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हिंदी में न्‍यूकमर एक्‍टर हूं - प्रभुदेवाा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज प्रभुदेवा का अधिकांश समय मुंबई में बीतता है। वे हिंदी फिल्‍मों के निर्देशन में व्‍यस्‍त रहते हैं। इस बार सोनू सूद के लिए वह ‘ तूतक तूतक तूतिया ’ में हीरो बन कर कैमरे के सामने आ रहे हैं। -क्‍या है ‘ तूतक तूतक तूतिया ’? 0 यह एक फन फिल्‍म है। ऐसी फिल्‍म पहले नहीं बनी है। कॉमेडी के साथ हॉरर है। मुझे इस फिल्‍म में लीड रोल मिला है। -सोनू सूद से आप की दोस्‍ती पुरानी है... 0 मैं उनकी फिल्‍में देखता रहा हूं। ‘ रमैया वस्‍तावैया ’ में मैंने उन्‍हें निर्देशित भी किया। उसके बाद से हम लगातार मिलते रहे हैं। मैंने ‘ आर...राजकुमार ’ में भी उन्‍हें निर्देशित किया। काम के प्रति उनका समर्पण देखने लायक है। वे दोस्‍ती निभाना जानते हैं। - इस फिल्‍म के लिए हां कहने की वजह यही दोस्‍ती रही क्‍या ? 0 पहले मुझे यह फिल्‍म नहीं करनी थी। मैंने इस फिल्‍म की कहानी सुनी तो अच्‍छी लगी। डायरेक्‍टर ए एल विजय ने कहा कि अगर आप लीड रोल स्‍वीकार करें तो बहुत अच्‍छा रहेगा। मुझ में उनका विश्‍वास था। उनके इसी विश्‍वास ने मुझे हां कहने के लिए उकसाया। फिल्‍म करते हुए मुझे लगा कि उनका फै

फिल्‍म समीक्षा : एक्‍शन जैक्‍सन

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  सही कहते हैं। अगर बुरी प्रवृत्ति या आदत पर आरंभ में ही रोक न लगाई जाए तो वह आगे चल कर नासूर बन जाती है। प्रभु देवा ने फिल्म 'वांटेड' से हिंदी फिल्मों में कदम रखा। तभी टोक देना चाहिए था। वे रीमेक बना रहे हों या कथित ऑरिजिनल कहानी चुन रहे हों। उनकी फिल्में एक निश्चित फॉर्मूले पर ही चलती हैं। उनकी फिल्मों में एक्शन, वायलेंस, डांस, रोमांस... इन चार तत्वों का अनुपात और क्रम बदलता रहता है। कथानक पटकथा और संवाद जैसी चीजें तो भूल ही जाएं। प्रभु देवा शब्दों से ज्यादा दृश्यों में यकीन करते हैं। उनकी फिल्मों में स्क्रिप्ट राइटर से बड़ा योगदान कैमरामैन, साउंड रिकॉर्डिस्ट, कोरियोग्राफर, एक्शन डायरेक्टर और हीरो का होता है। 'एक्शन जैक्सन' में तो उन्होंने दो-दो अजय देवगन रखे हैं। दो हीरोइनें भी हैं - सोनाक्षी सिन्हा और मनस्वी ममगई। दोनों का काम या तो हीरो पर रीझना है या फिर खीझना है। 'एक्शन जैक्सन' जैसी फिल्में देखते समय अजय देवगन सरीखे कद्दावर और लोकप्रिय अभिनेता की बेचारगी का एहसास होता है। 'जख्म', 'तक्षक', 'अपहर

