फिल्म समीक्षा : भिंडी बाजार
बादशाहत के लिए लड़ते प्यादे -अजय ब्रह्मात्मज इस फिल्म के शीर्षक में आईएनसी यानी इन कारपोरेट शब्द जोड़ा गया है, लेकिन पूरी फिल्म शतरंज की चालों के बीच हिस्सों में चलती रहती है। शतरंज की बिसात पर बादशाहत के लिए प्यादों की लड़ाई चलती रहती है और फिल्म आगे बढ़ती रहती है। मुंबई के अंडरवर्ल्ड और उसके चलने-चलाने के तरीके पर राम गोपाल वर्मा ने कंपनी नाम की फिल्म बनाई थी। आगे वे डिपार्टमेंट बनाने जा रहे हैं। अंडरवर्ल्ड की कहानी हिंदी फिल्मकारों को आकर्षित करती रहती है, लेकिन ज्यादातर फिल्मों में कोई नई बात नजर नहीं आती। भिंडी बाजार भी उसी दोहराव का शिकार हुई है, जबकि कुछ नए दृश्य रचे गए हैं। भिंडी बाजार में हिंदू और मुस्लिम सरगनों के जरिए यह भी बता दिया है कि मुंबई में अंडरवर्ल्ड धर्म के आधार पर बंटा हुआ है। उनके विस्तार में लेखक-निर्देशक नहीं गए हैं, इसलिए पता नहीं चलता कि इसकी वजह क्या है और दोनों के इंटरेस्ट में कोई फर्क भ ी है क्या? निर्देशक का मुख्य फोकस मुस्लिम अंडरवर्ल्ड पर है। यहां चल रही मारकाट और नेतृत्व लेने की ललक में साजिश रचते किरदार सामान्य किस्म के हैं। कलाकारों की भिन्न