फिल्म समीक्षा : फितूर
सजावट सुंदर,बुनावट कमजोर -अजय ब्रह्मात्मज अभिषेक कपूर की ‘ फितूर ’ चार्ल्स डिकेंस के एक सदी से पुराने उपन्यास ‘ ग्रेट एक्पेक्टेशंस ’ का हिंदी फिल्मी रूपांतरण है। दुनिया भर में इस उपन्यास पर अनेक फिल्में बनी हैं। कहानी का सार हिंदी फिल्मों की अपनी कहानियों के मेल में है। एक अमीर लड़की,एक गरीब लड़का। बचपन में दोनों की मुलाकात। लड़की की अमीर हमदर्दी,लड़के की गरीब मोहब्बत। दोनों का बिछुड़ना। लड़की का अपनी दुनिया में रमना। लड़के की तड़प। और फिर मोहब्बत हासिल करने की कोशिश में दोनों की दीवानगी। समाज और दुनिया की पैदा की मुश्किलें। अभिषेक कपूर ने ऐसी कहानी को कश्मीर के बैकड्राप में रखा है। प्रमुख किरदारों में कट्रीना कैफ,आदित्य रॉय कपूर,तब्बू और राहुल भट्ट हैं। एक विशेष भूमिका में अजय देवगन भी हैं। अभिषेक कपूर ने कश्मीर की खूबसूरत वादियों का भरपूर इस्तेमाल किया। उन्होंने इसे ज्यादातर कोहरे और नीम रोशनी में फिल्मांकित किया है। परिवेश के समान चरित्र भी अच्छी तरह प्रकाशित नहीं हैं। अभिषेक कपूर की रंग योजना में कश्मीर के चिनार के लाल रंग का प्रतीकात्मक उपयो