दरअसल : कैमरे से दोस्ती
-अजय ब्रह्मात्मज चाहे ना चाहे हमारा जीवन कैमरे के आसपास मंडराने लगा है। स्मार्ट फोन और साधारण मोबाइल फोन में कैमरा आ जाने से हमारी जिंदगी में कैमरे की घुसपैठ बढ़ गई है। कैमरे और इंसान की इस बढ़ती आत्मीयता के बावजूद अधिकांश व्यक्तियों को मुस्कराना नहीं आया है। कैमरे से दोस्ती करने में एक हिचक सी रहती है। फिर कैमरा भी अपनी उदासीनता दिखाता है। वह भी दोस्ती नहीं करता। फिल्मों और फिल्म कलाकारों के बारे में बातें करते समय हम अक्सर कैमरे से दोस्ती का जिक्र करते हैं। कभी-कभी किसी कलाकार के बारे में यह धारणा बन जाती है कि वह कैमरे का दोस्त नहीं हो पाया। इस दोस्ती के अभाव में वह दर्शकों की पसंद नहीं बन पाता। उसकी छवि से दर्शक प्रेम नहीं करते। आप सामान्य व्यक्ति हो या कलाकार...कैमरे से दोस्ती करना सीखें। बाज अजीब सी लग सकती है,लेकिन आप ने महसूस किया होगा कि सेल्फी या ग्रुप में आप की तस्वीर अच्छी नहीं आती। कैमरा का जब शटर खुल कर बंद होता है,उस समय चेहरे पर मौजूद भाव और देह दशा को कैमरा कैद कर लेता है। जरूरी नहीं है कि अगर आप नंगी आंखों से खूबसूरत लगती हैं तो कैमरा आप