Posts

इंपैक्‍ट 2013 : अमिताभ बच्‍चन,दीपिका पादुकोण,कपिल शर्मा

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज  अमिताभ बच्चन     ब्लॉग, ट्विटर, फेसबुक ... सोशल मीडिया के लोकप्रिय माध्यमों का बखूबी इस्तेमाल करते हैं अमिताभ बच्चन। हर माध्यम की प्रति उनकी संलग्नता उल्लेखनीय है। इन माध्यमों के जरिए प्रशंसक और पाठक लोकप्रियता के शीर्ष पर एकाकी बैठे अमिताभ बच्चन के विचारों, अनुभवों और दैनंदिन जीवन की गतिविधियों से परिचित होते हैं। अगर आप उनका ब्लॉग फॉलो करें तो पाएंगे कि रात के बारह बजे के बाद ही यह अपडेट होता है। कभी दो बजे तो कभी चार बजे,जब भारत सो रहा होता है तो दिन भर की सक्रियताओं का सार बताते हुए वे दार्शनिक अभिभावक, मित्र और परिवार के सदस्य के रूप में नजर आते हैं। बिना नागा 2070 दिनों से वे रोजाना लिख रहे हैं। वर्चुअल दुनिया के पाठकों के लिए उन्होंने नया शब्द गढ़ा है -एक्सटेंटेड फैमिली (विस्तारित परिवार)। इस परिवार को अभी वे खुद के निकट पाते हैं। यह परिवार भी उन्हें अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानता है। ट्विटर  (74 लाख से अधिक),फेसबुक (76 लाख से अधिक) और ब्लॉग (76 लाख से अधिक) मिलाकर उनके विस्तारित परिवार की संख्या 2 करोड़ से ज्यादा है। अनुशासन, समर्पण और नियमितता से उन

फिल्‍म समीक्षा : धूम 3

Image
डांस,बाइक और चेज  -अजय ब्रह्मात्‍मज  'धूम' सीरिज की महत्वपूर्ण कड़ी हैं जय और अली। इस बार वे चोर को पकड़ने के लिए शिकागो जाते हैं। चूंकिचोर चोरी करने के बाद हिंदी में संदेश छोड़ता है 'बैंक वाले तेरी ऐसी की तैसी', शायद इसलिए भारत से जय और अली को उन्हें पकड़ने के लिए बुलाया गया है। मजेदार तथ्य है कि 'विशेष दायित्व' निभाते समय वे चोर को पकड़ने में असफल रहते हैं। फिर बाकी हिंदी फिल्मों की तरह दायित्व से मुक्त होने के बाद उनका दिमाग तेज चलता है और वे चोर को घेर लेते हैं। लेकिन इस बार भी चोर उन्हें चकमा देकर निकल जाता है। कैसे? फिल्म देखें। जय और अली के रूप में अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा हैं। तारीफ करनी होगी कि पहली 'धूम' से लेकर अभी तक उनकी समनुरूपता बनी हुई है। वे जरा भी नहीं बदले हैं। 'धूम' सीरिज में चोर को ज्यादा स्मार्ट और रोचक बनाने के लिए उनको भोंदू दिखाना जरूरी होता है। इस बार स्मार्ट चोर आमिर खान हैं। जॉन अब्राहम और रितिक रोशन के बाद 'धूम 3' में आए आमिर खान को छबीली कट्रीना कैफ के साथ मिला है। दोनों के बीच स्टेज पर केमिस्

