Posts

Showing posts with the label शहीद कपूर

फ़िल्म समीक्षा:कमीने

**** बैड ब्वाय के एंगल से गुड ब्वाय की कहानी -अजय ब्रह्मात्मज वह चलता है, मैं भागता हूं-चार्ली (लेकिन दोनों अंत में साथ-साथ एक ही जगह पहुंचते हैं। जिंदगी है ही ऐसी कमीनी।) समकालीन युवा निर्देशकों में विशाल भारद्वाज महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। अगर आपने विशाल की पिछली फिल्में देखी हैं तो कमीने देखने का रोमांच ज्यादा होगा। अगर उनकी कोई फिल्म पहले नहीं देखी है तो शैली, शिल्प, संवाद, दृश्य, दृश्य संयोजन, संरचना, बुनावट, रंग, प्रकाश और टेकिंग सभी स्तरों पर नवीनता का एहसास होगा। एकरेखीय कहानी और पारंपरिक शिल्प के आदी दर्शकों को झटका भी लग सकता है। यह 21वीं सदी का हिंदी सिनेमा है, जो गढ़ा जा रहा है। इसका स्वाद और आनंद नया है। विशाल भारद्वाज ने जुड़वां भाइयों की कहानी चुनी है। उनमें से एक बैड ब्वाय और दूसरा गुड ब्वाय है। बचपन की एक घटना की वजह से दोनों एक-दूसरे को नापसंद करते हैं। उनकी मंजिलें अलग हैं। बैड ब्वाय जिंदगी में कुछ भी हासिल करने के दो ही रास्ते जानता है-एक शार्टकट और दूसरा छोटा शार्टकट। जबकि गुड ब्वाय ने अपनी आलमारी के भीतरी पल्ले पर 2014 तक का अपना लाइफ ग्राफ बना रखा है। नएपन के लि

भरोसेमंद और शालीन शाहिद कपूर

Image
-अजय ब्रह्मात्मज एनएसडी में पंकज कपूर के क्लासमेट रहे एक सीनियर आर्टिस्ट से पिछले दिनों मुलाकात हो गई। वे रंगमंच, टीवी और फिल्मों में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कुछ फिल्में भी लिखी हैं। यूं ही बातचीत में शाहिद कपूर का जिक्र आ गया। वे बताने लगे, इधर तो मेरी मुलाकात नहीं हुई है शाहिद से, लेकिन मैं उसे बचपन से ही जानता हूं। सुशील स्वभाव का लड़का है और उसमें स्पार्क तो है ही। मैंने उम्मीद नहीं की थी कि वह इतने संतुलित स्वभाव का भी होगा! दरअसल.., बातचीत में करीना कपूर का प्रसंग आ गया था। शाहिद कपूर और करीना कपूर के प्रसंग में सबसे अच्छी बात यही रही कि दोनों में से किसी ने भी एक-दूसरे पर कीचड़ नहीं उछाला। आमतौर पर दिल टूटते हैं, तो विक्षुब्ध प्रेमी बकबकाने लगते हैं। दुर्भाग्य से अगर वे सेलिब्रिटी हों, तो कई बार दबाव में आकर भी अनचाहा कुछ बोल ही जाते हैं। इस प्रसंग में सामाजिक और पारंपरिक सोच के मुताबिक शाहिद कपूर की हार मानी जा रही थी। कहा यह जाता है कि प्रेम कहानियों में लड़की जिसके पास जाती है, वही हीरो होता है। हालांकि यह पर्दे पर ही नहीं, पर्दे के आगे-पीछे का भी सच है। बहरहाल, शाहिद कपूर