फ़िल्म समीक्षा:स्लमडाग करोड़पति

-अजय ब्रह्मात्मज

मुंबई की मलिन बस्ती में प्रेम

आस्कर के लिए दस श्रेणियों में नामांकित हो चुकी 'स्लमडाग मिलिनेयर' हिंदी में 'स्लमडाग करोड़पति' के नाम से रिलीज हुई है। अंग्रेजी और हिंदी में थोड़ा फर्क है। गालियों के इस्तेमाल के कारण 'स्लमडाग मिलिनेयर' को ए सर्टिफिकेट मिला है, जबकि 'स्लमडाग करोड़पति' को यू-ए सर्टिफिकेट के साथ रिलीज किया गया है। शायद निर्माता चाहते हों कि 'स्लमडाग करोड़पति' को ज्यादा से ज्यादा हिंदी दर्शक मिल सकें।
'स्लमडाग करोड़पति' विकास स्वरूप के उपन्यास 'क्यू एंड ए' पर आधारित है। फिल्म की स्क्रिप्ट के हिसाब से उपन्यास में कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं और कुछ प्रसंग छोड़ दिए गए हैं। उपन्यास का नायक राम मोहम्मद थामस है, जिसे फिल्म में सुविधा के लिए जमाल मलिक कर दिया गया है। उसकी प्रेमिका भी लतिका नहीं, नीता है। इसके अलावा उपन्यास में नायक के गिरफ्तार होने पर एक वकील स्मिता शाह उसका मामला अपने हाथ में लेती है। उपन्यास में राम मोहम्मद थामस धारावी में पला-बढ़ा है। फिल्म में उसे जुहू का बताया गया है। उपन्यास की शुरूआत में ही पता चलता है कि राम सभी सवालों के जवाब देकर एक अरब जीत चुका है। यह घटना शो आरंभ होने के कुछ हफ्तों के अंदर हो गयी है, जबकि शो के निर्माताओं ने सोचा था कि आठ महीनों के बाद कोई विजेता बनेगा। शो के निर्माताओं के पास विजेता को देने के लिए एक अरब रूपए नहीं है, इसलिए भी वे राम मोहम्मद थामस को धोखेबाज साबित करने में लगे हैं। यह एक बड़ी साजिश है,जो फिल्म से गायब है।
उपन्यास से इस फर्क के बावजूद जमाल मलिक (देव पटेल) की कहानी दिल को छूती है। मुंबई शहर की निचली बस्तियों का पुरजोश जीवन इस फिल्म का आधार है। विषम परिस्थितियों में भी इस बस्ती के लोगों की जिजीविषा प्रेरित करती है। इन मलिन बस्तियों में हर कदम उम्मीद धडक़ती रहती है और वही उन्हें जिंदा रखती है। जमाल मलिक और सलीम मलिक दोनों भाइयों की जिंदगी दो दिशाओं में मुड़ती है, फिर भी प्रेम, विश्वास और आशा से वे बंधे रहते हैं। जमाल मलिक के दिए सही जवाब वास्तव में सवालों के साथ उसकी जिंदगी की घटनाओं से जुड़ जाते हैं, जिसे फिल्म के नायक और निर्देशक नसीब की बात कहते हैं। जमाल की किस्मत में लिखा था कि वह करोड़पति बन जाएगा। चित्रण और फिल्मांकन की वास्तविकता के बावजूद यह सोच उन बस्तियों के बाशिंदों के जीवन संघर्ष को बेमानी ठहरा देती है। अगर नसीब और किस्मत का लिखा ही होता है तो फिर मनुष्य के सारे प्रयासों का कोई प्रयोजन नहीं बनता।
'स्लमडाग करोड़पति' पर आधारहीन विवाद हुए हैं। अमिताभ बच्चन के साथ जुड़े प्रसंग में तथ्यों की गलत व्याख्या की गयी। इस फिल्म में गरीबी, मुंबई की निचली बस्ती और निचली बस्तियों के सारे कुकर्म हैं। उन्हें निर्देशक डैनी बॉयल ने अपने नजरिए से पेश किया है। डैनी ने फिल्म के लिए इसी उपन्यास को चुना, इससे स्पष्ट हो जाता है कि वे किस उद्देश्य और मंशा के साथ
फिल्म बना रहे थे। 'स्लमडाग करोड़पति' एक विदेशी के नजर से चित्रित भारत है, जो एक भारतीय उपन्यासकार की कृति पर आधारित है।
'स्लमडाग करोड़पति' एक स्तर पर जमाल और लतिका की प्रेमकहानी भी है। दोनों का प्रेम कामयाब होता है और वे अंत में मिल जाते हैं। अवसाद का सुखद अंत होता है।

फिल्म में मलिक भाइयों की भूमिका में देव पटेल और मधुर मित्तल ने शानदार अभिनय किया है। लतिका की भूमिका में फ्रेइदा पिंटो स्वाभाविक हैं। क्विज शो के होस्ट के रूप में संवादों और मुद्राओं में अनिल कपूर 'कौन बनेगा करोड़पति' के पहले मेजबान अमिताभ बच्चन से प्रेरित हैं। इरफान खान छोटी भूमिका में प्रभाव पैदा करते हैं। वे दृश्य की बारीकियों को अच्छी तरह समझ लेते हैं। सौरभ शुक्ला और महेश मांजरेकर ने समुचित जिम्मेदारी निभायी है।
फिल्म का पाश्र्व संगीत और गीत-संगीत विशेष तौर पर उल्लेखनीय है। ए आर रहमान ने ध्वनियों के सुनिश्चित क्रम एवं आरोह-अवरोह से दृश्यों का प्रभाव बढ़ा दिया है। फिल्म के अंत में टायटल के साथ आया गीत 'जय हो' खुशी और जोश का संचार करता है।

Comments

फिल्म मुझे भी काफी पसंद आयी है. खासकर देव और मधुर का अभिनय. जय हो गीत तो लाजबाब है ही. एक आम दर्शक के रूप में कहू तो अच्छी प्रेम कहानी है .
अभी फिल्म तो नही देख पाया पर गाने बहुत मीठे से है।
Arvind Mishra said…
मैंने कल ही फ़िल्म देखी और समीक्षा भी की है !
मैं ने तो फिल्‍म देखी है और न ही इसका कोई गीत ही सुना है।
इस समीक्षा ने यह सब करने के लिए प्रेरित अवश्‍य कर दिया है।
Sajeev said…
really a good movie....u said everything just right
बेशक भारत की गरीबी का मजाक उडाया गया है
पर फिल्‍म अच्‍छी है

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