अहंकार नहीं है सनी में -संजय चौहान


फिल्म धूप से मशहूर हुए संजय चौहान ने सनी देओल के लिए कई फिल्में लिखी हैं। सनी के जन्मदिन (19 अक्टूबर) पर संजय बता रहे हैं उनके बारे में॥

सनी देओल से मिलने के पहले उनके बारे में मेरे मन में अनेक बातें थीं। दरअसल, मीडिया और लोगों की बातों से ऐसा लगा था। उनसे मेरी पहली मुलाकात बिग ब्रदर के समय हुई। फिल्म के निर्देशक गुड्डू धनोवा के साथ मैं उनसे मिलने गया था। पुरानी बातों की वजह से सनी केबारे में मैंने धारणाएं बना ली थीं। औरों की तरह मैं भी मानता था कि वे गुस्सैल और तुनकमिजाज होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहली मुलाकात में ही वे मुझे बहुत मृदु स्वभाव के लगे। यह सच है कि वे बहुत मिलनसार नहीं हैं, क्योंकि वे शर्मीले स्वभाव के हैं। दूसरे, उनके बारे में मशहूर है कि वे सेट पर समय से नहीं आते हैं। मैंने बिग ब्रदर की शूटिंग के दौरान पाया कि वे हर स्थिति में बिल्कुल समय से सेट पर आ जाते थे। फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने पाया कि वे काम के समय ज्यादा लोगों से नहीं मिलते। अपना काम किया, शॉट दिया और अपने स्थान पर चले गए। वैसे, मैंने यह भी कभी नहीं देखा कि उन्होंने सेट पर आए किसी मेहमान को झिड़क दिया हो या किसी ने ऑटोग्राफ या फोटोग्राफ के लिए रिक्वेस्ट की हो, तो उसे नखरे दिखाए हों। उनकी प्यारी मुस्कराहट सिर्फ पर्दे पर ही नहीं, वास्तविक जिंदगी में भी आपका दिल जीत लेती है।
बाद में गुलाबी और गुरुदक्षिणा लिखते समय उन्हें और करीब से देखने-समझने का मौका मुझे मिला। ये दोनों फिल्में अभी नहीं बनी हैं। मैं बताना चाहूंगा कि वे सिर्फ अपने किरदार या भूमिका के बारे में ही नहीं सोचते हैं, बल्कि वे दूसरे किरदारों में भी दिलचस्पी उतनी ही लेते हैं। फिल्म के खलनायक या दूसरे चरित्रों के प्रति भी वे उतने ही शिद्दत से सोचते हैं। गुरुदक्षिणा के एक लंबे दृश्य के अंत में उन्हें केवल दो संवाद बोलने हैं। उन्होंने यह पूछा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं कम बोल रहा हूं। जैसे ही उन्हें उनके दो संवाद के महत्व के बारे में बताया गया, उन्होंने थोड़ी देर सोचा और कहा दैट्स कैरेक्ट। ज्यादातर ऐक्टर में यह गुण नहीं पाया जाता, क्योंकि ज्यादातर ऐक्टर अपने रोल और सीन को लेकर परेशान रहते हैं। मैं कहूंगा कि उन्हें स्क्रिप्ट की अच्छी समझ है। सच तो यह है कि वे उसे डिटेल में समझते हैं। हालांकि उनकी फिल्में देखते समय इसका अहसास नहीं होता है। उनके बारे में यह गलत धारणा बन गई है कि वे अपने रोल पर अधिक ध्यान नहीं देते, लेकिन मेरा मानना है कि रोल को लेकर उनकी समझ जबरदस्त है। फिल्म करते समय अगर आप उनकी समझ या सोच से सहमत नहीं हैं और तार्किक तरीके से उन्हें बताते हैं, तो वे अपनी सोच और राय बदलने के लिए तैयार जो जाते हैं। यह बड़ी बात है। उनमें रत्ती भर भी अहंकार नहीं है। वे पूरी फिल्म के बारे में सोचते हैं।
शायद कम लोग ही जानते हैं कि सनी बहुत ही टेक्नोसेवी भी हैं। घड़ी, कंप्यूटर और कार के बारे में उन्हें नई जानकारी रहती है। वे लोगों से इस बारे में घंटों बातें कर सकते हैं। उनके लैपटॉप में सारे नए सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम मौजूद मिलेंगे और वे उनका इस्तेमाल किसी सिद्धहस्त जानकार की तरह करते हैं। मैं उनके व्यक्तित्व के एक पहलू के बारे में बताना चाहूंगा। लोगों ने कुछ फिल्मों में उन्हें दाढ़ी के साथ देखा होगा। क्या लोगों को मालूम है कि उन सभी फिल्मों में उनकी असली दाढ़ी थी। उन फिल्मों के लिए वे दाढ़ी बढ़ाते हैं। वे कभी नकली दाढ़ी नहीं लगाते। उनका मानना है कि चाहे जितने अच्छे तरीके से दाढ़ी चिपकाई जाए, वे दिख जाती हैं और फिर आपकी दाढ़ी नहीं है, तो उसका असर चेहरे के एक्सप्रेशन पर पड़ता है। सच तो यह है कि अपने रोल के प्रति ऐसा समर्पण कम कलाकारों में दिखता है। हां, सनी में एक कमी है। वे मीडिया प्रेमी नहीं माने जाते। शायद यह देओल परिवार में है। इन दिनों ऐक्टर जिस प्रकार मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, वैसा सनी नहीं करते। उनमें बेसिक ईमानदारी है। वे कहते हैं कि हमें काम करना चाहिए, क्योंकि काम बोलता है। मुझे लगता है कि उन्हें इस तरफ ध्यान देना चाहिए। चूंकि वे अपनी तरफ से कोई सफाई नहीं देते और न ही खुद के बारे में आक्रामक तरीके से बताते हैं, इसलिए उनके बारे में बन चुकी धारणाएं खत्म नहीं हो पातीं!
काम में उनकी संलग्नता ऐसी रहती है कि वे सुबह छह बजे भी आपको तरोताजा मिलेंगे और पूरी भागीदारी के साथ बातचीत करेंगे। मैंने अभी उनके लिए राइट या रॉन्ग लिखी है। इसमें सनी बिल्कुल नए अंदाज में दिखेंगे। ऐसे रोल में लोगों ने उन्हें पहले कभी नहीं देखा है।

Comments

PD said…
bahut badhiya jankari.. post bahut achchhi lagi.. :)

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