दर्शक बढ़े हैं मेरे-अजय देवगन


-अजय ब्रह्मात्मज

    दो फिल्मों के अंतराल के बाद अजय देवगन और प्रकाश झा फिर से एक साथ आ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में दोनों की जोड़ी ने अनेक सारगर्भित और मनोरंजक फिल्में दी हैं। ‘आरक्षण’ के समय यह खबर आई थी कि दोनों के बीच कोई अनबन हो गई है, लेकिन ‘सत्याग्रह’ की शूटिंग के साथ यह खबर बेबुनियाद साबित हुई। दोनों ने हाल ही में भोपाल में ‘सत्याग्रह’ की शूटिंग पूरी की। अजय देवगन ने अजय ब्रह्मात्मज से इस अंतरंग बातचीत में अनेक पहलुओं को उजागर किया।
- ‘दिल क्या करे’ से ‘सत्याग्रह’ तक प्रकाश झा के साथ आपकी सफल पारी रही है। इस परस्पर रिश्ते के बारे में कुछ बताएं?
0 हम दोनों को इस परस्पर रिश्ते से फायदा हुआ है। प्रकाश जी के बारे में सभी जानते हैं। वे पैरेलल सिनेमा के आर्ट फिल्म डायरेक्टर रहे हैं। साथ काम करते हुए उन्होंने एक नई फिल्म भाषा विकसित कर ली है। वास्तविकता के नजदीक रहते हुए उन्होंने व्यावसायिक फिल्म बनाने की तरकीब सीख ली है। ‘गंगाजल’ में हम दानों को सभी ने देखा। व्यावसायिक होने से मेरा मतलब दर्शकों से जुडऩा है। उनके साथ के बाकी फिल्मकार ऐसा नहीं कर पाए। फिल्मों को वास्तविक रखने की कोशिश में वे डाक्यूमेंट्री बना देते हैं। वैसी फिल्में दर्शक पसंद नहीं करते।
- आप दोनों का साथ तो ‘दिल क्या करे’ से आरंभ हुआ?
0 हां, प्रकाश जी ‘दिल क्या करे’ का ऑफर लेकर मेरे पाए आए थे। मुझे फिल्म का आयडिया अच्छा लगा। मैंने कहा कि मैं इसका निर्माण करूंगा। वहां से हमारा एसोसिएशन आरंभ हुआ।
- तब प्रकाश झा के बारे में आपका क्या ख्याल था?
0 याद करें तो उस समय तक मैंने महेश भट्ट की ‘जख्म’ और गोविंद निहलानी की ‘तक्षक’ जैसी फिल्में कर ली थी। सिनेमा के बारे में मेरी भी समझ विकसित हुई थी। यह स्वीकार करने में मुझे कोई दिक्कत नहीं है कि ऐसी फिल्मों से मैंने बहुत कुछ सीखा। मैं दोनों किस्म की फिल्में करता रहा हूं। उनमें से कुछ फिल्में चलीं और कुछ नहीं चली। प्रकाश जी मेरे लिए नए नहीं थे। उनके साथ काम करने में मुझे कोई हिचक नहीं थी। ऐसे निर्देशकों के साथ काम करने से मेरी ग्रोथ थोड़ी अलग हुई। मेरी पीढ़ी के अनेक अभिनेताओं को ऐसे मौके नहीं मिले। कमर्शियल फिल्में करते-करते वे एक सांचे में ढल गए। प्रकाश झा से मिलते समय मैं उनके साथ काम करने के लिए मानसिक रूप से तैयार था।
- फिल्मों के आपके चुनाव और उनकी कामयाबी से इधर यह भ्रम बना है कि अजय देवगन इन दिनों केवल बाक्स आफिस सफलता पर ही ध्यान देते हैं?
0 मैं खुद को अभी बहुत अच्छी स्थिति में पा रहा हूं। मैं दोनों किस्म की फिल्में कर सकता हूं। प्रकाश झा के साथ ‘गंगाजल’ करते समय मैं समझ गया था कि यह एक अलग रास्ता है। उस फिल्म से प्रकाश झा की भी धारा अलग हो गई। बाकी लोग कहीं अटक गए। प्रकाश झा ने एक रास्ता खोजा। उस समय मैं उनके साथ था। उसके बाद मैंने अपनी फिल्मों के चुनाव में दर्शकों, विषयों और सबसे अधिक मनोरंजन का पूरा ख्याल रखा। अब ‘सत्याग्रह’ को ही लें। यह फिल्म मास और क्लास दोनों को पसंद आएगी। एक तरफ यह मुद्दे पर बनी गंभीर फिल्म है तो दूसरी तरफ मैं इसे एक्शन फिल्म भी मानता हूं। ‘जंजीर’ में सिर्फ एक एक्शन सिक्वेंस था, लेकिन उसे एक्शन फिल्म कहते हैं।
