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गुस्‍सा तुम्‍हरा खारा खारा - अनारकली

मेरी एक पोस्‍ट पर टिप्‍पणी के रूप में आई है सरला माहेश्‍वरी की यह कविता। आप सभी के लिए इसे यहां सुरक्षित कर रहा हूं। अनारकली ऑफ़ आरा ! -सरला माहेश्वरी अनारकली ऑफ आरा वाह ! तुम्हारा पारा ग़ुस्सा तुम्हारा खारा खारा बजबजाता शहर आरा नंगा बेचारा उस पर टमाटर जैसा चेहरा बन गया अंगारा क्या खूब ललकारा ! धो धो कर मारा धूम मचाकर मारा कुलपति को भरे बाजार मारा रंडी हो या रंडी से कम पत्नी हो या पत्नी से कम नहीं सहेंगे तुम्हारे करम जुल्म और सितम नाचेंगे, गाएँगे, हमरी मर्ज़ी नहीं चलेगी तुम्हारी मनमर्ज़ी हमरे पास भी देनी होगी अर्ज़ी ! हमारा मान हमारा ईमान नहीं सहेंगे अपमान अनवर जैसा रौशन मन हीरे जैसा हीरामन खाता केवल देश की क़सम नहीं कोई तीसरी क़सम शेष में दी ऐसी पटकन धड़क उठी फिर जीवन की धड़कन ! अनारकली ऑफ आरा वाह ! तुम्हारा पारा ग़ुस्सा तुम्हारा खारा खारा

फिल्‍म समीक्षा - अनारकली ऑफ आरा

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फिल्‍म रिव्‍यू ’ मर्दों ’ की मनमर्जी की उड़े धज्जी अनारकली ऑफ आरा     -अमित कर्ण 21 वीं सदी में आज भी बहू , बेटियां और बहन घरेलू हिंसा , बलात संभोग व एसिड एटैक के घने काले साये में जीने को मजबूर हैं। घर की चारदीवारी हो या स्‍कूल-कॉलेज व दफ्तर चहुंओर ‘ मर्दों ’ की बेकाबू लिप्‍सा और मनमर्जी औरतों के जिस्‍म को नोच खाने को आतुर रहती है। ऐसी फितरत वाले बिहार के आरा से लेकर अमेरिका के एरिजोना तक पसरे हुए हैं। लेखक-निर्देशक अविनाश दास ने उन जैसों की सोच वालों पर करारा प्रहार किया है। उन्‍होंने आम से लेकर कथित ‘ नीच ’ माने जाने वाले तबके तक को भी इज्‍जत से जीने का हक देने की पैरोकारी की है। इसे बयान करने को उन्‍होंने तंज की राह पकड़ी है। इस काम में उन्हें कलाकारों , गीतकारों , संगीतकारों व डीओपी का पूरा सहयोग मिला है। उनकी नज़र नई पीढ़ी के ग़ुस्से और नाराज़गी से फिल्‍म को लैस करती है। अविनाश दास ने अपने दिलचस्‍प किरदारों अनारकली , उसकी मां , रंगीला , हीरामन , धर्मेंद्र चौहान , बुलबुल पांडे व अनवर से कहानी में एजेंडापरक जहान गढा है। हरेक की ख्‍वाहिशें , महत्‍वाकांक्षाएं व ला

मामूलीपन की भव्यता बचाने की जद्दोजहद : अनारकली ऑफ आरा

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मामूलीपन की भव्यता बचाने की जद्दोजहद : अनारकली ऑफ आरा -विनीत कुमार अविनाश दास द्वारा लिखित एवं निर्देशित फिल्म “अनारकली ऑफ आरा” अपने गहरे अर्थों में मामूलीपन के भीतर मौजूद भव्यता की तलाश और उसे बचाए रखने की जद्दोजहद है. इसे यूं कहे कि इस फिल्म का मुख्य किरदार ये मामूलीपन ही है जो शुरु से आखिर तक अनारकली से लेकर उन तमाम चरित्रों एवं परिस्थितियों के बीच मौजूद रहता है जो पूरी फिल्म को मौजूदा दौर के बरक्स एक विलोम ( वायनरी) के तौर पर लाकर खड़ा कर देता है. एक ऐसा विलोम जिसके आगे सत्ता, संस्थान और उनके कल-पुर्जे पर लंपटई, बर्बरता और अमानवीयता के चढ़े प्लास्टर भरभरा जाते हैं.  एक स्थानीय गायिका के तौर पर अनारकली ने अपनी अस्मिता और कलाकार की निजता( सेल्फनेस) को बचाए रखने के लिए जो संघर्ष किया है, वह विमर्श के जनाना डब्बे में रखकर फिल्म पर बात करने से रोकती है. ये खांचेबाज विश्लेषण के तरीके से कहीं आगे ले जाकर हर उस मामूली व्यक्ति के संघर्ष के प्रति गहरा यकीं पैदा करती है जो शुरु से आखिर तक बतौर आदमी बचा रहना चाहता है. पद और पैसे के आगे हथियार डाल चुके समाज

मेरे गीतों के हैं अर्थ अनेक - राेहित शर्मा

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रोहित शर्मा -अजय ब्रह्मात्‍मज अविनाश दास निर्देशित ‘ अनारकली ऑफ आरा ’ में रोहित शर्मा ने संगीत दिया है। इस फिल्‍म में आरा की अनारवाली की भूमिका स्‍वरा भास्‍कर ने निभायी है। इस फिल्‍म की नायिका अनारकली देसी गायिका है। वह मंच पर गाती है और अपनी अदाओं से दर्शकों को रिझाती है। इस फिल्‍म का खास संगीत रोहित शर्मा ने तैयार किया है। - ‘ अनारकली ऑफ आरा ’ के पहले आप की कौन सी फिल्‍में आई हैं ? 0 आनंद गांधी की ‘ शिप ऑफ थिसियस ’ में मेरा ट्रैक था।   विवेक अग्निहोत्री की फिल्‍म ‘ बुद्धा इन ए ट्रैफिक जैम ’ का संगीत मैंने ही तैयार किया था। फिर बच्‍चों की एक फिल्‍म ‘ शॅर्टकट सफारी ’ में मेरा संगीत था। कुछ और फिल्‍मों में मैंने संगीत दिया। उनमें से कुछ रूक गईं। अभी ‘ अनारकली ऑफ आरा ’ आ रही है। - फिल्‍म संगीत की तरफ कैसे रुझान हुआ ? 0 संगीत के प्रति रुझान बचपन से था। कभी सोचा न‍हीं था कि फिल्‍मों में संगीत निर्देशन करने आ जाऊंगा। घर के दबाव मेंं दिल्‍ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। फिर भी संगीत में रुचि बनी रही। मैंने संगीत की विधिवत शिक्षा ली। मैंने शास्‍त्रीयं संगीत का अभ्‍यास