सत्यमेव जयते-10 : समानता का अधूरा सपना-आमिर खान
  अनेक ऐसी बातें हैं जो महात्मा गांधी को उनके समकालीन स्वतंत्रता  सेनानियों तथा नेताओं से अलग करती हैं। इनमें से एक बात यह है कि उन्होंने  आजादी के संघर्ष के साथ-साथ एक अन्य चीज को बराबर का महत्व दिया और यह थी  समाज में नीचे के स्तर पर समझी जाने वाली जातियों के लोगों को बराबरी पर  लाने का प्रयास। अस्पृश्यता के खिलाफ गांधीजी का कार्य हमारी आजादी के पांच  दशक पहले दक्षिण अफ्रीका से ही आरंभ हो गया था। जब वह भारत लौटे तो उनसे  जुड़ी एक घटना ही यह बताने के लिए काफी है कि उन्होंने समानता के विचार को  कितना महत्व दिया। यह वर्ष 1915 की बात है। गांधीजी के एक निकट सहयोगी  ठक्कर बप्पा ने एक दलित दुधा भाई को आश्रम में रहने के लिए भेजा। कस्तूरबा  समेत हर कोई उन्हें आश्रम में रखने के खिलाफ था। गांधीजी ने यह साफ कर दिया  कि दुधा भाई आश्रम नहीं छोड़ेंगे और जो लोग इससे सहमत नहीं हैं वे खुद  आश्रम छोड़कर जाने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्हें यह भी बताया गया कि कोई भी  उनकी बात से सहमत नहीं होगा और यहां तक कि आश्रम को मिलने वाली आर्थिक  सहायता भी बंद हो सकती है। इसका भी गांधीजी पर कोई असर नहीं पड़ा। गांधीजी  ...