शहर-शहर डोलते स्टार
-अजय ब्रह्मात्मज पिछले सप्ताह शाहरुख खान पटना नहीं जा सके। उनके न जा पाने की सही वजह के संबंध में कंफ्यूजन है। शाहरुख ने ट्विट किया था कि जिला अधिकारियों ने सुरक्षा कारणों से उन्हें आने से रोका, लेकिन पटना प्रशासन कह रहा है कि हम तो सुरक्षा में चाक-चौबंद थे। अगर हम अमिताभ बच्चन को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं तो शाहरुख को भी पटना से सुरक्षित भेज सकते हैं। आखिकार शाहरूख खान पटना गए।बहरहाल, शाहरुख ने उम्मीद जताई है कि वे जल्दी ही पटना जाएंगे। पटना के प्रति अचानक शाहरुख की हमदर्दी समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा। पटना और दूसरे कथित छोटे शहर अब फिल्मों के प्रचार रोडमैप में आ गए हैं। इसकी शुरुआत बहुत पहले महेश भट्ट ने की थी। महेश भट्ट अपनी फिल्मों की टीम के साथ छोटे-छोटे शहरों में घूमते रहे हैं। उन्होंने तमन्ना की टीम के साथ पटना की यात्रा की थी। उसके बाद दैनिक जागरण की पहल पर मनोज बाजपेयी प्रचार के लिए अपनी फिल्म शूल लेकर कानपुर गए थे। छोटे शहरों को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जोड़ने की कल्पना और योजना में इन पंक्तियों के लेखक की भी भूमिका रही है। शुरुआती सालों में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री