हर बार अलग अवतार में सोनाक्षी सिन्‍हा

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-अजय ब्रह्मात्मज  दो महीनों में सोनाक्षी सिन्हा की तीन फिल्में आएंगी। इनमें वह तीन पीढिय़ों के अभिनेताओं के साथ दिखेंगी। पहली फिल्म अजय देवगन के साथ ‘ऐक्शन जैक्सन’ है। उसके बाद दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत के साथ ‘लिंगा’ आएगी और फिर 2015 की शुरूआत अर्जुन कपूर एवं मनोज बाजपेयी के साथ आ रही ‘तेवर’ से होगी। तीनों के विषय और परिदृश्य अलग हैं।     सोनाक्षी सिन्हा पहले ‘ऐक्शन जैक्सन’ की बात करती हैं,‘यह प्रभु देवा की फिल्म है। श्ह बहुत ही मसालेदार,एंटरटनिंग बौर ऐक्शन पैक्ड फिल्म है। इस फिल्म में पहली बार मेरे प्रशंसक मुझे वेस्टर्न ड्रेस में देखेंगे। चार सालों से लोग पूछ रहे थे कि मैं वेस्टर्न लुक में कब आऊंगी? तो लीजिए मैं आ गई। इस बार वे सभी खुश हो जाएंगे। इस फिल्म में मूरे चुने जाने की एक बड़ी वह मेरी कॉमिक टाइमिंग है। प्रभु देवा और अजय सर ने मुझे यही बताया। प्रभु और अजय दोनों के साथ पहले काम कर चुकी हैं। उन्हें लगा कि मैं रोल को संभाल पाऊंगी। बहुत ही फनी कैरेक्टर है मेरा। मैं ऐसी लडक़ी हूं,जिसका लक इतना खराब रहता है कि वह हमेशा फनी सिचुएशन में फंस जाती है। प्रभु देवा की फिल्म है तो सौंग

फिल्‍म समीक्षा : आर...राजकुमार

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-अजय ब्रह्मात्‍मज प्रभु देवा निर्देशित 'वांटेड' से ऐसी फिल्मों की शुरुआत हुई थी। ढेर सारे हवाई एक्शन, हवा में लहराते कलाकार, टूटी-फूटी चीजों का स्लो मोशन में बिखरना और उड़ना, बदतमीज हीरो, बेजरूरत के नाच-गाने और इन सब में प्रेम का छौंक, प्रेमिका के प्रति नरम दिल नायक ..दक्षिण के प्रभाव में बन रही ऐसी फिल्मों की लोकप्रियता और कमाई ने हिंदी की पॉपुलर फिल्मों का फार्मूला तय कर दिया है। प्रभुदेवा निर्देशित 'आर ..राजकुमार' इसी कड़ी की ताजा फिल्म है। इस बार शाहिद कपूर को उन्होंने एक्शन हीरो की छवि दी है। मासूम, रोमांटिक और भोले दिखने वाले शाहिद कपूर को खूंटी दाढ़ी देकर रफ-टफ बनाया गया है। एक्शन के साथ डांस का भड़कदार तड़का है। शाहिद कपूर निश्चित ही सिद्ध डांसर हैं। श्यामक डावर के स्कूल के डांसर शाहिद कपूर को प्रभु देवा ने अपनी स्टाइल में मरोड़ दिया है। एक्शन और डांस दोनों में शाहिद कपूर की जी तोड़ मेहनत दिखती है। ऐसी फिल्मों के प्रशंसक दर्शकों को 'आर .. राजकुमार' मनोरंजक लग सकती है, लेकिन लोकप्रियता की संभावना के बावजूद इस फिल्म की सराहना नहीं की जा सकती। फि

फिल्‍म समीक्षा : एबीसीडी

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-अजय ब्रह्मात्मज एक डांसर क्या करता है? वह दर्शकों को अपनी अदाओं से इम्प्रेस करता है या अपनी भंगिमाओं से कुछ एक्सप्रेस करता है। प्रभाव और अभिव्यक्ति के इसी द्वंद्व पर 'एबीसीडी' की मूल कथा है। बचपन के दोस्त जहांगीर और विष्णु कामयाबी और पहचान हासिल करने के बाद डांस से 'इम्प्रेस' और 'एक्सप्रेस' करने के द्वंद्व पर अलग होते हैं। जहांगीर को लगता है कि इम्प्रेस करने के लिए उसे अपनी कंपनी में विदेशी नृत्य निर्देशक की जरूरत है। आहत होकर विष्णु लौट जाने का फैसला करता है, लेकिन कुछ युवक-युवतियों के उत्साह और लगन को एक दिशा देने के लिए वह रुक जाता है। 'एबीसीडी' एक प्रकार से वंचितों की कहानी है। समाज के मध्यवर्गीय और निचले तबकों के युवा साहसी और क्रिएटिव होते हैं, लेकिन असुविधाओं और दबावों की वजह से वे मनचाहे पेशों को नहीं अपना पाते। विष्णु एक जगह समझाता है कि काम वही करो, जो मन करे। मन का काम न करने से दोहरा नुकसान होता है। 'एबीसीडी' सामूहिकता, टीमवर्क, अनुशासन और जीतने की जिद्द की शिक्षा देती है। डांस ऐसा नशा है कि उसके बाद किसी नशे की ज

