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कंगना रनोट का पुरस्कारों से परहेज

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    नए कलाकार पुरस्कार पाने और पुरस्कार समारोहों में जाने के लिए लालायित रहते हैं। यह नेटवर्किंग और रिकॉगनिशन का मौका होता है। ‘क्वीन’ से कामयाब हुई कंगना रनोट ने अभी से कहना आरंभ कर दिया है कि वे पुरस्कार समारोहों में शामिल नहीं होना चाहतीं और न ही पुरस्कारों के लिए लालायित हैं। इंडस्ट्री में चर्चा है कि अगले साल वह अवश्य ही ‘क्वीन’ के लिए सभी पुरस्कारों में नामांकित होगी और उन्हें कुछ पुरस्कार भी मिलेंगे। पुरस्कारों के प्रति इस विरक्ति के बारे में पूछने पर कंगना का जवाब चौंकाने वाला रहा। उन्होंने पुरस्कार संबंधित गतिविधियों के व्यावहारिक पक्ष को उजागर किया। उन्होंने थोड़ा हिचकते हुए पहले कहा कि सभी पुरस्कार उपयुक्त व्यक्तियों को दिए जाते हैं, लेकिन जब बेस्ट स्माइल और बेस्ट साड़ी के पुरस्कार बंटने लगें तो सभी को खुश रखने की इस कोशिश पर संदेह होता है। दूसरे इन दिनों कम से कम 15-16 पुरस्कार समारोह होते हैं। इन समारोहों में शामिल होने के लिए पहले ढाई घंटे तो मेकअप-गेटअप करो और फिर पांच घंटे पुरस्कार समारोह में बैठो। यह एक तरह से समय और पैसे की बरबादी है। पुरस्कार समारोहों में जाने के ल

दरअसल:मखौल बन गए हैं अवार्ड समारोह

-अजय ब्रह्मात्मज पहली बार किसी ने सार्वजनिक मंच से अवार्ड समारोहों में चल रहे फूहड़ संचालन के खिलाफ आवाज उठाई है। आशुतोष गोवारीकर ने जोरदार तरीके से अपनी बात रखी और संजीदा फिल्मकारों के उड़ाए जा रहे मखौल का विरोध किया। साजिद खान और फराह खान को निश्चित ही इससे झटका लगा होगा। उम्मीद है कि भविष्य में उन्हें समारोहों के संचालन की जिम्मेदारी देने से पहले आयोजक सोचेंगे और जरूरी हिदायत भी देंगे। पॉपुलर अवार्ड समारोहों में मखौल और मजाक के पीछे एक छिपी साजिश चलती रही है। इस साजिश का पर्दाफाश तभी हो गया था, जब शाहरुख खान और सैफ अली खान ने सबसे पहले एक अवार्ड समारोह में अपनी बिरादरी के सदस्यों का मखौल उड़ाया था। कुछ समय पहले सैफ ने स्पष्ट कहा था कि उस समारोह की स्क्रिप्ट में शाहरुख ने अपनी तरफ से कई चीजें जोड़ी थीं। मुझे बाद में समझ में आया कि वे उस समारोह के जरिए अपना हिसाब बराबर कर रहे थे। आशुतोष गोवारीकर और साजिद खान के बीच मंच पर हुए विवाद को आम दर्शक शायद ही कभी देख पाएं, लेकिन उस शाम के बाद अवश्य ही साजिद जैसे संचालकों के खिलाफ एक माहौल बना है। गौर करें, तो साजिद और उन जैसे संचालक गंभीर और