जब वी वोट-इम्तियाज़ अली

मैं बिहार का रहने वाला हूं। राजनीति की समझ रखता हूं। मुझे देश-दुनिया की खबर रहती है। इस बार मुझे वोट को लेकर मतदाता में जागरूकता दिख रही है। यंग इंडिया का नारा मुझे अच्छा लगता है। चुनाव के समय एक जोशीला माहौल है। अलग-अलग माध्यमों से वोट और प्रत्याशियों के बारे में बताया जा रहा है। ऐसे ही एक माध्यम से मैंने अपना पंजीकरण किया है। मुझे खुशी है कि इस बार मैं मुंबई में वोट दूंगा। मुंबई और दिल्ली में रहते हुए मैंने महसूस किया है कि बड़े शहरों में युवकों को राजनीति की सही समझ नहीं है। वे इसके प्रति उदासीन रहते हैं। इस बार चल रहे विभिन्न संस्थाओं के अभियानों से उनके बीच थोड़ी सुगबुगाहट दिख रही है। वे सभी वोट देंगे तो देश की राजनीति बदलेगी। मुझे लगता है कि किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना चाहिए। सरकार कोई भी बनाए लेकिन किसी एक पार्टी की बने ताकि वह कुछ काम कर सके। ऐसी सरकार से बाद में सवाल भी पूछे जा सकते हैं। इस चुनाव में कुछ पार्टियों में मुझे नेतृत्व संकट दिख रहा है। बड़े नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। नेतागण मुद्दों की बात छोड़ कर व्यक्तिगत आाक्षेप लगाने लगते हैं। लोकतंत्र के लिए यह अच्छा नहीं है। अगर फिल्म के लोग राजनीति में जा रहे हैं तो क्या बुराई है? जैसे कोई इंजीनियर, डॉक्टर या किसी और पेशे का व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है, वैसे ही फिल्मी हस्तियां भी राजनीति में जा सकती हैं। फिल्मों के लोग अपनी लोकप्रियता की वजह से जीत सकते हैं, लेकिन उन्हें पहले सोचना चाहिए कि क्या राजनीति में जाना उनके लिए आवश्यक है। यह नहीं हो कि चुनाव के बाद राजनीति में जाने को कोई भूल समझे।

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