फिल्म समीक्षा : इंदु सरकार
फिल्म रिव्यू इंदु सरकार -अजय ब्रह्मात्मज शाह कमीशन की रिपोर्ट और भारत सरकार के तमाम विभागों के सहयोग और इनपुट के साथ बनी मधुर भंडारकर की ‘ इंदु सरकार ’ देश आपात्काल के समय और दुष्परिणामों को नहीं पेश कर पाती। फिल्म में लंबा डिसक्लेमर है कि ‘ फिल्म में दिखाए सभी पात्र और घटनाएं पूरी तरह से काल्पनिक हैं,वास्तविकता से कोई समानता होती है,तो वह मात्र एक संयोग होगा। कोई भी समानता,चाहे वह किसी व्यक्ति (मृत या जीवित),पात्र या इतिहास से हो,पूरी तरह काल्पनिक है। ‘ इस डिसक्लेमर के बाद कुछ किरदारों का संजय गांधी,इंदिरा गांधी,कमलनाथ,जगदीश टाइटलर की तरह दिखना कांग्रेस के शासन में लगे आपातकाल का संकेत तो देता है,लेकिन बगैर नाम के आए इन चेहरों से फिल्म का प्रभाव पतला हो जाता है। संदर्भ और विषय की गंभीरता नहीं बनी रहती। हालांकि फिल्म में किशोर कुमार,तुर्कमान गेट और नसबंदी जैसे वास्तविक आपातकालीन प्रसंग आते हैं। 20 सूत्री कार्यक्रम और पांच सूत्री कार्यक्रम का जिक्र आता है,फिर भी फिल्म आपातकाल के दौर में घुसने से बचती है। यह फिल्म आपातकाल के हादसों और फैसलों से रोंगटे नह