दरअसल : कम दर्शक हैं उत्तर भारत में

-अजय ब्रह्मात्मज     हिंदी प्रदेशों के दर्शकों, पाठकों, पत्रकारों और मीडिया समूहों की पुरानी गलतफहमी है कि हिंदी फिल्मों का कारोबार उनकी वजह से चलता है, इसलिए मुंबई में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री  को हिंदी प्रदेशों से संबंधित दर्शकों, प्रतिष्ठानों और पत्रकारों को अधिक तवज्जो देनी चाहिए। वस्तुस्थिति इसके विपरीत है। हिंदी फिल्मों का कारोबार मुख्य रूप से मुंबई और दिल्ली-यूपी से होता है। दिल्ली-यूपी का योगदान कम ही है। फिर भी दोनों टेरिटरी मिला दें तो 56 प्रतिशत कलेक्शन यहीं से आ जाता है। बाकी 40 प्रतिशत में बाकी 11 टेरिटरी और पूरा देश है।     हिंदी प्रदेशों की जनसंख्या निश्चित ही उल्लेखनीय और बहुत ज्यादा है। अफसोस की बात है कि जनसंख्या के अनुपात में दर्शक नहीं हैं। हो सकता है कि हिंदी प्रदेशों के नागरिक सारी फिल्में किसी न किसी माध्यम से देख लेते हों, लेकिन यह कठोर सच्चाई है कि हिंदी प्रदेशों के दर्शक अपनी जनसंख्या के अनुपात में थिएटर नहीं जाते। वे सिनेमाघरों में जाकर फिल्में नहीं देखते। एक बड़ी वजह यह रही है कि दर्शकों के लिए पर्याप्त सिनेमाघर नहीं हैं। सिनेमाघरों के मालिकों का कहना है क

हर चैनल पर जारी हैं गेम शोज

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     हिंदी चैनलों पर चल रहे गेम शो की लोकप्रियता में कमी नहीं आ रही है। चैनलों में होड़ लगी है। कोशिश है कि उनके चैनल से प्रसारित गेम शो को अधिकाधिक दर्शकता मिले। टैम रेटिंग के हिसाब से ‘झलक दिखला जा’ ने ‘केबीसी’ को पीछे छोड़ दिया है। तीसरे स्थान पर ‘बिग बॉस 7’  है। इन तीनों टॉप शो में एक चीज सामान्य है कि तीनों के मेजबान हिंदी फिल्मों के पॉपुलर स्टार हैं। तीनों गेम शो में बाकी फिल्म स्टारों की भी भागीदारी बनी रहती है। मूल रूप से रोचक और इंटरैक्टिव होने की वजह से इन शोज में दर्शकों की भी रुचि ज्यादा रहती है।     सैटेलाइट चैनलों के आने के बाद गेम शोज की मांग और दर्शकता बढ़ी। उसके पहले दूरदर्शन पर सिद्धार्थ बसु के ‘क्विज शो’ के बारे में ही दर्शक जानते थे। जीटीवी ने विदेशी गेम शो के अधिकार लेकर भारत में गेम शो का निर्माण किया। इस दौर में जीटीवी के केवल ‘सारेगामा’ और ‘अंताक्षरी’  मौलिक और भारतीय गेम शो थे। बाद में ये विभिन्न स्वरूपों और अवतारों में दूसरे चैनलों पर आए। अभी किसी भी जनरल एंटरटेनमेंट चैनल पर जाएं तो दिन भर में दो-चार घंटे के गेम शो मिल ही जाते हैं। ‘कलर्स’

क्लब 100 करोड

-अजय ब्रह्मात्मज     24 दिसंबर 2008 को रिलीज हुई आमिर खान की ‘गजनी’  ने हिंदी फिल्मों के लिए 100 करोड़ क्लब का द्वार खोल दिया था। ऐसा लग रहा हे कि पांच सालों के बाद 20 दिसंबर 2013 को रिलीज हो रही आमिर खान की ‘धूम 3’ से 100 करोड़ क्लब के द्वार का विस्तार होगा। वैसे इस बार ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ और ‘कृष 3’ की कामयाबी ने इस क्लब की सदस्यता राशि बढ़ा कर 200 करोड़ कर दी है।     मजेदार तथ्य है कि अब दर्शक भी पूछने लगे हैं कि क्या रिलीज हो रही फिल्म 100 करोड़ क्लब में शामिल होगी? डायरेक्टर और एक्टर से पत्रकारों का पहला या आखिरी सवाल यही रहता है कि क्या आप 100 करोड़ क्लब का दबाव महसूस कर रहे हैं? हालांकि सारे डायरेक्टर और एक्टर इस दबाव की सच्चाई से इंकार करते हैं, लेकिन उनकी एक ही आकांक्षा रहती है कि उनकी फिल्म जल्दी से जल्दी 100 करोड़ क्लब में चली जाए। ‘कृष 3’ की जबरदस्त कामयाबी ने तो नई लकीर खींच दी है। अब देखना है कि इस साल कोई उससे बड़ी लकीर खींच पाता है या नहीं?     जिस रफ्तार से मल्टीप्लेक्स बढ़ रहे हैं और थिएटर में दर्शकों की भीड़ उमड़ रही है, उस से यही लगता है कि शायद 2014 में फिल्मों का

