कमल स्वरूप-7
कमल स्वरूप की बातचीत की यह आखिरी किस्त है। ऐसा लगता है कि और भी बातें होनी चाहिए।फिल्म की रिलीज के बाद के अनुभवों पर उनसे बातें करूंगा। आप उनसे कुछ पूछना चाहें तो अपने सवाल यहां पोस्ट करें। अगली मुलाकात में उन सवालों पर बातचीत हो जाएगी। जेएनयू में मेरी फिल्म का शो किया गया। गीता कपूर आई थी मेरा इंटरव्यू लेने। गीता ने मुझसे सवाल किया कि आपकी महिलाएं क्यों एकआयामी होती हैं? मैंने उन्हें समझाया कि आर्ट सिनेमा में औरतों को सिंबल सही तरीके से नहीं आता। ऐसी फिल्मों में कोई औरत घड़ा लेकर चलती है तो आप उसे गर्भ का बिंब कहते हो। उसके आगे आप सोच ही नहीं पाते हो। यह कह कर मैं सो गया। दो घंटे के बाद उठा तो खाना-वाना खत्म हो गया था। सब मुझे घूर रहे थे कि यह है कौन? उसके बाद उन लोगों ने मुझे प्रोमोट करना बंद कर दिया। वीएचएस की कॉपी दर कॉपी हो रही थी। हर फिल्म स्कूल और फिल्म मंडली में ‘ ओम दर-ब-दर ’ देखी जा रही थी। वीएचएस की कॉपी घिसती चली गई। बाद में तो केवल आवाज रह गई थी। चित्र ढंग से आते ही नहीं थे। नई पीढ़ी के बीच ‘ ओम दर-ब-दर ’ पासवर्ड बन गई थी। सभी एक-दूसरे से पूछते थे