- प्रकाश झा की क्या खासियत कहेंगे?
0 प्रकाश झा की हर फिल्म वास्तव में रिश्तों की कहानी होती है। ‘गंगाजल’ और ‘अपहरण’ से लेकर ‘सत्याग्रह’ तक उन्होंने रिश्तों को ही केंद्र में रखा है। वे मुख्य पात्र की पर्सनल कहानी कह रहे होते हैं। दुनिया की हर भाषा में बड़ी फिल्में किसी न किसी की पर्सनल कहानी होती है। हाल ही में आयी ‘जीरो डार्क 30’ की कहानी तो सबको पता है। उसमें डायरेक्टर ने एक पात्र के दृष्टिकोण से पूरी कहानी कही है। वह एक लडक़ी की कहानी है।
- इस दरम्यान अपने विकास को आप किस रूप में देखते हैं?
0 प्रकाश झा जैसे निर्देशकों के साथ काम करते हुए मुझे संतुलन बनाना आ गया है। यह बात समझ में आ गई है कि मुझे किस तरह की फिल्में करनी है। बीच में प्रकाश झा की ‘आरक्षण’ और ‘चक्रव्यूह’ मैंने नहीं की। उसके पीछे कोई मनमुटाव नहीं था। सच तो यह है कि उन फिल्मों में मेरे लायक कोई भूमिका नहीं थी। अभी भी मुझे लगता है कि कहानी पहले नैरेशन में ही मुझे अपील करनी चाहिए। मुद़दा हो,पर साथ में कहानी और मनोरंजन भी हो।
-क्या ऐसा नहीं लगता कि प्रकाश झा ने अपना रास्ता बदल लिया है? आप के साथ काम करते हुए भी माना गया कि वे सही राह पर हैं,लेकिन रणबीर कपूर और कट्रीना जैसे स्टारों के सिलसिले के बाद लोगों को लगा कि वे भी स्टार से प्रभावित हो गए?
0 मुझे ‘राजनीति’ देखते समय अवश्य लगा कि उन्होंने रास्ता बदल लिया है,लेकिन ‘सत्याग्रह’ में वे एक बार फिर अपने रास्ते पर मजबूत कदम के साथ दिखाई पड़ेंगे। कई बार ऐसे भटकाव हो जाते हैं।
- आप से भी शिकायत है कि आप साधारण फिल्मों में अपनी प्रतिभा का दुरुपयोग कर रहे हैं? आज की स्थिति में आप पिक एंड चूज कर सकते हैं,लेकिन ़ ़ ़
0 वैसी स्क्रिप्ट भी तो मिलनी चाहिए। कितने लोग बना रहे हैं। कहां से चूज करें?बहुत कम लोग ऐसे हैं। संतुलन बनाए रखने की मेरी पूरी कोशिश रहती है। कामेडी फिल्मों में कम मेहनत नहीं लगती।
-निश्चित ही कामेडी और डांस करना मुश्किल काम है। आप ने इनमें भी खुद को साबित किया। फिर भी यह सवाल रह जाएगा कि बतौर आर्टिस्ट आप किधर जा रहे हैं?
0 मैं तो इसे अपनी ग्रोथ मानता हूं। पहले मैं डांस नहीं कर पाता था। अब मैं थोड़ी कोशिश कर लेता हूं। लोग कहते हैं कि उतना बुरा भी नहीं लगता। बतौर एक्टर भिन्न किस्म की भूमिकाओं से ग्रोथ होती है। अपने प्रशंसकों से यही कहूंगा कि मैं उनको निराश नहीं करूंगा। ऐसी फिल्मों से मेरे दर्शक बढ़े हैं। मैं इस सवाल से असहमत नहीं हूं,लेकिन मैं कोई सफाई नहीं देना चाहता। मुझे तर्क-वितर्क नहीं करना है। सिंपल सी बात है कि अगर कोई फिल्म 100 करोड़ का बिजनेस करती हैं तो उसे निश्चित ही अधिक दर्शकों ने देखा होगा। मुझे यह हक नहीं है कि मैं सभी दर्शकों को बेवकूफ कह दूं। उन दर्शकों को कुछ तो मिलता होगा। हमारी-आपकी सोच भिन्न भी तो हो सकती है।
-क्या कभी अभिनेता अजय देवगन को कोफ्त नहीं होती? साधारण दृश्यों को करते समय आप की संवेदना आहत नहीं होती?
0 मेरी संवेदना अपनी जगह है। पब्लिक के प्यार के लिए जब कोई फिल्म कर रहा हूं तो अपनी संवेदना भूल जाता हूं। अगर मेरी फिल्में व्यावसायिक तौर पर सफल नहीं होंगी तो न आप इंटरव्यू लेंगे और न पत्र-पत्रिकाओं की मुझ में रुचि होगी।

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