फिल्म समीक्षा : किस किस को प्यार करूं
करवा चौथ का गोल चांद -अजय ब्रह्मात्मज हिंदी फिल्मों में करवा चौथ का चांद हमेशा गोल दिखाया जाता है। आदित्य चोपड़ा की फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगेÓ के आर्ट डायरेक्टर से हुई भूल पर न तो निर्देशक का ध्यान गया और न ही दर्शकों ने सुधि ली। लिहाजा, बाद में आई हर फिल्म में करवा चौथ का चांद गोल ही दिखता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन चांद की गोलाई चार दिन घट चुकी होती है। 'किस किस को प्यार करूंÓ जैसी फिल्में 'करवा चौथ का गोल चांदÓ ही होती हैं। इनका वास्तविकता से खास रिश्ता नहीं होता। अब इसी फिल्म को लें। कुमार शिव राम किशन दिल का नेक लड़का है, वह अपनी मां की दी सीख 'कभी किसी लड़की का दिल न तोडऩा और कभी किसी का घर नहीं तोडऩाÓ पर अमल करते हुए तीन शादियां कर चुका है। तीनों शादियां गफलत और नैतिकता के दबाव में हुई हैं। अपने दोस्त और वकील करण की मदद से वह एक ही बिल्डिंग की चौथी, छठी और आठवीं मंजिलों पर तीनों बीवियों का परिवार चला रहा है। अब यह न पूछें कि कैसी एक ही बिल्डिंग में रहते हुए उनकी बीवियों को लंबे समय तक पता ही नहीं चलता कि उनका पति एक ही व