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‘संविधान’ टीवी शो के लेखन की चुनौती-अतुल तिवारी

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-अजय ब्रह्मात्मज  राज्य सभा टीवी से प्रसारित श्याम बेनेगल के टीवी शो ‘संविधान’ के दो लेखकों में से एक हैं अतुल तिवारी। अतुल तिवारी ने श्याम बेनेगल के लिए पहले भी लेखन किया है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक अतुल तिवारी ने मुंबई आने के बाद अभिनय और लेखन पर ध्यान दिया। 1994 में आई गोविंद निहलानी की फिल्म ‘द्रोहकाल’ के संवाद उन्होंने लिखे थे। ‘मिशन काश्मीर’,‘नेताजी सुभाषचंद्र बोस’ और ‘विश्वरूपम’ जैसी फिल्मों के लेखन से जुड़े रहे अतुल तिवारी ‘संविधान’ के लेखन को बड़ी चुनौती मानते हैं। संविधान सभा की सत्रों को टीवी शो में ऐसे नाटकीय रूप में प्रस्तुत करना था,जिसमें दर्शकों की रुचि बनी रहे और संविधान की गरिमा भी बनी रहे अतुल तिवारी ‘संविधान’ में गोविंद वल्लभ पंत की भूमिका भी निभा रहे हैं। घनी मूंछों और हाव-भाव से वे पंत जी की तरह ही लगते हैं। वे बताते हैं कि इस शो में सभी कलाकारों का चयन का मुख्य आधार यही था कि वे कद-काठी और चेहरे से मूल नेताओं के करीब हों। फिर यह भी खयाल रखना था कि वे धाराप्रवाह बोल सकें। ‘संविधान’ देखते हुए दर्शक गौर कर रहे होंगे कि उस दौर के सभी नेता अच्छे वक्ता भी

मौन तो ध्वनि का प्रतीक है - श्याम बेनेगल

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श्‍याम बेनेगल से यह बातचीत दुर्गेश सिंह ने की है। इसका संपादित अंश पिछले रविवार दैनिक जागरण के रविवारी परिशिष्‍ट झंकार में छपा था। श्‍याम बाबू हर सवाल का जवाब पूरी गंभीरता से देते हैं। यह गुण हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में दुर्लभ है। यह इंटरव्यू संविधान से आरंभ होकर उनकी पफल्‍मों तक जाता है। सहयाद्रि फिल्म्स का दफ्तर दक्षिण मुंबई में बचे खुचे फिल्म दफतरों में से एक है। इमारत कुछ पुरानी सी लेकिन लिफट एकदम नई। भूमिका, अंकुर, निशांत, मंडी और कई सारी फिल्मों के अलावा मुझे उनकी त्रिकाल बेहद पसंद है, सो मुझे भी लिफट करने की जल्दी थी। दो दिन के अंदर मैं लगभग दूसरी बार उनसे मिलने पहुंचा। इस वजह से कि वे उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां सेहत का नासाज रहना भी दिनचर्या हो जाती है। अपनी कुर्सी के सामने रखी तार से बुनी मेज पर सहयाद्रि फिल्म्स के लेटर पैड पर पेपरवेट घुमाते हुए वे एकदम स्वस्थ लगते हैं और कहते हैं: फिल्म, टीवी, विज्ञापन कहां से प्रारंभ होना चाहिए। मैं अंग्रेजी-हिंदी दोनों में बात कस्ंगा। मैं उनके चश्मे को देख रहा था छूटते ही कह दिया जी-जी। ये जी के पीछे की कहानी उस समय याद आई जब उनसे

राज्‍य सभा टीवी पर संविधान

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संविधान की कहानी लेकर आ रहे हैं श्‍याम बेनेगल। उन्‍होंने अपने क्षम लेखकों अतुल तिवारी और शमा ज़ैदी की मदद से यह कहानी टीवी के लिए तैयार की है। दस एपीसोड के इस टीवी शो को देखना राचक और जानकारीपूर्ण होगा।देश की अक्षुझण्‍ीता,अखंडता और स्‍वायत्‍ता के लिए बना यह संविधान ही अभी तक लोकतंत्र और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का निर्देशक रहा है। आप अपनी हर व्‍यस्‍तता रद्द कर यह टीवी शो देखें। वैसे भी रविवार का 11 बजे आप आमिर खान का टीवी  शो सत्‍यमव जयते तो देखेंगे ही। उसका जबरदस्‍त प्रचार हुआ है,लेकिन इस अप्रचारित शो को देख कर आप खुद का कल्‍याण करेंगे। इसका प्रसारण हर रविार 10 बजे राज्‍य सभा टीवी पर होगा। फिलहाल यहां एक झलक देख लें।