ब्लैक कॉमेडी के लिफ़ाफ़े में पोस्ट की गयी त्रासद चिट्ठी उर्फ़ ‘गुलाबोसिताबो’ : विभावरी
ब्लैक कॉमेडी के लिफ़ाफ़े में पोस्ट की गयी त्रासद चिट्ठी उर्फ़ ‘गुलाबोसिताबो’ -विभावरी .......................................................................................................................... सामाजिक-राजनीतिक और वैचारिक महामारी के इस दौर में सिनेमा में एक नई बहार आई है पिछले कुछ बरसों में...छोटे शहरों के उदास कोनों में चमकती , धुंधली कहानियों की बहार. ‘गुलाबो सिताबो’ इसी बहार का एक काव्यात्मक पड़ाव है. फ़िल्म आपसे ख़ुद के अच्छा लगने की गुहार नहीं लगाती...ठीक अपने तमाम किरदारों की तरह जो उतने ही मानवीय हैं जितनी यह फ़िल्म अपनी संरचना में. शायद यही कारण है कि इसके कुछ हिस्सों पर आपका मन जितना रीझता है , कुछ पर उतना ही उखड़ता भी है...बावजूद इसके यह फ़िल्म आपको शुरू से आखीर तक बाँधे रखती है. फ़िल्म अपने गढ़न में दरअसल कॉमेडी के एक विशेष रूप ‘ब्लैक कॉमेडी’ के नज़दीक है. सिनेमा/कला की भाषा में ‘ब्लैक/ डार्क कॉमेडी’ के मायने त्रासद विषयों को हास्यात्मक तरीके से पेश करने से सम्बंधित है...ज़ाहिर है ऐसे विषय आपको एक ऐसी विडंबनात्मक स्थिति में लेकर जाते हैं जहाँ यह तय करना मुश्