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कहां से लाएं कहानी?

-अजय ब्रह्मात्मज घोर अकाल है। दरअसल, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कहानी की ऐसी किल्लत पहले कभी नहीं हुई। अभी हर तरफ यही सुगबुगाहट है। सभी एक-दूसरे से कहानी मांग रहे हैं। हर व्यक्ति नए विचार, विषय और वस्तु की तलाश में है और शायद इसीलिए कुछ महीने पहले सुभाष घई के हवाले से खबर आई थी कि वे मौलिक कहानी के लिए एक करोड़ रुपए देने को तैयार हैं। उन्होंने एक बातचीत में यह भी कहा कि अगर कोई उनके इंस्टीट्यूट में स्क्रिप्ट राइटिंग का कोर्स करने आए और महंगी फीस न दे पा रहा हो, तो वे उसे मुफ्त में ट्रेनिंग देंगे। पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में भी स्क्रिप्ट राइटिंग पर जोर दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले एनएफडीसी ने स्क्रिप्ट राइटिंग का वर्कशॉप किया था। हाल में दो संस्थानों ने स्क्रिप्ट राइटिंग को बढ़ावा देने और नए लेखन की उम्मीद में दो अभियान आरंभ किए हैं। तात्पर्य यह कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कहानियों की मांग है और एक अरब से ज्यादा व्यक्तियों के देश में कायदे की बीस-पचीस कहानियां भी नहीं मिल पा रही हैं, जिन पर फिल्म बनाई जा सके! मिर्ची मूवीज ने स्क्रिप्ट-कहानी के लिए प्रतियोगिता आयोजित की है