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तेवर है 'राम-लीला' में - संजय लीला भंसाली

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-अजय ब्रह्मात्मज संजय लीला भंसाली की 'राम-लीला' के रंग और तेवर सुहाने लग रहे हैं। रणवीर सिंह आैर दीपिका पादुकोण में अदम्‍य उर्जा दिख रही है। यह फिल्‍म आकर्षित कर रही है। 'देवदास' के बाद एक बार फिर यंजय लीला भंशली नयनभिरामी फिल्‍म लेकर आ रहे हैं। इस फिल्‍म के संबंध में उनसे हुई बातचीत  - ‘राम-लीला’ की मूल अवधारणा क्या है? 0 यह शेक्सपीयर के नाटक ‘रोमियो जुलिएट’ पर आधारित फिल्म है। मैंने उस नाटक को अपना स्टार्टिंग पाइंट माना है और अपने ढंग की एक फिल्म बनायी है। गुजरात कुछ इलाकों में अभी तक लोक संस्कृति जीवित है। पुराने परिधान दिख जाते हैं। मैंने वहां की जमीन ली है। ‘देवदास’ के बाद फिर से नाच-गाना और भव्य ट्रीटमेंट की फिल्म लेकर लौट रहा हूं। यह लार्जर दैन लाइफ फिल्म है। - इस फिल्म के साथ एक टैग लाइन है - गोलियों की रासलीला। यह बदलाव कैसे? 0 (हंसते हुए) मेरी फिल्मों में जोरदार थप्पड़ तक नहीं होता था। एक्शन डायरेक्टर शाम कौशल मेरे साथ ‘खामोशी’ के समय से काम कर रहे हैं। एक्शन के नाम पर मेरी फिल्मों में थप्पड़-दो थप्पड़ होते थे। शाम कौशल कहते भी थे कि यह मुझ से क्य

मेनस्ट्रीम सिनेमा को ट्रिब्यूट है ‘राउडी राठोड़'-संजय लीला भंसाली

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-अजय ब्रह्मात्‍मज अक्षय कुमार और सोनाक्षी सिन्हा की प्रभुदेवा निर्देशित ‘राउडी राठोड़’ के निर्माता संजय लीला भंसाली हैं। ‘खामोशी’ से ‘गुजारिश’ तक खास संवेदना और सौंदर्य की फिल्में निर्देशित कर चुके संजय लीला भंसाली के बैनर से ‘राउडी राठोड़’ का निर्माण चौंकाता है। वे इसे अपने बैनर का स्वाभाविक विस्तार मानते हैं।   - ‘राउडी राठोड़’ का निर्माण किसी प्रकार का दबाव है या इसे आपकी मुक्ति समझा जाए?  0 इसे मैं मुक्ति कहूंगा। मेरी सोच, मेरी फिल्म, मेरी शैली ही सब कुछ है ... इन से निकलकर अलग सोच, विषय और विचार से जुडऩा मुक्ति है। मैं जिस तरह की फिल्में खुद नहीं बना सकता, वैसी फिल्मों का बतौर प्रोड्यूसर हिस्सा बनना अच्छा लग रहा है। मैं हर तरह के नए निर्देशकों से मिल रहा हूं। ‘माई फ्रेंड पिंटो’, ‘राउडी राठोड़’,  ‘शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी’ ऐसी ही फिल्में हैं।   - आप अलग तरह के सिनेमा के निर्देशक रहे हैं। खास पहचान है आपकी। फिर यह शिफ्ट या आउटिंग क्यों? 0 ‘गुजारिश’ बनाते समय अनोखा अनुभव हुआ। वह फिल्म मौत के बारे में थी, लेकिन उसने मुझे जिंदगी की पॉजीटिव सोच दी। उसने मुझे निर्भीक बना

फिल्‍म समीक्षा : गुजारिश

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सुंदर मनोभावों का भव्य चित्रण -अजय ब्रह्मात्‍मज पहले फ्रेम से आखिरी फ्रेम तक गुजारिश किसी जादू की तरह जारी रहता है। फिल्म ऐसा बांधती है कि हम अपलक पर्दे पर चल रही घटनाओं को देखते रहते हैं। इंटरवल भी अनायास लगता है। यह संजय लीला भंसाली की अनोखी रंगीन सपनीली दुनिया है, जिसका वास्तविक जगत से कोई खास रिश्ता नहीं है। फिल्म की कहानी आजाद भारत की है, क्योंकि संविधान की बातें चल रही हैं। पीरियड कौन सा है? बता पाना मुश्किल होगा। फोन देखकर सातवें-आठवें दशक का एहसास होता है, लेकिन रेडियो जिदंगी जैसा एफएम रेडियो और सैटेलाइट न्यूज चैनल हैं। मोबाइल फोन नहीं है। संजय लीला भंसाली इरादतन अपनी फिल्मों को काल और समय से परे रखते हैं। गुजारिश में मनोभावनाओं के साथ एक विचार है कि क्या पीडि़त व्यक्ति को इच्छा मृत्यु का अधिकार मिलना चाहिए? गुजारिश एक अद्भुत प्रेमकहानी है, जिसे इथेन और सोफिया ने साकार किया है। यह शारीरिक और मांसल प्रेम नहीं है। हम सभी जानते हैं कि इथेन को गर्दन के नीचे लकवा (क्वाड्रो प्लेजिया) मार गया है। उसे तो यह भी एहसास नहीं होता कि उसने कब मल-मूत्र त्यागा। एक दुर्घटना के बाद

