फिल्म समीक्षा : अर्जुन
      योद्धा अर्जुन की झलक    -अजय ब्रह्मात्मज   देश में बन रहे एनीमेशन फिल्मों की एक मूलभूत समस्या है कि उनके टार्गेट  दर्शकों के रूप में बच्चों का खयाल रखा जाता है। बाल दर्शकों की वजह से  उसे प्रेरक, मर्मस्पर्शी और बाल सुलभ संवेदनाओं तक सीमित रखा जाता है। अभी  तक अपने देश में एनीमेशन फिल्में पौराणिक और मिथकीय कथाओं की सीमा से बाहर  नहीं निकल पा रही हैं। इन्हीं सीमाओं और उद्देश्य के दबाव में अर्जुन  तकनीकी रूप से उत्तम होने के बावजूद प्रभाव में सामान्य फिल्म रह जाती है।  अर्नव चौधरी और उनकी टीम अवश्य ही संकेत देती है कि वे तकनीकी रूप से दक्ष  हैं। एनीमेशन फिल्म को एक लेवल ऊपर ले आए हैं।     अर्जुन में कौरव-पांडव की प्रचलित कथा में से पांडवों के वनवास और  अज्ञातवास के अंशों को चुना गया है। पृष्ठभूमि के तौर पर दुर्योधन के द्वेष  का चित्रण है। सुशील और कुलीन पांडव दुर्योधन की साजिशों के शिकार होते  हैं। संकेत मिलता है कि कृष्ण उनके साथ हैं और वे मुश्किल क्षणों में उनकी  मदद भी करते हैं। पांडवों का अज्ञातवास समाप्त होने वाला है। दुर्योधन किसी  भी तरह उनकी जानकारी हासिल कर उन्हें...