फिल्‍म समीक्षा : ह्वाट द फिश

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज 'व्हाट द फिश' केवल डिंपल कपाड़िया की फिल्म नहीं है। फिल्म के प्रचार में यह धोखा गढ़ा गया है। वह केंद्रीय चरित्र जरूर हैं, लेकिन फिल्म में अनेक चरित्र आते-जाते हैं। 'व्हाट द फिश' ऐसी डायरी है, जिसके पन्ने हवा में फड़फड़ा रहे हैं। कभी कोई पृष्ठ खुल जाता है, कभी कोई। तारतम्य बिठाना मुश्किल होता है। आखिरकार पूरी कहानी जुड़ती है तो हम ठगा महसूस करते हैं, क्योंकि एक रोचक विषय को अयोग्य लेखन और निर्देशन से अरुचिकर बना दिया गया है। मौसी को अपनी पैरॉट फिश और मनी प्लांट प्रिय है। महीने भर के लिए घर से बाहर जा रही मौसी इन दोनों को दाना डालने और सींचने की जिम्मेदारी भतीजी को देकर जाती हैं। भतीजी अपने ब्वॉयफ्रेंड को जिम्मेदारी सौंपती है और फिर यह जिम्मेदारी हर चरित्र के साथ आगे सरकती जाती है। किरदारों को अतीत और भविष्य से काट कर सिर्फ वर्तमान में रखा गया है। उनके बारे में ज्यादा न जानने से अपरिचय भाव बना रहता है। नए कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं में स्वतंत्र मेहनत की है। यह मेहनत उनके परफारमेंस तक ही सीमित रहती है। कड़ी से कड़ी जुड़ती जाती है, लेकिन व

ऑन सेट : रनिंगशादी डॉट कॉम : बेगानी शादी में दीवाने

Image
ऑन सेट बेगानी शादी में दीवाने -अजय ब्रह्मात्मज     पटियाला के गुरुबख्श कॉलोनी की एक गली में गहमागहमी है। दोमंजिले मकान के अहाते में खड़ी सफेद एंबेस्डर के पास मामा जी अपनी लैम्ब्रेटा स्कूटर के किक मार रहे हैं। पुराना स्कूटर स्टार्ट ही नहीं हो रहा है। उन्हें एडवर्टाइज(ऐड) बनाने के लिए जाना है। तभी सामने से उनका भांजा भरोसे अपने दोस्तों के साथ एक ऑटो से उतरता है। मामा उसे देख कर चौंकते हैं और झेंपते हुए कहते हैं, ‘बेटे तुमने बता दिया होता तो मैं तुझे लेने आ जाता।’ वे अपने सफेद एंबेस्डर की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि यह सफेद हाथी यूं ही खड़ा रहता है। भरोसे मामा की बातों की सच्चाई जानता है। वह हंसता हुआ पूछता है, ‘मामा, आप स्कूटर क्यों नहीं बदल देते?’ फिर खुद ही कहता है,चलिए धक्के मार देता हूं। अपने मेहमान दोस्तों के साथ भरोसे स्कूटर को धक्का लगाता है।     यह निर्माता शूजीत सरकार और निर्देशक अमित राय की फिल्म ‘रनिंगशादी डॉट कॉम’ का एक दृश्य है। इन दिनों पटियाला में इसके बचे दृश्यों की शूटिंग चल रही है। बातचीत में पता चलता है कि वास्तव में पटियाला में शूट किया जा रहा सीन पटना के किसी