मेनस्ट्रीम सिनेमा को ट्रिब्यूट है ‘राउडी राठोड़'-संजय लीला भंसाली

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-अजय ब्रह्मात्‍मज अक्षय कुमार और सोनाक्षी सिन्हा की प्रभुदेवा निर्देशित ‘राउडी राठोड़’ के निर्माता संजय लीला भंसाली हैं। ‘खामोशी’ से ‘गुजारिश’ तक खास संवेदना और सौंदर्य की फिल्में निर्देशित कर चुके संजय लीला भंसाली के बैनर से ‘राउडी राठोड़’ का निर्माण चौंकाता है। वे इसे अपने बैनर का स्वाभाविक विस्तार मानते हैं।   - ‘राउडी राठोड़’ का निर्माण किसी प्रकार का दबाव है या इसे आपकी मुक्ति समझा जाए?  0 इसे मैं मुक्ति कहूंगा। मेरी सोच, मेरी फिल्म, मेरी शैली ही सब कुछ है ... इन से निकलकर अलग सोच, विषय और विचार से जुडऩा मुक्ति है। मैं जिस तरह की फिल्में खुद नहीं बना सकता, वैसी फिल्मों का बतौर प्रोड्यूसर हिस्सा बनना अच्छा लग रहा है। मैं हर तरह के नए निर्देशकों से मिल रहा हूं। ‘माई फ्रेंड पिंटो’, ‘राउडी राठोड़’,  ‘शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी’ ऐसी ही फिल्में हैं।   - आप अलग तरह के सिनेमा के निर्देशक रहे हैं। खास पहचान है आपकी। फिर यह शिफ्ट या आउटिंग क्यों? 0 ‘गुजारिश’ बनाते समय अनोखा अनुभव हुआ। वह फिल्म मौत के बारे में थी, लेकिन उसने मुझे जिंदगी की पॉजीटिव सोच दी। उसने मुझे निर्भीक बना

फिल्‍म समीक्षा:वांटेड

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-अजय ब्रह्मात्‍मज प्रभु देवा की वांटेड उस कैटगरी की फिल्म है, जो कुछ सही और ज्यादा गलत कारणों से हिंदी में बननी बंद हो चुकी है। इनके बारे में धारणा है कि केवल फ्रंट स्टाल के चवन्नी छाप दर्शक ही पसंद करते हैं। अब दर्शकों का प्रोफाइल बदल गया है। मल्टीप्लेक्स ने दर्शकों की जो आभिजात्य श्रेणी गढ़ी है, वह ऐसी फिल्मों को घटिया, असंवेदनशील और चालू कहती है। पिछले 15 वर्षो में हिंदी सिनेमा ने खुद को जाने-अनजाने ऐसी मनोरंजक फिल्मों से दूर कर लिया है। कभी ऐसी फिल्में बनती थीं और हमारे फिल्मी हीरो दर्शकों के दिलों पर राज करते थे। वांटेड उस नास्टेलजिया को जिंदा करती है। यह फिल्म हर किस्म के थिएटर के दर्शकों को पसंद आ सकती है, क्योंकि कुछ दर्शक इसे सालों से मिस कर रहे थे। नए शहरी दर्शकों ने तो ऐसी फिल्में देखी ही नहीं हैं। राधे (सलमान खान) पैसों के लिए कोई भी काम कर सकता है। एक बार जिस काम या बात के लिए वह हां कर देता है, उससे कभी नहीं मुकरता। अपनी इस खूबी और निर्भीक एटीट्यूड से वह अपराध जगत में तेजी से चर्चित हो जाता है। उसकी मांग बढ़ती है। अपराध जगत का सरगना गनी भाई विदेश में कहीं रहता है। अपने दा