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अनूराग कश्यप से बातचीत जनवरी 2018

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आंज रिलीज हुई मुक्‍काबाज़ पर अनुराग कश्‍यप से हुई बातचीत। यह बातचीत इसी पुस्‍तक से ली गई है। अनुराग ने इस पुस्‍तक में फिल्‍मों में आने को उत्‍सुक और इच्‍छुक प्रतिभाओं को हिदायतें और सलाह दी हैं। आप सभी के लिए यह पतली पुस्‍तक उपयोगी और प्रेरक हो.... अनुराग कश्‍यप मुक्‍काबाज़ के बारे में मुक्‍काबाज में राजनीति है –अनुराग कश्‍यप -अजय ब्रह्मात्‍मज   - आप के करिअर की यात्रा में यह फिल्‍म कहां ठहरती है ? 0 मेरे लिए यह फिल्‍म बहुत मायने रखती है। यह एक नई कोशिश है। बहुत सारी चीजों को बहुत ही सोच-समझ के फिल्‍म से दूर रखा है। मैा चाहता हूं कि फिल्‍म लोगों तक पहुंचे। आम दर्शकों तक पहुंचे। उसकी पहुंच बढ़े। सचेत रूप से यूए सर्टिफिकेट के हिसाब से फिल्‍म बनाई है। बहुत कुझ कहना भी चाहता हूं। बहुत जरूरी है यह देखना कि अभी हमारा जो सामाजिक-राजनीतिक ढांचा बन गया है,उसमें कोई भी कहीं भी किसी भी बात का बुरा मान जाता है। खड़ा हो जाता है। लड़ने लगता है। हम जिन दायरों और बंधनों को भूल चुके थे। खुल कर फिल्‍में बना रहे थे। वापस उन दायरों में डाल दिया गया है। जाति है,मजहब है और भी वर्ग

कान और कानपुर के दर्शक मिले मुझे- नवाजुद्दीन सिद्दीकी

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-अजय ब्रह्मात्‍मज नवाजुद्दीन सिद्दीकी तीसरी बार कान फिल्‍म फेस्टिवल जा रहे हैं। वे आज ही उड़ान भर रहे हैं। तीसरे ट्रिप में ‘ रमन राघव 2.0 ’ उनकी आठवीं फिल्‍म होगी। कान फिल्‍म फेस्टिवल से एक रिश्‍ता सा बन गया है उनका। इस बार नवाज की चाहत है कि वे वहां अपने समय का सदुपयोग करें। परिचय का दायरा बढ़ाएं। दो दिनों पहले मंगलवार को उनकी फिल्‍म ‘ रमन राघव 2.0 ’ का ट्रेलर भी जारी हुआ। एक बार फिर अपने जोरदार परफारमेंस की उन्‍होंने झलक दी. .. -पहला सवाल यही है कि कहां के दर्शकों के बीच अधिक खुशी मिलती है- कान या कानपुर ? 0 मैं तो चाहूंगा कि मेरी फिल्‍में कान और कानपुर दोनों जगहों में सरही जाएं। कई बा ऐसा होता है कि कान में तो सराहना मिल जाती है,लेकिन कानपुर फिल्‍म पहुंच ही नहीं पाती। इस बार मैं दोनों जगहों के दर्शकों के बीच अपनी पैठ बनाना चाहूंगा। -क्‍या कापनुर के दर्शकों की रुचि ‘ रमन राघव 2.0 ’ में होगी ? 0 बिल्‍कुल होगी। मर्डर,ह्यूमर और ह्यूमन स्‍टोरी रहती है अनुराग कश्‍यप के पास। उनकी फिल्‍में सराही जाती रही हैं। अनुराग कश्‍यप की फिल्‍में सिर्फ फस्टिवल के लिए नहीं होती

