्द्र सिंह को बता रहे हैं, जो वह अमिताभ बच्चन के साथ शेयर करते हैं मुझे शक्ति फिल्म का जुहू में लिया गया वह शॉट अच्छी तरह याद है - बैकग्राउंड में हेलीकॉप्टर का शोर है, मैं हेलीकॉप्टर से जुहू बीच की रेत पर उतरा हूं, जहां अमित मेरा इंतज़ार कर रहे हैं. वो धीरे-धीरे मेरी और आते हैं. ये मुर्हूत शॉट था और कैमरे के सामने पहली बार हम एक साथ आ रहे थे. ना उनकी कोई लाइन थी बोलने के लिए और ना मेरी. बिना डायलॉग्स के, सिर्फ गहरे जज़्बात का खेल था उस शॉट में. वहां काफी दर्शक मौजूद थे, और पूरी यूनिट फिल्म शुरू करने के लिए बड़े जोश में थी. मुझे साफ़ दिख रहा था कि मेरे सामने एक ऐसा अदाकार खड़ा है जो अपने काम के लिए पूरा समर्पित है और जिसकी अदाकारी में एक ठहराव है जो उनके सधे हुए क़दमों से और उनके चेहरे के भावों की अभिव्यक्ति से साफ़ नजऱ आ रहा था. बाद में जब हम अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे, तब उन्होंने मुझे बताया कि वो बेहद नर्वस थे, क्योंकि उनका यह मेरे साथ पहला सीन था. ये कहना उनका खुलूस और सादगी थी, क्योंकि वो मुझे क

हमनाम अमिताभ बच्चन का दंश

मेरा नाम भी अमिताभ बच्चन है। मेरा जन्म 24 अक्टूबर 1956 को बिहार के पोखरभिरा गांव में हुआ। मेरे पिता सीताराम लाल कर्ण ने अपने बच्चों का नाम थोड़ा साहित्यिक सा रखा। यानी प्रियंवदा, पारिजात, ज्योतसना और अमिताभ। घर में मुझे बच्चन पुकारा जाता था। मुझे बस इतना पता है कि सातवीं-आठवीं कक्षा में रहा होउंगा, जब स्कूल में मेरा नाम अमिताभ दर्ज कराया गया। इंटर में आया तो पता चला कि हरिवंश राय बच्चन के बेटे का नाम भी यही है। घर वाले इस संयोग से खुश हुए। परिवार के सुसंस्कृत होने का जैसे प्रमाण मिला हो। जल्द ही ये नाम मुझे बोझ लगने लगा। उधर अमिताभ बच्चन बाजार के ब्रांड नेम बन रहे थे और इधर मेरी शर्मिंदगी बढ़ रही थी। 1974 में संभवत: मेडिकल का एंट्रेस देने पटना आया था। पीएमसीएच में एडमिट लेने गया। जोर शोर से मेरा पुकारा नाम पुकारा गया तो फजीहत हो गई। भीड़ से गुजरते हुए काउंटर तक पहुंचना नर्क से गुजरने जैसा अनुभव था। नकलची बंदर होने का एहसास नसों में बिजली की तरह दौड़ा। एक नाचीज पर किसी की लोकप्रियता इतनी भारी पड़ सकती है, इसका बड़ा खट्टा एहसास हुआ। इसे कभी नोच कर फेंक नहीं सका। न जाने नाम बदलने का कान

अमिताभ बच्चन का शॉल कलेक्शन

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-रघुवेन्‍द्र सिंह  शॉल अमिताभ बच्चन का एक प्रिय आवरण है. निजी जीवन में वह आम तौर पर शॉल का इस्तेमाल करते हैं. कहीं यात्रा करनी हो या कोई मीटिंग हो या फिर मीडिया के साथ भेंटवार्ता हो, वह अक्सर शॉल ओढ़े नजर आते हैं. और पायजामा-कुर्ता के ऊपर जब वह शॉल ओढ़ते हैं, तो उनकी आभा और बढ़ जाती है. यह उनके ऊपर फबती है. आपको बता दें कि वह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की एकमात्र शख्सियत हैं, जो इस परिधान का इस्तेमाल करते हैं. पायजामा-कुर्ता और शॉल उनका अपना एक फैशन स्टेटमेंट है. यह उन्हें हमसे, आपसे और हिंदुस्तान से सीधे जोड़ता है. विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि इस पहनावे के पीछे अमिताभ बच्चन की पे्ररणा उनके बाबूजी हरिवंशराय बच्चन होंगे. आइए, एक नजर डालते हैं अमिताभ बच्चन के शॉल कलेक्शन पर... प्रकाश झा की फिल्म सत्याग्रह में अमिताभ बच्चन के लुक का अटूट हिस्सा है शॉल. एक नजर...    रघुवेन्‍द्र सिंह के ब्‍लॉग अक्‍स से साधिकार