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दरअसल : फिल्म फेस्टिवल की उपयोगिता

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-अजय ब्रह्मात्मज     कान, बर्लिन, वेनिस, शांगहाए, टोरंटो, मुंबई, टोकियो, सिओल आदि शहर फिल्म फेस्टिवल की वजह से भी विख्यात हुए हैं। पिछले दशकों के निरंतर आयोजन से इन शहरों में हो रहे फिल्म फेस्टिवल को गरिमा और प्रतिष्ठा मिली है। सभी का स्वरूप इंटरनेशनल है। सभी की मंशा रहती है कि उनके फेस्टिवल में दुनिया की श्रेष्ठ फिल्में पहली बार प्रदर्शित हों। इन फेस्टिवल में शरीक होना भी मतलब और महत्व रखता है। कृपया अपने देश की मीडिया में कान फिल्म फेस्टिवल में शामिल हुई फिल्मों की सुर्खियों पर न जाएं। अनधिकृत और मार्केट प्रदर्शन को भी कान फिल्म फेस्टिवल की मोहर लगा दी जाती है।     दर्शकों का एक हिस्सा और बुद्धिजीवियों का बड़ा हिस्सा हिंदी की अधिकांश फिल्मों को उनके मनोरंजक और मसाला तत्वों की वजह से खारिज कर देता है। अगर 21वीं सदी में इंटरनेशनल सिनेमा के विस्तार और गहराई के साथ हिंदी की अधिकांश फिल्मों की तुलना करें तो शर्मिंदगी ही महसूस होगी। इसमें कोई शक नहीं कि हिंदी फिल्में अपने दर्शकों का पर्याप्त मनोरंजन करती हैं और पैसे भी बटोरती हैं, लेकिन गुणवत्ता, विषय और प्रभाव के मामले में वे समय बीतने