मुझे आड़े-टेढ़े किरदार अच्छे लगते हैं-संजय लीला भंसाली

-अजय ब्रह्मात्‍मज संजय लीला भंसाली की 'गुजारिश' में रहस्यात्मक आकर्षण है। फिल्म के प्रोमो लुभावने हैं और एहसास हो रहा है कि एक खूबसूरत , संवेदनशील और मार्मिक फिल्म हम देखेंगे। संजय लीला भंसाली अपनी पीढ़ी के अलहदा फिल्ममेकर हैं। विषय , कथ्य , क्राफ्ट , संरचना और प्रस्तुति में वे प्रचलित ट्रेंड का खयाल नहीं रखते। संजय हिंदी फिल्मों की उस परंपरा के निर्देशक हैं , जिनकी फिल्में डायरेक्टर के सिग्नेचर से पहचानी जाती हैं। - आप की फिल्मों को लेकर एक रहस्य सा बना रहता है। फिल्म के ट्रेलर और प्रोमो से स्पष्ट नहीं है कि हम रितिक रोशन और ऐश्वर्या राय बच्चन को किस रूप और अंदाज में देखने जा रहे हैं। क्या आप ' गुजारिश' को बेहतर तरीके से समझने के सूत्र और मंत्र देंगे ? 0 ' गुजारिश' मेरी आत्मा से निकली फिल्म है। मेरी फिल्मों में नाप-तौल नहीं होता। मैं फिल्म के बारे में सोचते समय उसके बाक्स आफिस वैल्यू पर ध्यान नहीं देता। यह भी नहीं सोचता कि समीक्षक उसे कितना सराहेंगे। मेरे दिल में जो आता है , वही बनाता हूं। बहुत मेहनत करता हूं। ढाई सालों के लिए दुनिया को भूल जाता ह

संजय लीला भंसाली की सपनीली दुनिया

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-अजय ब्रह्मात्‍मज संजय लीला भंसाली की फिल्म गुजारिश के टीवी प्रोमो आकर्षित कर रहे हैं। इस आकर्षण के बावजूद समझ में नहीं आ रहा है कि फिल्म में हम क्या देखेंगे? मुझे संजय लीला भंसाली की फिल्में भव्य सिनेमाई अनुभव देती हैं। मैं उनके कथ्य से सहमत नहीं होने पर भी उनके सौंदर्यबोध और क्रिएशन का कायल हूं। यथार्थ से दूर सपनीली रंगीन दुनिया की विशालता दर्शकों को मोहित करती है। हम दिल दे चुके सनम और देवदास में उनकी कल्पना का उत्कर्ष दिखा है। गुजारिश एक अलग संसार में ले जाने की कोशिश लगती है। फिल्म का नायक पैराप्लैजिया बीमारी से ग्रस्त होने के कारण ह्वील चेयर से बंध गया है। संभवत: वह अतीत की यादों और अपनी लाचारगी के बावजूद ख्वाबों की दुनिया में विचरण करता है। संजय की पिछली फिल्म सांवरिया भी एक काल्पनिक सपनीली दुनिया में ले गई थी, जिसका वास्तविक दुनिया से कोई संबंध नहीं था। इस बार एक अलग रंग है, लेकिन कल्पना कुछ वैसी ही इस दुनिया से अलग और काल्पनिक है। संजय लीला भंसाली के किरदार आलीशान घरों में रहते हैं। उनके आगे-पीछे विस्तृत खाली स्थान होते हैं, जिनमें सपनीली और सिंबोलिक सामग्रियां सजी रहत

लाइट और ग्रीन रूम की खुशबू खींचती थी मुझे: संजय लीला भंसाली

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खूबसूरत सोच और छवियों के निर्देशक संजय लीला भंसाली की शैली में गुरुदत्त और बिमल राय की शैलियों का प्रभाव और मिश्रण है। हिंदी फिल्मों के कथ्य और प्रस्तुति में आ रहे बदलाव के दौर में भी संजय पारंपरिक नैरेटिव का सुंदर व परफेक्ट इस्तेमाल करते हैं। उनकी फिल्मों में उदात्तता, भव्यता, सुंदरता दिखती है। उनके किरदार वास्तविक नहीं लगते, लेकिन मन मोहते हैं। उनकी अगली फिल्म गुजारिश जल्द ही रिलीज होगी। उसमें रितिक रोशन व ऐश्वर्या राय प्रमुख भूमिकाओं में हैं। आज के संजय लीला भंसाली को सभी जानते हैं। हम उन्हें यादों की गलियों में अपने साथ उनकी पहली फिल्म खामोशी से भी पहले के सफर पर ले गए। बचपन कहां बीता? कहां पले-बढे? बचपन मुंबई में ही बीता। सी पी टैंक, भुलेश्वर के पास रहते थे। किस ढंग का इलाका था? मम्मी-डैडी के अलावा मैं, बहन व दादी थे। वार्म एरिया था। चॉल लाइफ थी, लेकिन अच्छी थी। आजकल हम जहां रहते हैं, वहां नीचे कौन रहता है इसका भी पता नहीं होता। वहां पूरे मोहल्ले में, रास्ते में, गली में सब एक-दूसरे को जानते थे। स्कूलिंग कैसी हुई? अंग्रेजी माध्यम, हिंदी