गोवा में फिल्म फेस्टिवल
पिछले दिनों चवन्नी गोवा में था.वहाँ इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल चल रहा है और फिल्मों के जानकार,प्रेमी और पत्रकारों की भीड़ लगी है.सबसे ज्यादा तो अधिकारी मौजूद हैं.सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय,फिल्म निदेशालय और पत्र एवं सूचना विभाग के अधिकारियों के साथ ही गोवा के भी अधिकारी हैं.इनकी संख्या फिल्म देखनेवालों से ज्यादा है.तभी तो उद्घाटन समरोह में जब शाहरुख़ खान आये तो उनके साथ लगभग २० अधिकारी थे.क्या ज़रूरत थी उनकी?चवन्नी को लगता है कि ज्यादातर तो फोटो खींच और खिंचवा रहे होंगे। भारत में आयोजित फिल्म फेस्टिवल को विदेशी फेस्टिवल की तरह ब्रांड बनने की कोशिश लंबे समय से चल रही है.गोवा में फेस्टिवल के आयोजन को चार साल हो गए,लेकिन अभी तक न तो ब्रांड बना और न गोवा फेस्टिवल की कोई पहचान बनी.सब कुछ इतना सरकारी हो जाता है कि तरकारी हो जाता है.सही ढंग से प्रचार भी नही किया जाता.मीडिया की रूचि वैसे ही कम रहती है और फिर उन्हें जिस तरीके से तंग किया जाता है कि उसमें मजबूरन वे तौबा कर लेते हैं.इस बार भी जब तक शाहरुख़ खान थे तब तक मीडिया खास कर टीवी मीडिया के लोग बने रहे.उधर शाहरुख़ निकले और इधर वे निकले। कायद