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फिल्‍म समीक्षा : फैन

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फैन **** चार स्‍टार पहचान और परछाई के बीच -अजय ब्रह्मात्‍मज यशराज फिल्‍म्‍स की ‘ फैन ’ के निर्देशक मनीष शर्मा हैं। मनीष शर्मा और हबीब फजल की जोड़ी ने यशराज फिल्‍म्‍स की फिल्‍मों को नया आयाम दिया है। आदित्‍य चोपड़ा के सहयोग और समर्थन से यशराज फिल्‍म्‍स की फिल्‍मों को नए आयाम दे रहे हैं। ‘ फैन ’ के पहले मनीष शर्मा ने अपेक्षाकृत नए चेहरों को लेकर फिल्‍में बनाईं। इस बार उन्‍हें शाह रुख खान मिले हैं। शाह रुख खान के स्‍तर के पॉपुलर स्टार हों तो फिल्‍म की कहानी उनके किरदार के आसपास ही घूमती है। मनीष शर्मा और हबीब फैजल ने उसका तोड़ निकालने के लिए नायक आर्यन खन्‍ना के साथ एक और किरदार गौरव चान्‍दना गढ़ा है। ‘ फैन ’ इन्‍हीं दोनों किरदारों के रोचक और रोमांचक कहानी है। मनीष शर्मा की ‘ फैन ’ गौरव चान्‍दना की कहानी है। दिल्‍ली के मध्‍यवर्गीय मोहल्‍ले का यह लड़का आर्यन खन्‍ना का जबरा फैन है। उसकी जिंदगी आर्यन खन्‍ना की धुरी पर नाचती है। वह उनकी नकल से अपने मोहल्‍ले की प्रतियोगिता में विजयी होता है। उसकी ख्‍वाहिश है कि एक बार आर्यन खन्‍ना से पांच मिनट की मुलाकात हो जाए तो उसक

गलतियां भी हों अच्‍छी वाली - शाह रुख खान

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-जागरण फीचर टीम शाह रुख खान बीते 25 सालों से फिल्‍म इंडस्‍ट्री में सक्रिय हैं। पांच दिनों बाद उनकी ‘फैन’ रिलीज हो रही है। यह फिल्‍म फैन व स्‍टार के रिश्‍ते को समर्पित है। फिल्‍म की जानकारी लेने व शाह रुख की सोच-अप्रोच जानने दैनिक जागरण की फीचर टीम एक अप्रैल की रात 10 बजे मुंबई स्थित यशराज स्‍टूडियो पहुंची। दिन- रात काम करने के आदी शाह रुख खान फिल्‍म की डबिंग में व्‍यस्‍त मिले। आखिरकार रात 12 बजे शाह रुख खान का बुलावा आया। उनकी वैनिटी वैन में टीम का स्‍वागत हुआ। उस वक्‍त वे फोन पर अपनी बेटी सुहाना की कुशलक्षेम ले रहे थे, जिसमें एक पिता की चिंता साफ झलक रही थी। पेश है उनसे खुली बातचीत : फीचर टीम -फैंस का स्‍टार की जिंदगी पर कितना हक होना चाहिए ? ईमानदार जवाब बहुत अलग है, मैं फिर भी बताता हूं। खासकर खुद के संदर्भ में। मुझे ऐसा लगता है कि लोकप्रियता अपने संग डर लेकर आती है। लोकप्रिय लोग डरने लग जाते हैं। इस बात का डर कि मेरा काम लोगों को पसंद नहीं आया तो पिछले 25 सालों में कमाया नाम बेकार हो जाएगा। यह डर मन में समाते ही स्‍टार वही करने लग जाता है, जो दो करोड़ लोगों को पसं

दिल को छूती दीवनगी - अमित कर्ण

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अमित कर्ण ने यह आलेख शोध,संपर्क और इंटरव्‍यू के आधार पर लिखा है। फैन और स्‍टार के रिश्‍तों को को समाान्‍य रूप से समझने के लिए इसे पढ़ा जाना चाहिए। निश्चित ही यह शाह रुख खान की आगामी फिल्‍म 'फैन' से प्रेरित है। हिंदी फिल्‍मों के संदर्भ में अभी तक फैन और स्‍टार के रिश्‍तों पर गहन काम नहीं हुआ है। इस पर विस्‍तार से लिखा जाना चाहिए। इसे एक शुरूआत समझें। फैन का फितूर व्‍यक्ति उपासना की परंपरा वाले इस मुल्‍क में नायकों को सनातन काल से बेपनाह मुहब्‍बत और इज्‍जत बख्‍शी जाती रही है। हर कालखंड में नायक तब्‍दील होते रहे हैं। पहले जहां राजा-महाराजा, स्‍वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक नायक होते थे। अब लोगों का शिफ्ट कला जगत के पुरोधाओं की ओर हो गया है। नौंवे दशक से पहले मनोरंजन का एकमात्र साधन फिल्‍में थीं। लिहाजा उसके साधक यानी फिल्‍म स्‍टार के लाखों फैन थे। वे अपने स्‍टार के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे। वह परंपरा आज की  संचार क्रांति के दौर में भी बरकरार है। हिंदी फिल्‍म जगत से दिलीप कुमार, देव आनंद, राजेश खन्‍ना, अमिताभ बच्‍चन, शाह रुख, आमिर व सलमान, रिति‍क रोशन, रणबी