ताली तो बजाओ यारों - नवाजुद्दीन सिद्दीकी

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-अजय ब्रह्मात्‍मज नवाजुद्दीन सिद्दीकी की जिंदगी में आन,बान और शान के साथ इत्‍मीनान भी आया है। वे सुकून और सुविधा से पसंद की फिल्‍में कर रहे हैं। उन्‍हें पिछले साल की फिल्‍मों के लिए कुछ अवार्ड मिले। मुंबई के यारी रोड इलाके में उन्‍होंने प्‍यारा से ऑफिस बनाया है,जो उनकी तरह ही औपचारिकताओं से दूर है। इसे उन्‍होंने खुद ही डिजाइन किया है। उनके ही शब्‍दों में कहें तो, ’ मैं हमेशा से चाहता था कि मेरा ऑफिस   ऐसा हो, जो ऑफिस   जैसा ना लगें। मुझे वहां पर सुकून   मिले। मैं यहां कैसे भी कहीं पर बैठ सकता हूं। इसे मैंने पुराने समय के बैठक का रूप दिया है। अगर ऑफिस   होता तो चेयर और टेबल होते। मैं चेयर पर बैठने में असहज महसूस करता हूं। ‘   -लगातार अवार्ड मिल रहे हें। ये   आपको खुशी के लावा और क्या देते हैं? 0 इतने सारे अवार्ड   हो गए हैं। अवार्ड   मिल जाने पर उतनी खुशी भी नहीं होती है। न मिले तो दुख कतई नहीं होता। इन अवार्ड समारोहों में दर्शक टिकट लेकर आते हें। उनकी रुचि अवार्ड से ज्‍यादा परफारमेंस में रहती मैंने देखा है कि अवार्ड मिलने पर कोई ताली भी नहीं बजाता है। बहुत

बॉम्‍बे वेल्‍वेट का हिंदी पोस्‍टर और आम हिंदुस्‍तानी गीत के बोल

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  हिंदी पत्रकारों और पत्र-पत्रिकाओं की सुविधा के लिए बॉम्‍बे वेल्‍वेट का हिंदी पोस्‍टर। अभी तक आप जिस भी तरीके से फिल्‍म का नाम लिखते रहे हों। आगे से इसका नाम बॉम्‍बे वेल्‍वेट ही लिखें तो नाम की एकरूपता बनी रहेगी।  साथ में पेश ही इसी फिल्‍म के एक गीत के बोल.... बाॅम्‍बे वेल्‍वेट मूल गीत रोमन हिंदी-अमिताभ भट्टाचार्य                                             लिप्‍यंतरण हिंदी- रामकुमार सिंह आम हिंदुस्‍तानी धोबी का कुत्‍ता जैसे, घर का ना घाट का पूरी तरह ना इधर का ना उधर का सुन बे निखट्टू तेरा वही तो हाल है जिंदगी की रेस में, जो मुंह उठा के दौड़ा जिंदगी ने मारी लात पीछे छोड़ा, तू है वो टट्टू गधे सी जिसकी चाल है प्‍यार में ठेंगा, बार में ठेंगा, क्‍योंकि बोतल भी गोरों की गुलाम है रूठी है महबूबा, रूठी रूठी शराब है आम हिंदुस्‍तानी तेरी किस्‍मत खराब है आसमान से यूं गिरा खजूर पै तू अटका तेरे हालात ने उठाके तुझको पटका की ऐसी चंपी कि तेरे होश उड़ गए बेवफाई देख के ना आई तुझको हिचकी चौड़ी छाती तेरी चुटकियों में पिचकी गम की पप्‍पी मिली तो बाल झड़ गए प्‍यार मे

बांबे वेलवेट 15 मई 2015

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 अनुराग कश्‍यप की फिल्‍म बांबे वेलवेट 15 मई 2015 को रिलीज होगी। इस फिल्‍म के बारे में इन दिनों बहुत ज्‍यादा कयास लगाए जा रहे हैं। ज्‍यादातर कयास निगेटिव हैं। अनुराग समर्थक और विरोधी दोनों ही असमंजस में हैं। समर्थकों को लग रहा है कि अनुराग कश्‍यप  लंबे संघर्ष के बाद परिधि से केंद्र की तरफ तेजी से बढ़ने में बदल गए हैं। उनकी सोहबत बदली है। वे पुराने साथियों के लिए पहले की तरह समय नहीं निकाल पाते।  पुराने साथी उनकी इस प्रगति के साथ स्‍वयं को व्‍यवस्थित नहीं कर पा रहे हैं।  दूसरी तरफ पिरोधियों को उनकी प्रगति और ताकत नहीं सोहाती। वे अभी से भविष्‍यवाणियां कर रहे हैं कि अनुराग कश्‍यप की इस फिल्‍म से निर्माता को भारी नुकसान होगा। बगैर किसी आधार की उनकी इन भविष्‍यवाणियों से समर्थकों की शंकाएं बढ़ जाती हैं। नतीजा यह होता है कि बांबे वेलवेट के प्रदर्शन के बाक्‍स आफिस परिणामों की चिुता में व्‍यर्थ ही सभी घुलते जा रहे हैं। इस फिल्‍म में रणवीर कपूख्,करण जौहर और अनुष्‍का शर्मा यूनिक किरदारों को निभा रहे हैं। इस पीरियड फिल्‍म में वे सातवें दशक के किरदारों में हैं। कहा जा रहा है कि उन्‍होंने इन

