सामाजिक सरोकार की फिल्म है समर 2007
-अजय ब्रह्मात्मज आयटम सांग, कामेडी, एक्शन और मल्टीस्टारर फिल्मों के इस दौर में सुहैल तातारी ने सामाजिक सरोकार की फिल्म निर्देशित की है। सालों बाद किसी फिल्म में गांव, किसान और किसानों की आत्महत्या के पहलू सामने आए हैं। यह डाक्यूमेंट्री, उपदेशात्मक या महज बोलवचन की फिल्म नहीं है। फिल्म अपनी बात कह जाती है। अगर आप कान एवं ध्यान लगाएं तो बात समझ में भी आती है। अमीर परिवारों के पांच बच्चे कैपिटेशन फी देकर मेडिकल कालेज में दाखिला लेते हैं। उन सभी का ध्यान पढ़ाई से ज्यादा दूसरी चीजों में लगा रहता है। उनकी अपनी एक समृद्ध, काल्पनिक और निरपेक्ष दुनिया है। सच से उनका सामना पहली बार तब होता है, जब छात्र संघ के चुनाव का समय आता है। प्रकाश नाम का छात्र नेता अपने स्वतंत्र सोच से उन्हें चुनौती देता है और राजनीति के लिए उकसाता है। पांचों युवक चुनाव की चपेट में आते हैं और फिर एक दबाव के कारण कैंपस से पलायन करते हैं। वे बचने का आसान रास्ता चुनते हैं और गांव के प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर सेवा देने के बहाने निकल जाते हैं। गांव पहुंचते ही उनका यथार्थ से साक्षात्कार होता है। कुछ समय तक वे निरपेक्ष और उदास