दरअसल : शहर और फिल्मों का रिश्ता

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     घूमने-फिरने के शौकीन जानते हैं कि ‘लोनली प्लैनेट’ अत्यंत विश्वसनीय और अनुभवसिद्ध जानकारियां देता है। दुनिया में आप कहीं भी जा रहे हों, अगर आपने ‘लोनली प्लैनेट’ का सहारा लिया है तो यकीन करें कि बजट होटल, बजट रेस्तरां और बजट सफर कर सकते हैं। ‘लोनली प्लैनेट’ की जानकारियां अद्यतन और परखी हुई होती हैं। उनकी नयी किताब ‘फिल्मी एस्केप्स’ का विषय बहुत रोचक है। जूही सकलानी ने इसे अपने शोध के आधार पर लिखा है।     ‘फिल्मी एस्केप्स’ में देश के बीस शहरों और राज्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। कश्मीर, गुजरात, केरल, गोवा, लद्दाख जैसे राज्यों के अलावा दिल्ली, आगरा, लखनऊ, वाराणसी, शिमला, कसौली, नैनीताल, अमृतसर, उदयपुर, जैसलमेर, मुंबई, कोलकाता, दार्जीलिंग और ऊटी के बारे में जूही सकलानी ने लिखा है। उन्होंने हर शहर और राज्य में हुई उल्लेखनीय फिल्मों की शूटिंग का हवाला दिया है। साथ ही में उस शहर के होटल और रेस्तरां की सूचना के साथ दर्शनीय स्थानों का विवरण प्रस्तुत किया है। संक्षेप में यह पुस्तक वर्णित शहरों और राज्यों के संबंध में रोचक सूचनाएं देती है। चूंकि उन शहरों और रा

An entertainer should help build the moral fibre of society- Aamir Khan

Image
- Baradwaj Rangan A week before Aamir Khan was to inaugurate 11th Chennai International Film Festival, he consented to a curtain-raiser interview – and on a warm Thursday afternoon, I found myself waiting in his new sea-facing office in Bandra. The space doesn’t look finished yet, and from the things lying around no clear theme is visible. An oil painting is propped in a corner, various faces of the star from his films, all against a bright red background. There are scattered books – The Savage Detectives by Roberto Bolaño, Captain Pantoja and the Special Service by Mario Vargas Llosa. There are board games – Risk , The Settlers of Catan . On the floor are several clapperboards, foremost among them the one for Rang De Basanti . There are DVDs – the 007 collection, a boxed set of Satyamev Jayate . A royal blue crystal ash tray lies on the centre table, and beside it, a box of Jackson Maruti tissues, from which a single tissue flops over like a Labrador’s ear. Elsewhe

धूम 3 में है बेइंतहा इमोशन : आमिर खान

Image
-अजय ब्रह्मात्मज/अमित कर्ण आमिर खान अपनी फिल्मों से मैसेज व मनोरंजन का परफेक्ट मिश्रण लोगों को देते हैं। आमिर अब साल के आखिर में लोगों को बहुप्रतीक्षित सौगात ‘धूम 3’ दे रहे हैं। इसे संयोग ही कहें कि फिल्म का स्केल यशराज और आमिर खान के अद्वितीय कॉम्बिनेंशन से आसमानी हो गया है। उन्हें खुद के कद का मुकम्मल एहसास है। वे फिल्म दर फिल्म नए अनुभवों से अमीर(इनलाइटेन) होने की कोशिश कर रहे हैं।      हिंदी फिल्मों के संदर्भ में आमिर ‘धूम’ सीरिज और ‘धूम 3’ की खास बात बताते हैं, ‘धूम’ सीरिज परफेक्ट मनोरंजन की श्योर-शॉट गारंटी देती है। लार्जर दैन लाइफ किरदार पेश करती है। जबरदस्त थ्रिल, खूबसूरत कैमरा वर्क और उम्दा गाने सुनने को मिलेंगे। ‘धूम 3’ ने पिछली दोनों किश्तों से अलग काम किया है। इसमें बेइंतहा इमोशन है। इसकी कहानी बहुत जज्बाती है। इस बात ने मुझे भी स्क्रिप्ट की तरफ अट्रैक्ट किया। मुझे लगता है कि यह फिल्म सभी उम्र वर्ग और सोच के लोगों के लिए है। यह हर किसी को अपील करेगा। इसकी क्षमता बहुत ज्यादा है। वह दर्शकों की उम्मीदों पर कितना खड़ा उतर पाती है, वह देखने वाली बात होगी। यह मेरे 25 साल के क