गंगा के लिए प्रेम जगाना है - दीया मिर्जा



सिर्फ एक नदी नहीं है गंगा - दीया मिर्जा
-अजय ब्रह्मात्मज
दीया मिर्जा हाल ही में गंगा की यात्रा से लौटी हैं। वह लिविंग फूड्ज के शो गंगा-द सोल ऑफ इंडिया की मेजबान हैं। यह शो 1 मई से आरंभ होगा। इस शो में दीया ने गंगा के किनारे-किनारे और कभी गंगा की धार में यात्रा की। उन्‍होंने गंगा के किनारे बसे गांव,कस्‍बों और शहरों को करीब से देखा। इस नदी की विरासत को समझा। दीया पिछले कई सालों से पर्यावरण और प्रकृति के मुद्दों से जुड़ी हुई हैं। वे इनसे संबंधित अनेक संस्‍थाओं की सदस्‍य हैं। उनकी गतिविधियों में जम कर हिस्‍सा लेती हैं। 
 बातचीत के क्रम में उन्‍होंने बताया कि वह संचार माध्‍यमों में काम कर रहे लोगों की समझ के लिए प्रकृति के गंभीर विषयों पर बैठक करती हैं। इसमें परिचित और प्रभावशाली लोग आते हैं। ऐसी बैठकों में उनकी जागरूकता बढ़ती है,जिसे वे अपने काम और संपर्क के लोगों के बीच बांटते हैं। वह कहती हैं,शहरों की स्‍कूली शिक्षा में हम प्रकृति और पर्यावरण के बारे में पढ़ते हैं। बड़े होने पर अपनी नौकरी या कारोबार में इस कदर व्‍यस्‍त हो जाते हैं कि हम उन जानकारियों का इस्‍तेमाल नहीं करते। मेरी कोशिश है कि फिल्‍म बिरादरी के दोस्‍तों के बीच प्रकृतिकी बातें करूं,जो किसी न किसी रूप में उनकी फिल्‍मों में आए। हमें संचार माध्‍यमों में प्रकृति के गुणों और सुंदरता को दिखाने-बताने की जरूरत है। पहले की फिल्‍मों में प्रकृति के दृश्‍य रहते थे। उसकी खूबियों पर गीत लिखे जाते थे। अभी हमारी फिल्‍मों की कहानियों से प्रकृति गायब है। टीवी के शो में सिर्फ हादसों के समय ही प्रकृति की बातें होती है। हमें कुदरत के नशे में धुत्‍त होना होगा। यह वाइल्‍डलाइफ ट्रस्‍ट ऑफ इंडिया का आयोजन है।
 गंगा... उनका पहला टीवी शो है।दीया मिर्जा के पास गंगा द सोल ऑफ इंडिया का प्रस्‍ताव आया तो वह कूद पड़ीं। मानो मन चाही मुराद पुरी हो रही हो। दीया को प्रकृति से जुड़ने,उसके बारे में बताने और उसे नजदीक से समझने का मौका मिल गया। दीया कहती हैं, गंगा आम नदी है। इसकी अपनी खासियतें हैं। सदियों से मानव सभ्‍यता का विकास इससे जुड़ा है। संस्‍कृतियां इसके आगोश में पली और बढ़ी हैं। अभी तो उसका अस्तित्‍व ही खतरे में पड़ गया है। जरूरत है कि हम गंगा के योगदान को समझें और सेलिब्रेट करें। नई पीढ़ी को बताएं। किसी भी चीज से मोहब्‍बत करने के लिए जरूरी है कि हम पहले उसके बारे में जानें। अभी गंगा के बारे में बताने की जरूरत है। उसकी खासियतों के बारे में बताना होगा। नई पीढ़ी को पता चलेगा तो वह गंगा से मोहब्‍बत करेगी। हम जिससे मोहब्‍बत करते हैं,उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। उसकी रक्षा करते हैं। 
इस कार्यक्रम की शूटिंग भी अनोखे तरीके से की गई। नदी के संग यात्रा करनी थीं। डाक्‍यूमेंट्री के लिए पहले से कुछ भी तय नहीं था। दीया बताती हैं, मुझे कुछ भी लिख कर नहीं दिया गया था। कोई स्क्रिप्‍ट नहीं थी। ऐसे शो और कार्यक्रम में आप तय भी नहीं कर सकते। यह स्‍लो ट्रैवल शो है। इसमें रुक-रुक कर लोगों से मिलना और उन्‍हें शूट करना था। यहां हम भागते हुए नजारे नहीं देखते। हम हर स्‍थान की धड़कन और स्‍पंदन को कैच करते हैं। हमारी कोशिश रही कि हम रुके,बतियाएं,महसूस करें,आत्‍मसात करें,उनसे एकाकार हों और उनकी बातें कहें। यह यूनिक और खूबसूरत शो है। दर्शक पहली बार मुझे असली रंग-रूप में देखेंगे। 
इस शो की शूटिंग किस्‍तों में हुई। तीन किस्‍तों में पूरी यात्रा हुई। दीया अपना अनुभव बताती है, इस नही के साथ यात्रा करने के बाद डिप्रेशन भी होता है। यात्रा आरंभ होती है तो एकदम साफ पानी है। नीचे उतरने के साथ गंगा प्रदूषित और गंदी होती चली जाती है। गंगावासियों के पास अपनी कहानियां हैं। दूसरी तरफ गंगा अपनी कहानी कह रही थी बगैर बोले। मैं अपने अनुभव को किसी एक विशेषण से व्‍यक्‍त नहीं कर सकती। मजा आया तो तकलीफ भी हुई। मेरे अंदर कुछ गहरा बदलाव हुआ। तीन भाव थे...वॉव,ओह माय गॉड और थैंक्‍यू। इस देश में बहुत अच्‍छे लोग हैं। वे अपनी बेहतरीन सोच के साथ खामोशी से काम कर रहे हैं। हमें अपनी अच्‍छाइयों को भी सामने लाने की जरूरत है।

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