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आस्कर में आंग ली की नमस्ते

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-अजय ब्रह्मात्मज     पिछले हफ्ते आस्कर अवार्ड का लाइव टेलीकास्ट देश में देखा गया। इस बार भारत में इसके दर्शकों की संख्या बढ़ी। सोशल मीडिया नेटवर्क पर भी आस्कर अवार्ड पर काफी विमर्श हुआ। समारोह की रात (भारत में सुबह) के पहले से ही उत्साही भविष्यवाणियां कर रहे थे। सभी की अपनी ‘विश लिस्ट’ थी। इस बार एक अच्छी बात हुई थी कि आस्कर अवार्ड की विभिन्न श्रेणियों में नामांकित फिल्में भारत में देखी जा चुकी थीं। विदेशी प्रोडक्शन हाउस अब अमेरिका के साथ ही भारत में फिल्में रिलीज कर रहे हैं। मल्टीप्लेक्स और मैट्रो के दर्शकों का एक समूह हालीवुड की फिल्मों में रुचि लेता है। इस बार आस्कर के लिए नामांकित अधिकांश फिल्में अपने कंटेंट और लेखन के लिए सराही गई हैं। कहा जा रहा है कि हालीवुड में 2012 लेखकों का साल रहा। 2012 में हिंदी फिल्मों में भी लेखकों ने विविधता दिखाई है, लेकिन सारा क्रेडिट डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और कारपोरेट प्रोडक्शन हाउस ले गए।     आस्कर अवार्ड की विदेशी भाषा श्रेणी में हर साल भारत से एक फिल्म जाती है। नामांकन सूची तक भी ये फिल्में नहीं पहुंच पातीं। फिर भी हर साल भेजी गई फिल्मों को लेकर

फिल्‍म समीक्षा : लाइफ ऑफ पाई

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-अजय ब्रह्मात्‍मज यान मार्टेल का उपन्यास 'लाइफ ऑफपाई' देश-विदेश में खूब पढ़ा गया है। इस उपन्यास ने पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया है। विश्वप्रसिद्ध फिल्मकार आंग ली ने इसी उपन्यास को फिल्म का रूप दिया है। 3 डी तकनीक के उपयोग से उन्होंने मार्टेल की कल्पना को पर्दे पर धड़कन दे दी है। जीव-जंतु और प्राकृतिक सौंदर्य की लगभग नैसर्गिक अनुभूति दिलाने में वे सफल रहे हैं। यह फिल्म पाई की कहानी है। पांडिचेरी के निजी चिड़ियाघर के मालिक के छोटे बेटे पाई के माध्यम से निर्देशक ने जीवन, अस्तित्व, धर्म और सहअस्तित्व के बुनियादी प्रश्नों को छुआ है। पाई अपने परिवार के साथ कनाडा के लिए समुद्र मार्ग से निकला है। रास्ते के भयंकर तूफान में उसका जहाज डूब जाता है। मां-पिता और भाई को डूबे जहाज में खो चुका पाई एक सुरक्षा नौका पर बचा रह जाता है। उस पर कुछ जानवर भी आ गए हैं। आखिरकार नाव पर बचे पाई और बाघ के बीच बने सामंजस्य और सरवाइवल की यह कहानी रोमांचक और रमणीय है। किशोर पाई की [सूरज शर्मा] की कहानी युवा पाई [इरफान खान] सुनाते हैं। अपने ही जीवन के बारे में बताते समय पाई का चुटीला अंदाज कहानी