रोज़ाना : छठ की लोकप्रियता के बावजूद
रोज़ाना छठ की लोकप्रियता के बावजूद -अजय ब्रह्मात्मज बिहार,झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ एक सांस्कृतिक और सामाजिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह धार्मिक अनुष्टान से अधिक सांस्कृतिक और पारिवारिक अनुष्ठान है। इस आस्था पर्व की महिमा निराली है। इसमें किसी पुरोहित की जरूरत नहीं होती। अमीर-गरीब और समाज के सभी तबकों में समान रूप से प्रचलित इस त्योहार में घाट पर सभी बराबर होते हैं। कहावत है कि उगते सूर्य को सभी प्रणाम करते हैं। छठ में पहले डूबते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाया जाता है और फिर उगते सूर्य की पूजा के साथ यह पर्व समाप्त होता है। इधर इंटरनेट की सुविधा और प्रसार के बाद छठ के अवसर पर अनेक म्सूजिक वीडियों और गीत जारी किए गए हैं। इनमें नितिन चंद्रा और श्रुति वर्मा निर्देशित म्यूजिक वीडियो सुदर और भावपूर्ण हैं। उनमें एक कहानी भी है। हालांकि भोजपुरी गीतों में प्रचलित अश्लीलता से छठ गीत भी अछूते नहीं रह गए हैं,लेकिन आज भी विंध्यवासिनी देवी और शारदा सिन्हा के छठ गीतों का मान-सम्मान बना हुआ है। सभी घाटों पर इनके गीत बजते सुनाई पड़ते हैं। आश्चर्य ही है क