पुरानी बातचीत : हंसल मेहता
-अजय ब्रह्मात्मज फिल्मों के इतिहास और फिल्मकारों के विकास के अध्ययन में रुचि रखने वाले चवन्नी के पाठकों के लिए हसंल मेहता का यह इंटरव्यू दिल पर मत ले यार के समय यह इंटरव्यू किया गया था। तब इतनी लंबी बातें कर लेना मुश्िकल नहीं था। अब न तो जवाब मिलते हैं और न सवाल सूझते हैं। पढ़ने के बाद फीडबैक अवश्य दें। यहां या मेल करें। chavannichap@gmail.com - ' दिल पे मत ले यार ' का आयडिया कब आया ? 0 जब मैं ' जयते ' बना रहा था उस वक्त बहुत सारी कहानियां दिमाग में थीं. हमारे कुछ लेखक कई सारे विषयों पर सोच रहे थे कि किस तरह की फिल्म बनाई जा सकती है. मुझे आर वी पंडित ने कहा था कि मैं कहानी चुनूं , जो प्रासंगिक हो , ऐसी कहानी हो जो जिंदगी से जुड़ी हो. उस वक्त शहर की हालत गंभीर थी. खून-खराबा , गैंगवार जौसी चीजें अपने चरम पे थी. उसी वक्त एक आयडिया दिमाग में आया. और ' जयते ' की कहानी उभरकर आई. और ' जयते ' बना दिया. पर कहीं लगता था कि एक कहानी छूटी हुई है जो अच्छी है. एक समय ऐसा आया जब मैंने सोचा कि उसको लेकर टेलीविजन पर ही कुछ कर दिया जा