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हिंदी सिनेमा से भी जुड़े थे के बालाचंदर

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अजय ब्रह्मात्मज ‘एक दूजे के लिए’ के निर्देशक के बालचंदर का कल चेन्नई में निधन हो गया। मृत्यु के समय वे 84 साल के थे। 9 जुलाई 1930 को उनका जन्म हुआ था। हिंदी सिनेमा के दर्शक उन्हें मुख्य रूप से ‘एक दूजे के लिए’ के निर्देशक के तौर पर जानते हैं। वे यह भी जानते हैं कि तमिल सिनेमा के वर्तमान सुपरस्टार रजनीकांत और कमल हासन का करियर के बालाचंदर ने ही संवारा था। उन्होंने अन्य कई स्टारों को पहला मौका दिया। के बालाचंदर मूलत: रंगकर्मी और लेखक थे। उन्होंने आरंभ में नाटक लिखे और उनका मंचन किया। रागिनी रिक्रिएशन उनकी रंग संस्था थी। हिंदी में ‘एक दूजे के लिए’ के निर्देशन से पहले उन्होंने ‘आईना’ का निर्देशन किया था और अनेक फिल्मों के लेखन से जुड़े थे। सबसे पहले फणि मजुमदार ने उनके नाटक ‘मेजर चंद्रकांत’ पर आधारित ‘ऊंचे लोग’(1965) का निर्देशन किया था। ‘ऊंचे लोग’ सेना के रिटायर मेजर चंद्रकांत की कहानी है। अंधे मेजर चंद्रकांत रिटायर होने के बाद अपने तीनों बेटे की शादी करते हैं। उसके बाद उनकी जिंदगी में भारी तब्दीली आती है। फिर 1968 में एसएस वासन ने ने के बालचंदर की तमिल फि

एक हैं के बालाचंदर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज हिंदी फिल्मों के दर्शकों को फिल्म एक दूजे के लिए अवश्य याद होगी। कमल हासन और रति अग्निहोत्री की इस फिल्म की लव स्टोरी ने दर्शकों को अलग किस्म का आनंद दिया था। दक्षिण के लड़के और उत्तर भारत की लड़की की इस प्रेमकहानी में दोनों संस्कृतियों की भिन्नता के साथ विशेषताओं को साथ रखते हुए के बालाचंदर ने रोचक तरीके से कमल हासन और रति अग्निहोत्री को पेश किया था। इसके पहले की हिंदी फिल्मों में दर्शकों ने दक्षिण भारत के चरित्रों को सहयोगी और हास्यास्पद भूमिकाओं में ही देखा था। हर संवाद के आगे-पीछे अई यई यई ओ.. बोलते ये पात्र अपनी लुंगी संभालने में ही वक्त बिताते थे। खास कर महमूद ने इनकी इमेज बिगाड़ कर रख दी थी, जबकि पड़ोसन में उन्होंने उसे फिल्म का पैरेलल किरदार बनाया था। बहरहाल, के बालाचंदर की इस प्रस्तुति को हिंदी दर्शकों ने पसंद किया। कमल हासन उसके चहेते बन गए। के बालाचंदर की दूसरी फिल्म जरा सी जिंदगी भी दर्शकों ने पसंद की थी। बाद में दक्षिण की फिल्मों में अपनी व्यस्तता और हिंदी फिल्मों की ट्रेडिशनल लॉबी की राजनीति की वजह से उन्होंने हिंदी फिल्मों से किनारा कर लिया। उनके प्रिय