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हमने बहाने से छुपके ज़माने से तेरी हर इक अदा से दिल को लगाया : सुदीप्ति

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श्रीदेवी   हमने बहाने से छुपके ज़माने से तेरी हर इक अदा से दिल को लगाया - सुदीप्ति   इतवार की कोई सुबह ऐसे भी होगी , सोचा न   था ! थोड़ी नींद अभी बची हुई थी , कुछ अलसाया हुआ सा मन था . और फोन पर ठंडी सी खबर मिली -- “ श्रीदेवी नहीं रहीं . रात दिल के दौरे से देहांत हो गया .” सहसा यकीन नहीं हुआ . कौन श्री ? सच्ची ? ऐसा कैसे ? पलकों के कोर अनायास गीले हो गये . रोना किसी अपने के जाने पर आता है और श्री से अपना जो नाता था वह करीब उनतीस साल पुराना , खासा ‘ अपना ’, था . वो मेरे सपनों की रानी थी . हँसिए मत . कहीं नहीं लिखा हुआ है कि लड़कियों के सपनों के राजकुमार ही होते हैं . श्री के लिए ‘ थी ’ लिखना अभी भी आँसू लाने वाला है . बरसों तक उसकी एक - एक छवि को संजोया हुआ वक़्त आँखों के सामने से गुज़रा जा रहा है . बड़े होने के बाद ‘ फैन ’ होने की भावात्मक मूर्खताओं से जब काफी दूर हो गई तब भी श्री के लिए बहसों में पड़ी और उसको लेकर एक नोस्टाल