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यह रिश्‍ता क्‍या कहलाता है : हांगकांग में सितारों की मस्‍ती

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हांगकांग से लौट कर अजय ब्रह्मात्‍मज सभी जानते हैं कि स्‍टार प्‍लस का शो ’ यह रिश्‍ता क्‍या कहलाता है ’ काफी लोकप्रिय है। पिछले सात सालों से चल रहा यह शो रिश्‍तों के उतार-चढ़ाव और संबंधों के मोड़ की वजह से दर्शकों के बीच प्रिय है। पॉपुलर टीवी शो की खासियत है कि उसके कलाकारों को दर्शक पहचानते हें। उनके लिए वह परिवार का ऐसा सदस्‍य होता है,जो उनकी जिंदगी का हिस्‍सा बन चुका होता है। कभी वह रियल जिंदगी में सामने आ जाए तो सहसा यकीन नहीं होता कि नैातिक और अक्षरा ऐसे कैसे टहल सकते हैं ? क्‍या वे भी उनकी तरह मौज-मस्‍ती और घूमने-फिरने में यकीन रखते हैं ? पिछले हफ्ते हांगकांग में ‘ यह रिश्‍ता क्‍या कहलाता है ’ की शूटिंग के दौरान कुछ ऐसे ही अनुभवों से साबका पड़ा। हांगकांग का ओशियन पार्क भव्‍य और विशाल है। यहां आधुनिक पार्क के सभी तेज रफ्तार झूले और पानी में छई छप्‍प छई करते बोट और घिरनियां हैं। हांगकांग शहर के बाहरी इलाके में बनाए गए ओशियन पार्क तक अभी मैट्रो नहीं पहुंचा है,लेकिन हांगकांग और मेनलैंड चाइना से घूमने के शौकीन यहां 11 बजे से पहले आकर कतार लगा देते हैं। चीनी नैन-न

महाभारत पर उठ रहे सवाल

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-अजय ब्रह्मात्मज     पिछले कुछ समय से प्रसारित ‘महाभारत’ पर हम ने कुछ विशेषज्ञों से बातें कीं। चूंकि ऐसे निरीक्षण को आलोचना मान लिया जाता है, इसलिए हम उनके नाम नहीं दे रहे हैं। ‘महाभारत’ संबंधित प्रतिक्रियाओं में उन्होंने कुछ भूलों, खामियों और भटकावों की तरफ इशारा किया है ...     महाभारत के चरित्रों के कंधे पर यज्ञोपवित (जनेऊ) नहीं है। इस हफ्ते पहली बार पाण्डु ने यज्ञोपवित धारण किया। महिला चरित्रों को नथ (नाक के आभूषण) पहने दिखलाया गया है। इतिहासकारों के मुताबिक ईसा के 200 साल बाद भारत में नथ प्रचलित हुआ। महाभारत की कथा ईसा से पहले की है। वास्तु और स्थापत्य में पश्चिमी सौंदर्यबोध से प्रेरित कल्पना दिखती है। मुख्य रूप से लॉर्ड ऑफ द रिंग्स जैसी फिल्मों का स्पष्ट प्रभाव हैं। हस्तिनापुर में बर्फ से ढके पर्वत कहां से आ गए? गांधार के स्थापत्य में मुगलकालीन प्रभाव है। यहां पुरुषों ने जानवरों की खालें पहनी हैं,जबकि स्त्रियां सामान्य वस्त्रों में हैं। प्रासाद (महल) भव्य है, लेकिन उनका पुरातात्विक संदर्भ नहीं दिखता। अभिनेताओं की भाषा असहज और उनमें उच्चारण दोष भी है। हिंदी को कठिन करने के प्र

आमिर का सत्यमेव जयते

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  -अजय ब्रह्मात्‍मज तारीख निश्चित हो चुकी है। दो सालों से चल रहा कयास समाप्त हो गया है। आमिर खान प्रोडक्शन के टीवी शो सत्यमेव जयते का प्रसारण 6 मई से स्टार प्लस पर आरंभ होगा। स्टार प्लस के साथ ही दूरदर्शन पर आने से इसे देश के दूर-दराज इलाकों में बसे दर्शक भी देख सकेंगे। आमिर खान ने अपनी पसंद से सुबह 11 बजे का समय लिया है। इन दिनों टीवी पर संडे की सुबह का समय प्राइम टाइम नहीं माना जाता। आमिर खान को इससे मतलब नहीं है। उन्हें महाभारत, रामायण और चाणक्य के दिन याद हैं। सारा परिवार एक साथ बैठकर टीवी देखता था। जिनके घरों में टीवी नहीं थे, वे पड़ोस में देख आया करते थे। आमिर खान को पूरी उम्मीद है कि अगर कार्यक्रम अच्छा होगा तो दर्शक संडे की सुबह को फिर से प्राइम टाइम बना देंगे। वैसे, इसकी शुरुआत डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के धारावाहिक उपनिषद गंगा से हो चुकी है। यह संडे को सुबह दस बजे प्रसारित होता है। आमिर खान के टीवी शो सत्यमेव जयते का निर्देशन सत्यजित भटकल कर रहे हैं। आमिर खान और सत्यजित स्कूल के दिनों के दोस्त हैं। लगान के समय आमिर खान के आह्वान पर सत्यजित ने अपनी जमी-जमाई