दरअसल : जीवन राजेश खन्ना का
-अजय ब्रह्मात्मज राजेश खन्ना की जिंदगी दिलचस्प है। चूंकि उनके करीबी और राजदार में से कोई भी उनकी जिंदगी के तनहा लमहों को शेयर नहीं करना चाहता,इसलिए हमें उनकी जिंदगी की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। उनकी लोकप्रियता और स्टारडम से सभी वाकिफ हैं। पहली किताब आने के पहले से उनके प्रशंसक उनके करिअर का हिसाब-कितपब रखते हैं। उन्हें मालूम है कि काका ने कब और कैसे कामयाबी हासिल की और कब वे नेपथ्य में चले गए। उन्हें अपनी किीकत मालूम थी,लेकिन वे उसके साथ जीने और स्वीकार करने से हिचकते रहे। यही कारण है कि उनके अतीत की परछाइयों ने उनके व्यक्तित्व को अंधेरे से बाहर ही नहीं आने दिया। बस,एक आकृति घूमती-टहलती रही दुनिया में। उसकी सांसें चल रही थीं,लेकिन सांसों की खुश्बू और गर्मी गायब थी। राजेश खन्ना जीते जी ही अपनी मूर्ति बन गए थे। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके जीवनीकारों ने भी इसी निष्पंद व्यक्ति के जीवन चरित अपने साक्ष्यों,अनुभवों और अनुमानों के आधार पर लिखे हैं। यासिर उस्मान ने उनकी जिंदगी और करिअर को 256 पृष्इों की किताब राजेश खन्ना : कुछ तो लोग कहेंगे में सरल तरीके से समेटने की कोशिश की ह