फिल्म समीक्षा : काला करिकालन
फिल्म समीक्षा लिए लुकाठी हाथ काला करिकालन -अजय ब्रह्मात्मज 'पा रंजीत निर्देशित 'काला करिकालन' के क्लाइमेक्स के ठीक पहले के दृश्यों में दो बार रजनीकांत हाथ में लुकाठी लिए माफिया को चुनौती देने के अंदाज में धारावी में खड़े दिखते हैं। पृष्ठभूमि में आग लगी हुई है। सब कुछ धू-धू कर जल रहा है। यह आग बस्ती खाली करवाने के लिए हरि दादा (नाना पाटेकर) ने लगवाई है। फिल्म झोंपड़पट्टी और लैंड माफिया की परिचित कहानी पर है,लेकिन पा रंजीत के दृश्यबंध और संवाद इसे पहले की फिल्मों से अलग और विशेष बना देते हैं। उन्होंने राम और रावण के रूपक का फिल्म में इस्तेमाल किया है। दक्षिण के ही निर्देशक मणि रत्नम ने 'रावण' में रामायण के मिथक का अलग चित्रांकन किया था। रंजीत के रूपक में उनकी पक्षधरता स्पष्ट प्रतीकों में नज़र आती है। 'ज़मीन.... मानव सभ्यता के विकास में ज़मीन की अहम् भूमिका रही है। जैसे-जैसे सभ्यता की विकास हुआ,अपनी फसल उपजाने के लिए जंगलों को काट कर उस ज़मीन को खेती करने के लायक बनाया। उसे अपने चेतना का मूल हिस्सा बनाया। उसकी मेहनत से ज़मीन को भगवन का दर्जा मिल