बेचैन रहते हैं अनुराग कश्यप

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-अजय ब्रह्मात्मज     28 मई को अनुराग कश्यप की फिल्म ‘अग्ली’ फ्रांस में रिलीज हुई। फ्रांसीसी भाषा में इसे डब किया गया था। अनुराग कश्यप चाहते हैं कि ‘अग्ली’ भारत में भी रिलीज हों। उन्होंने फिल्म में धूम्रपान के दृश्यों के साथ आने वाली चेतावनी के खिलाफ जंग छेड़ रखी थी। उनका मानना है कि फिल्म देखते समय लिखे शब्दों में ऐसी चेतावनी धूम्रपान के खिलाफ सचेत करने का बचकाना प्रयास है। अपने इस तर्क के बावजूद अनुराग अपना केस हार चुके हैं। हाई कोर्ट ने उन्हें बताया है कि अभी सुप्रीम कोर्ट में इसी से संबंधित एक मामला दर्ज है, इसलिए हाई कोर्ट किसी भी फैसले पर नहीं पहुंच सकता। अनुराग मानते हैं कि फिलहाल इस मसमले में कुद नहीं किया जा सकता। उन्होंने ‘अग्ली’ की भारतीय रिलीज का फैसला अब निर्माता और निवेशकों पर छोड़ रखा है। वे कहते हैं, ‘निर्माताओं ने मेरा लंबा साथ दिया। वे मेरे साथ बने रहे, लेकिन अब उन्हें दिक्कत महसूस हो रही है। ‘अग्ली’ फ्रांस में रिलीज हो चुकी है। निर्माता जल्दी ही यहां भी रिलीज की घोषणा करेंगे।’     पिछले हफ्ते रिलीज हुई निशा पाहुजा की डाक्यूमेंट्री ‘द वल्र्ड बिफोर हर’ ने अनुराग

मिली बारह साल पुरानी डायरी-2

बारह साल पुरानी डायरी के अंश.... -अजय ब्रह्मात्‍मज 2 अगस्त 2001       फेमस में ‘ हम हो गए आपके ’ का शो था। 6 बजे से शो आरंभ हुआ। समीक्षकों और पत्रकारों की पूरी उपस्थिति थी। दोपहर में फरदीन के सचिव तिवारी से बातचीत हुई। तिवारी ने बताया कि फिल्म बहुत अच्छी बनी है। फिल्म देखकर लगा कि छठे और सातवें दशक की महक है। एक बुरा लडक़ा प्रेम करने के बाद कैसे सुधर जाता है। फरदीन का प्रयास अभिनय में दिखता है। वह खुद को तोडऩे की कोशिश करता है। खुलना चाहता है , मगर कोई चीज उसे जकड़े रहती है। इस फिल्म में उसकी हंसी शुरू से आखिर तक एक जैसी है। रीमा सेन की पाली हिंदी फिल्म है यह। उसमें संभावनाएं हैं।       दोपहर में अनुराग कश्यप से बात हो रही थी। उनकी फिल्म को सेंसर ने सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया है। मुख्य रूप से भाषा , हिंसा और संदेश न होने का कारण बताया गया है। अनुराग ने कहा कि पहली फिल्म के फंस जाने से वह निराश नहीं है। वह रिवाइजिंग कमेटी में जाएंगे। वहां भी बात नहीं बनी तो वह ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। फिलहाल इरादा है कि बड़े फिल्मकारों , स्तंभकारों और समीक्षकों को फिल्म दि