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अब तक गुलजार

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        गुलजार साहब से कई बार मिलना हुआ। उनके कई करीबी अच्‍छे दोस्‍त हैं। गुलजार से आज भी अपरिचय बना हुआ है। अक्‍सरहां कोई परिचित उनसे मिलवाता है और वे तपाक से मिलते हैं। हर बार लगता है कि पहला परिचय हो रहा है। इस लिहाज से मैं वास्‍तव में गुलजार से अपरिचित हूं। यह उम्‍मीद खत्‍म नहीं हुई है कि उनसे कभी तो परिचय होगा।           आज उनका जन्‍मदिन है। गुलजार के प्रशंसकों के लिए उनसे संबंधित सारी एंट्री यहां पेश कर रहा हूं। चवन्‍नी के पाठक अपनी मर्जी से चुनें और पढ़ें। टिप्‍पणी करेंगे तो अच्‍छा लगेगा।         अतृप्‍त,तरल और चांद भावनाओं के गीतकार गुलजार को नमन। वे यों ही शब्‍दों की कारीगरी करते रहें और हमारी सुषुप्‍त इच्‍छाओं का कुरेदते और हवा देते रहें।  हमें तो कहीं कोई सांस्कृतिक आक्रमण नहीं दिखता - गुलजार  एक शायर चुपके चुपके बुनता है ख्वाब - गुलजार निराश करती हैं गुलजार से अपनी बातचीत में नसरीन मुन्‍नी कबीर सोच और सवेदना की रंगपोटली मेरा कुछ सामान कुछ खास:पौधा माली के सामने इतराए भी तो कैसे-विशाल भारद्वाज श्रीमान सत्यवादी और गुलजार