संग-संग : दीया मिर्जा-साहिल संघा
दीया मिर्जा और साहिल संघा ने अपने प्रेम,विाह और स्त्री-पुरुष संबंधों पर खुल कर बातें कीं। यह सीरिज प्रेम के परतें खोलती है।21 वीं सदी में रिश्ते के बदलते मायनों के बीच भी प्रेम स्पंदित होता है। - अजय ब्रह्मात्मज साहिल- सच की यह समस्या है कि एक बार बोल दो तो बताने के लिए कुछ नहीं रह जाता है। मैं दिया को एक कहानी सुनाने आया था। उस वक्त उन्हें वह कहानी पसंद आई थी। गलती से मैं भी पसंद आ गया था। तभी दीया ने अपनी कहानी सुनाई थी। उस कहानी पर भी मैं काम कर रहा था। स्क्रिप्ट लिखने के समय स्वाभाविक तौर पर हमारा समय साथ में बीत रहा था और हमारे कुछ समझने के पहले ही जैसा कि कहा जाता है कि ‘ होना था प्यार , हो गया ’ । दीया:- वह एक लव स्टोरी थी। बहुत ही संवेदनशील किरदार थे उस कहानी के। इनके लिखने में जिस प्रकार की सोच प्रकट हो रही थी , वह सुनते और पढ़ते हुए मेरा दिल इन पर आ गया। फिल्म इंडस्ट्री में इतना समय बिताने के बाद हम यह जानते हैं कि लोग कैसे सोचते हैं और क्या बोलते हैं ? किस मकसद से कहानियां लिखी जाती हैं ? ऐसे में कोई एक अनोखा इंसान ऐसी कहानी और खूबसूरत सोच लेकर आ जाता है।