फिल्म रिव्यू : आशिकी २
दो दशक पहले आई आशिकी में आशिक की मोहब्बत और जिंदगी का मकसद कुछ और था। अपने उद्दाम प्रेम और सोच से वह सब कुछ हासिल कर सका और विजयी रहा। आशिकी 2 में भी आशिक की मोहब्बत और जिंदगी का एक मकसद है। इस बार भी उद्दाम प्रेम है। यह 21 वीं सदी का दूसरा दशक है। इस समय ऐसी मोहब्बत की हम कल्पना नहीं कर सकते, इसलिए आशिकी 2 स्वाभाविक नहीं लगती। फिल्म की हीरो अपनी हताश हरकतों से हमें निराश करता है। वह विजयी नहीं है। अपनी माशूका के लिए उठाया गया उसका कदम वाजिब तो हरगिज नहीं कहा जा सकता। वह हमें प्रेरित नहीं करता। वह उदास करता है। मोहित सूरी ने 21 वीं सदी में प्रेम की उदास कहानी कही है। इस कहानी में परंपरा में मिले त्याग और बलिदान का टच है, लेकिन क्या आज ऐसा होता है या हो सकता है? राहुल के करिअर में आया उफान उतार पर है। वह चिड़चिड़ा और तुनकमिजाज हो चुका है। अपनी असुरक्षा में वह हारे हुए कलाकारों की तरह आत्महंता व्यवहार करता है। वह खोई कामयाबी तो चाहता है, लेकिन सृजन के प्रति आवश्यक समर्पण खो चुका है। उसे आरोही की आवाज असरदार लगती है। वह उसे सही मुकाम तक लाने की कोशिश में लग जाता है। फिल